जम्मू-कश्मीर लोकसभा चुनाव में युवा वोटरों पर रहेगी सियासी दलों की नजर
भाजपा और कांग्रेस भी युवाओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। भाजपा का भारतीय जनता युवा मोर्चा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को सक्रिय किया गया है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। इस बार के संसदीय चुनावों में सभी राजनीतिक दल युवाओं पर अपना ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस संसदीय और विधानसभा चुनावों में युवाओं के सुझाव ले रही है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। साढ़े छह लाख से अधिक पढ़े लिखे युवा बेरोजगार है। समय-समय पर युवाओं के विरोध प्रदर्शन, आंदोलन होते रहते है। युवा वर्ग एक बहुत बड़ा वर्ग है जो वोट डालने जाता है।
राज्य में एक चौथाई वोटर युवा है। नए वोटरों की संख्या में तीन लाख से अधिक है। ऐसे में संसदीय और विधानसभा चुनाव में पार्टियों ने युवाओं को साधने की कोशिशें तेज कर दी है। युवाओं को अपने साथ मिलाने के लिए नेशनल कांफ्रेंस ने युवाओं के मुद्दों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने की मुहिम चलाई है। इसके लिए नेशनल कांफ्रेंस स्टूडेंट यूनियन से कहा गया है कि वे अधिक से अधिक युवाओं के साथ संपर्क करके उनके मसलों, मुद्दाें, सुझावों को सुनें। हम जब चुनावी घोषणा पत्र बनाएंगे तो इनमें युवाओं के मुद्दे शामिल किए जाएंगे। नेकां के प्रांतीय प्रधान देवेंद्र सिंह राणा ने एनएससीयू को पत्र लिखकर युवाओं के सुझाव लेने के लिए कहा है।
वहीं भाजपा और कांग्रेस भी युवाओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। भाजपा का भारतीय जनता युवा मोर्चा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को सक्रिय किया गया है। भाजपा के प्रदेश महासचिव नरेंद्र सिंह का कहना है कि पार्टी युवाओं समेत हर वर्ग के सुझाव ले रही है। बाद में इन पर व्यापक विचार विमर्श करके चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा। समाज में युवाओं की भूमिका अहम है। युवाओं को किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। युवाओं के मुद्दों को हम आगे लाएंगे। कांग्रेस का यूथ विंग और नेशनल स्टूडेंट यूनियन आफ इंडिया के जिम्मे युवाओं के साथ संपर्क जोड़ने की जिम्मेदारी तय की गई है। यूथ कांग्रेस के प्रधान उदय चिब का कहना है कि युवाओं की सबसे बढ़ी समस्या रोजगार को लेकर है। हमारी कोशिश की है कि अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ा जाए। इसके लिए हमारा अभियान चल रहा है। युवाओं के मसलों को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करवाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
युवाओं के मुद्दे व समस्याएं
- - रोजगार के लिए किसी नीति का न होना।
- - पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं को कोई भत्ता न मिलना
- - निजी क्षेत्र में रोजगार के साधन न होना
- - कम संख्या में सरकारी नौकरियों के लिए पद निकलना
- - एसआरओ 202 के तहत सरकारी नौकरियों में आधा वेतन मिलना
- - कांट्रेक्ट पर नियुक्तियां करना
- - एनएचएम, हायर सेकेंडरी स्कूलों के कांट्रेक्ट लेक्चरारों का आंदोलन की राह पर होना
- - स्थायी आरईटी को 28 हजार से अधिक पद सौंपने से युवाओं में आक्रोश भड़कना।
- - स्वयं रोजगार की योजनाओं का लाभ हासिल करने की प्रक्रिया का जटिल होना