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Lok Sabha Election 2019 : अंगुली में स्याही की उत्सुकता मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक खींच लाई थी

पहली बार अंगुली पर स्‍याही लगाने की उत्सुकता मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक खींच लाई थी। पहली बार 1989 में लगी अंगुली पर स्याही लगाने की शुरूआत हुई थी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 06:16 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 06:16 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : अंगुली में स्याही की उत्सुकता मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक खींच लाई थी
Lok Sabha Election 2019 : अंगुली में स्याही की उत्सुकता मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक खींच लाई थी

प्रयागराज : मतदान के दौरान अंगुली पर स्याही का निशान लगाने की परंपरा 1989 के लोकसभा चुनाव में शुरू हुई। पहली बार अंगुली पर स्याही का निशान हर मतदाता के लिए अचरज का भी विषय था। इलाहाबाद लोकसभा सीट के एक मतदान केंद्र पर स्याही का असर देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मतदान के लिए पहुंचे थे। दरअसल बताया गया था कि अंगुली पर लगने वाली स्याही कई दिनों तक नहीं छूटेगी। यही उत्सुकता मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक खींच लाई। 

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 ...मतदाता अंगुली पर लगने वाली स्याही देखना चाहते थे

जनता दल शहर उत्तरी के इंचार्ज रहे केके श्रीवास्तव बताते हैैं कि उस दौरान सेंट एंथोनी स्कूल पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की काफी भीड़ जुटी थी। कई मतदाताओं ने बताया कि वह इसलिए भी वोट डालने आए हैैं क्योंकि पहली बार अंगुली पर लगने वाली स्याही देखना चाहते हैैं। 

1984 तक के चुनाव तक ऐसी व्यवस्था नहीं थी कि लोगों ने मतदान किया है

देश के आजाद होने के बाद 1951-52 में हुए पहले आम चुनाव से लेकर 1984 तक जितने भी चुनाव हुए, किसी में ऐसी व्यवस्था नहीं थी, जिससे यह पता चलता कि लोगों ने मतदान किया है। मतदाता पोलिंग बूथ पर जाते थे और बैलेट पेपर पर मुहर लगाकर बॉक्स में डाल देते थे। पुरानी व्यवस्था में फर्जी मतदान का भी आरोप लगता था। प्रत्याशियों पर आरोप लगाए जाते थे कि वह अपने समर्थकों को एक से दूसरे पोलिंग बूथ पर भेजकर फर्जी मतदान करा रहे हैैं। वैसे तो पूरे देश में ऐसी शिकायतें थी लेकिन बिहार इस मामले में आगे था। वर्ष 1984 में इलाहाबाद संसदीय सीट से जब अभिनेता अमिताभ बच्चन ने चुनाव लड़ा था तब भी इसी तरह के आरोप लगे। तब विपक्षी पार्टियों ने अमिताभ के समर्थक पर फर्जी मतदान के आरोप लगाए थे। 

पहली बार 1989 में लगी अंगुली पर स्याही

फर्जी मतदान रोकने के लिए उस दौरान निर्वाचन आयोग ने विशेषज्ञों से राय मशविरा किया। इसके बाद चुनाव में विशेष तरह की स्याही के इस्तेमाल पर फैसला हुआ। 1989 के लोकसभा चुनाव में मतदान के दौरान मतदाताओं की अंगुली पर स्याही लगाना शुरू किया गया। इलाहाबाद संसदीय सीट पर जनता दल  प्रत्याशी जनेश्वर मिश्र का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी कमला बहुगुणा से था। चुनाव में जनेश्वर जीते थे। 


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