जम्मू- कश्मीर: पहली बार किसी संसदीय सीट के लिए तीन चरणों में होगा मतदान
सभी की नजरें इस बार द. कश्मीर की एकमात्र संसदीय सीट अनंतनाग-पुलवामा पर हैं। पहली बार किसी संसदीय सीट के लिए तीन चरणों में मतदान होगा। चुनावी इतिहास में यह अभूतपूर्व है।
जम्मू, नवीन नवाज। सभी की नजरें इस बार दक्षिण कश्मीर की एकमात्र संसदीय सीट अनंतनाग-पुलवामा पर हैं। पहली बार किसी संसदीय सीट के लिए तीन चरणों में मतदान होगा। चुनावी इतिहास में यह अभूतपूर्व है। क्षेत्र में हालात की संवेदनशीलता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जब अप्रैल 2016 में अनंतनाग संसदीय सीट से इस्तीफा दिया था तो उसके बाद से यहां उपचुनाव नहीं कराए जा सके। 2017 में उपचुनाव घोषित भी हुए, चुनाव की तिथि तय हो गई। लेकिन सुरक्षा की चिंता और आतंकी हिंसा की आशंका के चलते चुनाव अंतिम समय में रद्द कर दिया गया। 1991 के बाद यह पहला मौका था जब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कारणों से चुनाव रद्द किया गया हो।
आतंकियों, अलगाववादियों का गढ़ दक्षिण कश्मीर के चार जिलों अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां के 16 विधानसभा क्षेत्रों पर आधारित यह संसदीय क्षेत्र पहले कभी इतना सुर्खियों में नहीं रहा है, जितना जुलाई 2016 में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद। 2016 के बाद से यह क्षेत्र आतंर्की हिंसा व अलगाववादियों र्हिं के हिंसक प्रदर्शनों का गढ़ बन गया। आतंकियों के जनाजों में भीड़ इस क्षेत्र में उनकी पैठ का सुबूत है।
तीन वर्षों के दौरान कश्मीर में तैयार स्थानीय आतंकियों की नई पौध का नब्बे फीसद दक्षिण कश्मीर से ही है और मारे गए 580 आतंकियों में 80 फीसद स्थानीय हैं। इनमें 90 प्रतिशत का संबंध भी दक्षिण कश्मीर से ही है।
तीन चरणों में चुनाव
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने माना है कि हालात काफी विकट हैं तभी अनंतनाग पुलवामा संसदीय सीट पर तीन चरणों में चुनाव हो रहे हैं। कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ अहमद अली फैयाज ने कहा कि पूरे क्षेत्र को आतंकी खतरे के लिहाज से ही तीन जोन में बांटा गया है। प्रत्येक चरण में छह से सात दिन का अंतर है, जो सुरक्षा इंतजामों के लिए जरूरी है।
16 विधानसभा क्षेत्र आते हैं
अधीन क्षेत्र में लगभग पौने बाहर लाख मतदाता हैं। त्राल, पांपोर, पुलवामा, राजपोरा, वाची, शोपियां, नूराबाद, कुलगाम, होमशालीबुग, देवसर, अनंतनाग, डूरू, कोकरनाग, शांगस, बिजबिहाड़ा पहलगाम। बेरोजगारी, स्वास्थ्य, बिजली पानी जैसी सेवाओं का अभाव, अफस्पा, स्वायत्तता, सेल्फ रूल जैसे मुददे यहां चुनाव में खूब रंग दिखाते हैं।