Lok Sabha Election 2019 : सामान्य कार्यकर्ता के घर ठहरे थे दिग्गज नेता मधु लिमये
वाकया 1962 के फूलपुर लोक सभा सीट से जुड़ा है। नेहरू के सामने डा. लोहिया थे। लोहिया के चुनाव प्रचार में दिग्गज नेता मधु लिमये आए थे। रात्रि निवास साधारण कार्यकर्ता के घर किया था।
प्रयागराज : बात करीब पांच दशक पहले की है। फूलपुर संसदीय क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में सभा को संबोधित करने आए तत्कालीन दिग्गज नेता मधु लिमये जमींदारों का आग्रह को ठुकराकर सामान्य कार्यकर्ता के घर ठहरे। रात में उसी कार्यकर्ता के यहां खाना खाने के बाद विश्राम भी उन्होंने किया था। दूसरे दिन एक और सभा को संबोधित कर महाराष्ट्र के लिए रवाना हुए थे।
1962 के लोक सभा चुनाव में नेहरू के सामने डॉ. लोहिया थे
वर्ष 1962 में लोक सभा का तीसरा आम चुनाव था। फूलपुर लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू फिर चुनाव मैदान में थे। उनका मुकाबला समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया से था। पूरे देश से समाजवादी कार्यकर्ता और डॉ. लोहिया के समर्थक प्रचार के लिए जुटे थे। मधु लिमये की पहचान तब तक राष्ट्रीय स्तर पर हो चुकी थी। वह फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के हिस्से कौडि़हार विधानसभा (अब फाफामऊ विधानसभा) में चुनाव प्रचार करते हुए मिंडारा गांव पहुंचे। यहां उन्हें रात रुकना था।
मधु लिमये ने एक गरीब कार्यकर्ता के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया
मधुलिमये के रात्रि विश्राम की जानकारी होने पर जमींदार घरानों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने उनसे अपने यहां रात रुकने का आग्रह किया। दो-तीन कार्यकर्ता जो साधारण दिख रहे थे, उन्होंने भी अपने यहां रुकने का आग्रह किया। मधु लिमये ने एक गरीब कार्यकर्ता के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया। उस कार्यकर्ता का घर मेंडारा से करीब दो किमी दूर था। मधुलिमये उस कार्यकर्ता के साथ उसके गांव भगवानपुर गए। रात्रि विश्राम के बाद सुबह प्रचार के लिए निकले तो यह बात बहुत तेजी से फैली। सुबह लालगंज में एक सभा को संबोधित करके महाराष्ट्र चले गए।
जीत भले ही पंडित नेहरू की हुई लेकिन लोहिया ने कई बूथों पर बढ़त बनाई
सपा के प्रदेश प्रवक्ता केके श्रीवास्तव बताते हैं कि इस चुनाव पंडित जवाहर लाल नेहरू जरूर जीते थे, लेकिन कई बूथों पर डॉ. लोहिया ने बढ़त हासिल की थी। उन्होंने जो जमीन बनाई, उसका नतीजा यह था कि 1967 में डॉ. लोहिया के शिष्य जनेश्वर मिश्र पंडित विजय लक्ष्मी पंडित से मामूली मतों के अंतर से हारे, लेकिन 1969 में जनेश्वर मिश्र ने पंडित केशव दास मालवीय को हरा दिया।