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राजस्थान: जाटलैंड में हनुमान बेनीवाल बने भाजपा का तुरुप का पत्ता

राजस्थान में लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल सियासी समीकरण को साधने के लिहाज से भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता बन गए हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 08:01 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 08:01 PM (IST)
राजस्थान: जाटलैंड में हनुमान बेनीवाल बने भाजपा का तुरुप का पत्ता
राजस्थान: जाटलैंड में हनुमान बेनीवाल बने भाजपा का तुरुप का पत्ता

संजय मिश्र, नागौर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल सियासी समीकरण को साधने के लिहाज से भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता बन गए हैं। राजस्थान में जाट राजनीति के नये स्टार के रूप में उभरे हनुमान की सूबे के जाट बहुल इलाके ही नहीं बल्कि दूसरी जगह भी भाजपा उम्मीदवारों के प्रचार के लिए मांग बढ़ी है।

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जाट युवाओं के जोशीले कंधों पर सवार होकर चुनावी सभाओं में पहुंच रहे बेनीवाल राजस्थान में कांग्रेस की परंपरागत जाट बहुल सीटों पर भी गंभीर चुनौती पेश कर रहे हैं। राजस्थान के जाटलैंड के रूप में चर्चित नागौर, सीकर, झुंझनू और चुरू परंपरागत रूप से विगत में कांग्रेस के मजबूत आधार वाले इलाके माने जाते रहे हैं।

भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय की नाराजगी से हुए नुकसान को भांपते हुए हनुमान बेनीवाल से तालमेल कर नागौर लोकसभा सीट उनके लिए छोड़ दी है, जहां से वे खुद चुनाव लड़ रहे हैं। आक्रामक अंदाज में ठेठ खरी-खरी बातों से हनुमान जाट समुदाय के सूबे में निर्विवाद नेता बन गए हैं।

हनुमान की आक्रामकता का चुनावी फायदा भाजपा को कितना होगा, यह तो नतीजे बताएंगे मगर चाहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के खिलाफ उनके इलाके में हुई चुनाव सभा हो या नागौर के अपने क्षेत्र में आरएलपी नेता के चुनावी भाषण, उनके समुदाय को यह खासा प्रभावित कर रहा है। इसीलिए जोधपुर में जहां जाट वोट निर्णायक बन गए हैं वहां भाजपा ने बेनीवाल की सभाएं कराईं तो सीकर, झंझनू और चुरू के अलावा वे स्टार प्रचारक के रूप में भाजपा के लिए पूरे सूबे में उड़ान भर रहे हैं।

विधानसभा चुनाव में भाजपा से रही नाराजगी पर हनुमान कहते हैं कि यह बीती बात है और अब हनुमान बेनीवाल राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता की लंका को पवन पुत्र की तरह मिटा देगा..। कांग्रेस ने भी लोकसभा चुनाव में हनुमान को साधने की कोशिश की मगर बात नहीं बनी और बेनीवाल चुनावी सभाओं में कहते भी हैं कि अशोक गहलोत ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाने के साथ दो दो लोकसभा सीट का भी ऑफर दिया था मगर नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम बनाने के लिए उन्होंने इस लुभावने आफर को ठुकरा दिया।

हालांकि जाटों के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे हनुमान बेनीवाल के लिए नागौर की सीट बहुत आसान नहीं है क्योंकि यहां जाटों के सबसे पुराने बड़े चेहरे रहे दिग्गज कांग्रेस नेता नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। वह पहले भी एक बार सांसद रह चुकी हैं और जाटों की उनकी बिरादरी की संख्या नागौर में कहीं अधिक है। हनुमान पर निशाना साधते हुए वह कहतीं हैं कि उग्र भाषण देकर अपना भला करने वाले समाज का भला नहीं कर सकते।

जोधपुर में अशोक गहलोत ने झोंकी पूरी ताकत
जोधपुर का चुनाव केवल दो मुख्य पार्टियों की लड़ाई नहीं बल्कि मुख्यमंत्री बनाम प्रधानमंत्री की राजनीतिक जंग बन गई है। सूबे के कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बेटे वैभव गहलोत की राजनीतिक पारी का आगाज करने के लिए जोधपुर के चुनावी रण में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

वहीं भाजपा के शिखर नेतृत्व ने भी केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री सूबे के अपने एक प्रमुख चेहरे गजेंद्र सिंह शेखावत के लिए वह सारे दांव चल दिए हैं जिससे बेटे को जोधपुर की राजनीतिक विरासत सौंपने के अशोक गहलोत के अरमानों पर पानी फेरा जा सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोधपुर में प्रचार के लिए आकर जिस तरह गहलोत पर सियासी हमलों की बौछार की, उसके बाद यहां के चुनाव को पीएम बनाम सीएम की जंग के रूप में आंका जा रहा है। जोधपुर ही नहीं राजस्थान में जाट और राजपूत समुदाय दो विरोधी ध्रुव माने जाते रहे हैं जबकि इस सीट पर जाट मतदाता निर्णायक माने जा रहे हैं। इस जातीय गणित को दुरूस्त करने के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के जाट नेता हनुमान बेनीवाल से गठबंधन कर रखा है।

पुत्रमोह के पीएम के आरोपों पर चुनावी सभाओं में पलटवार करते हुए अशोक गहलोत कहते हैं कि कौन बाप बेटे के लिए नहीं सोचता और पीएम मोदी का खुद का परिवार नहीं तो वे पिता-पुत्र के आत्मिक रिश्तों का मोल भला कैसे समझेंगे..। वैभव गहलोत को मैदान में उतारने को सही ठहराते हुए वे कहते हैं कि लोकतंत्र में जनता वोट देकर अपना फैसला देती है तो इसे वंशवाद कहना भला कैसे मुनासिब है।

अशोक राजस्थान के युवाओं को आगाह करते हैं कि पीएम मोदी के राष्ट्रवाद के नाम पर बहकावे में न आएं क्योंकि इसकी आड़ में वे पांच साल की सभी नाकामियों को छुपाने का प्रयास कर रहे हैं..। अशोक गहलोत के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुके जोधपुर की जंग कितने कांटे की है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर तीसरे दिन सीएम यहां प्रचार के लिए आ जाते हैं। प्रदेश सरकार के आठ दस मंत्री यहां डेरा डाले हैं तो सूबे के ही नहीं कांग्रेस के कई केंद्रीय नेता भी आ चुके हैं।


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