Lok Sabha Election 2019 : जितना अधिक मतदान, उतना ही सशक्त होगा लोकतंत्र
Lok Sabha Election 2019 लोकतंत्र की मजबूती के लिए देश के हर नागरिक का मतदान करना जरूरी है और हर नागरिक को अपनी मनपसंद सरकार चुनने का पूरा अधिकार है।
शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। जनता व शासन की मजबूती के लिए हर नागरिक का मतदान करना जरूरी है। मतदान में जितनी अधिक भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र उतना ही सशक्त होगा। जिन लोगों ने मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाया है, वे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में मतदान कर भागीदारी निभा सकते हैं। सशक्त लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि बिना किसी लालच या दबाव के मतदान किया जाए। संविधान द्वारा नागरिकों को मनपसंद सरकार को मतदान कर चुनने का अधिकार है। इस साल एक जनवरी के बाद 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवा इस बार लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा कैदियों व अपराधियों को मतदान का अधिकार नहीं है। यह बात प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी देवेश कुमार ने दैनिक जागरण से कही। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश :
सभी चुनें, सही चुनें। वास्तव में सही की परिभाषा क्या है?
-लोकतंत्र का आधार जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है। चुनाव में मतदान कर जितनी ज्यादा भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र उतना ही सुदृढ़ होगा। अपनी बुद्धि या विवेक से बिना लोभ, लालच और दवाब के भयरहित मतदान वास्तव में सही चुनना है। मतदाताओं को उम्मीदवारों के संबंध में सारी जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इसके लिए चुनाव आयोग नामांकन के समय उम्मीदवार से शपथपत्र लेता है। प्रत्याशी को यह बताना होता है कि उसकी शिक्षा, परिवार में कितने लोग, परिवार की चल-अचल संपत्ति कितनी है? उस पर कितने आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और पहले किस-किस अपराध में कानूनी कार्रवाई हो चुकी है। अगर कोई उम्मीदवार जानकारी छिपाता है तो उसका निर्वाचन खारिज हो सकता है। उसे सजा भी हो सकती है।
वोट बनाने का अधिकार किसे है?
-देश का हर नागरिक जो 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका है, स्थायी या अस्थायी नागरिक है, वह अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करवाने के लिए आवेदन कर वोट बना सकता है। एक जनवरी 2019 तक जो युवा 18 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं या उससे अधिक आयु के मतदाता ही अपने मत का प्रयोग कर सकेंगे। दो जनवरी 2019 से 18 वर्ष पूर्ण करने वाले युवा मत तो बना सकेंगे लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में मत
का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। जेल में बंद होने या सजा होने पर भी लोग वोट नहीं डाल सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति के चुनाव क्षेत्र में आने से कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने की आशंका हो तो जिला प्रशासन ऐसे व्यक्ति को वोट डालने से रोक सकता है। दो वर्ष या इससे अधिक की सजा वालों को भी मतदान का अधिकार नहीं है और न ही वोट बनाया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति का दो निर्वाचन क्षेत्रों में नाम है तो
उसे भी अयोग्य माना जाता है।
राजनेता बड़े-बड़े वादे कर मतदाताओं को प्रभावित करते हैं। नियमों में क्या प्रावधान है, क्या होना चाहिए?
-धर्म, जाति के आधार पर समाज को बांटने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। भ्रष्ट आचरण के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मतदान को प्रभावित करने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान है। रिश्वत, उपहार या किसी भी तरह का दबाव व निर्वाचन सभाओं में उपद्रव आपराधिक प्रवृत्ति की श्रेणी में आता है। चुनाव आचार संहिता के दौरान सड़कों के निर्माण, पीने के पानी की सुविधाएं आदि देने का वचन नहीं दिया जा सकता है।
जो दिव्यांग वोट डालने में सक्षम नहीं हैं, क्या उनके स्थान पर कोई सहायक ईवीएम का बटन दबाकर उसका मत डाल सकता है?
-दिव्यांग व निरक्षर लोगों को सहायक चुनने का अधिकार है। नेत्रहीन दिव्यांग जिन्हें सहायक की आवश्यकता है, उन्हें खुद को पंजीकृत करवाना होगा। इसके लिए विजिल-एप शुरू किया गया है। ऐसे लोग अपने बूथ पर जाकर भी आवेदन कर सकते हैं। सहायक के लिए लोगों को मतदान केंद्र पर आकर अपने
हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान देना होगा। मतदान अधिकारी की अनुमति से एक सहायक को वह ईवीएम के निकट ले जा सकेंगे। जिसे सहायक चुना जाएगा, वह मतदाता के कहने पर उसकी पसंद के उम्मीदवार के बटन को दबाएगा।
चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतें आती हैं। क्या प्रावधान है?
-आदर्श चुनाव आचार संहिता के तहत मतदान को प्रभावित करने के लिए घोषणाओं और नेताओं व मंत्रियों के सार्वजिनक कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक है। राजनीतिक दल प्रचार की सामग्री भी बिना निर्वाचन आयोग द्वारा गठित कमेटी की मंजूरी के प्रकाशित नहीं कर सकेंगे। किसी भी रूप में कोई भी वित्तीय मंजूरी या वचन देने की घोषणा नहीं करेंगे। मंत्री व नेता किसी भी प्रकार की परियोजनाओं अथवा स्कीमों के लिए आधारशिलाएं आदि नहीं रख सकेंगे। सरकारी, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में कोई भी तदर्थ नियुक्ति नहीं की जाएगी।
सौ फीसद मतदान का लक्ष्य हासिल करने के लिए क्या कर रहे हैं?
-दो चरणों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। पहला चरण 15 अगस्त 2018 से शुरू किया गया था। इसके तहत 18 वर्ष पूर्ण कर चुके युवाओं को मतदाता सूची में नाम शामिल कर वोट बनाने के लिए कहा जा रहा है। यह जागरूकता अभियान 18 अप्रैल तक चलेगा। दूसरा चरण 15 मार्च से शुरू किया गया है जो मतदान के दिन तक चलेगा। इसमें स्कूलों, कॉलेजों, संस्थानों और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में बिना किसी लालच, दबाव व निर्भिक होकर मतदान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
चैलेंज वोट व टेंडर वोट क्या है?
-चैलेंज वोट अब खत्म हो गया है जबसे मतदाता सूचियां हर मतदान केंद्र पर होने के साथ मतदाताओं को मतदान स्लिप दी जा रही है। अब टेंडर वोट अवश्य होता है। इसे बैलेट पेपर पर ही लिया जाता है। केंद्र पर कोई व्यक्ति मतदाता पर्ची और वोटर आइडी कार्ड के साथ आता है और उसे पता चलता है कि उसका वोट पड़ चुका है तो वह अपना वोट डालने के लिए चैलेंज कर सकता है। पहले किसी अन्य द्वारा वोट डाले जाने पर मतदान अधिकारी को ऐसे व्यक्ति की अपील पर वोट डलवाना होगा। ऐसे व्यक्ति का वोट बैलेट पेपर पर लिया जाएगा। इसके बाद यह पता लगाया जाएगा कि पहले वोट डालने वाला व्यक्ति सही था या बाद में आने वाला। जांच के बाद दोनों में से किसी एक का वोट खारिज कर दिया जाएगा।