सांसद-विधायकों से संपत्ति का ब्योरा मांगेगा आयकर विभाग, हिसाब में फर्क मिलने पर होगी कार्रवाई
आयकर विभाग नामांकन पत्र के साथ सांसद-विधायकों द्वारा चुनाव आयोग में सौंपे गए संपत्ति के ब्योरे की तुलनात्मक जांच में अंतर मिलने पर उनसे पूछताछ करेगा। पढ़े पूरी रिपोर्ट...
भोपाल, जेएनएन। नामांकन पत्र के साथ सांसद-विधायकों द्वारा चुनाव आयोग में सौंपे गए संपत्ति के ब्योरे की तुलनात्मक जांच में अंतर मिलने पर आयकर विभाग पूछताछ करेगा। खासतौर पर ऐसे जनप्रतिनिधियों के हलफनामे की छानबीन होगी, जिन्होंने आयकर विवरण में पूरी जानकारी नहीं दी अथवा रिटर्न में ऐसी जानकारी छिपा ली। चुनावी प्रक्रिया के बाद ऐसे लोगों को विभाग समन और नोटिस भेजेगा। ऐसे मामलों में स्क्रूटनी, असेसमेंट और सर्वे-छापे जैसी कार्रवाई का भी प्रावधान है।
आयकर विभाग ने ऐसे कुछ मामले अपनी प्रारंभिक जांच में लिए हैं, जिनमें कतिपय जनप्रतिनिधियों के नामांकन पत्र के साथ लगाए गए संपत्ति संबंधी हलफनामे और विभाग में सौंपे गए आयकर विवरण (आइटीआर) की जानकारी में अंतर पाया गया है। खासतौर पर ऐसे मामले, जिनमें संबंधित सांसद-विधायकों ने आयकर विवरण में पूरी जानकारी नहीं दी। उन्हें चुनाव प्रक्रिया के बाद आयकर अधिनियम के तहत नोटिस भेजकर ब्योरा मांगा जाएगा। ऐसे ब्योरे से यदि विभाग को समाधानकारक जवाब नहीं मिला तो स्क्रूटनी, सर्वे, छापा और असेसमेंट की कार्रवाई भी हो सकती है।
जानकारी छिपाने पर कार्रवाई
विभागीय सूत्रों का कहना है कि आयकर अधिनियम की धारा 131 के तहत समन भेजकर किसी भी आय-व्यय संबंधी मुद्दे पर करदाता से जानकारी मांगी जाती है। इसके अलावा आयकर रिटर्न में जानकारी नहीं देने पर अधिनियम की धारा 142(1) के तहत नोटिस भेजकर संबंधित जानकारी और दस्तावेज आदि तलब किए जाने का प्रावधान है। विभाग को ऐसे करदाता के वित्तीय लेनदेन संबंधी जानकारी किसी अन्य एजेंसी, संस्थान, बैंक अथवा पंजीयन रजिस्ट्रार आदि से यदि बुलाना है तो धारा 133(6) के तहत नोटिस भेजने की कार्रवाई की जाती है। ऐसे कई मामलों में विभाग अपनी कार्रवाई कर रहा है।
चुनावों के बाद होती है पड़ताल
विधानसभा अथवा लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आयकर विभाग नामांकन पत्रों के साथ संपत्ति संबंधी दिए गए ब्योरे की पड़ताल करता है। ऐसे मामलों की विस्तार से छानबीन के बाद मामले की रिपोर्ट सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) को भेजी जाती है। सीबीडीटी यह जानकारी चुनाव आयोग से भी साझा करता है।
- आरके पालीवाल, प्रधान आयुक्त, आयकर विभाग, भोपाल