LokSbaha Election 2019: दरिद्रनारायण के तो आ गए अच्छे दिन... दे रहे दुआएं
कहते हैं कि भगवान के दर देर है अंधेर नहीं। सो कुष्ठ रोगियों के दिन भी बहुरने वाले हैं। उनको झोपड़ी की जगह फ्लैटनुमा पक्के मकान मिलेंगे।
देवघर, राजीव, देवघर। भोलेनाथ की नगरी देवघर। इनके दरबार में सबका ठौर है। अमीर-गरीब, राजा-रंक। रोगी-निरोगी। सो, देवघर शहर में कुष्ठ रोग से पीडि़त लोगों का एक बड़ा ठौर है, पौने सात बीघा जमीन पर कालीराखा मोहल्ले में। नाम है काली रेखा मातृ कॉलोनी कुष्ठ आश्रम।
कुष्ठ के कारण समाज से बिल्कुल उपेक्षित। तकरीबन 70-80 परिवार यहां झोपडिय़ों में रहते हैं। भिक्षाटन जीवनयापन का मुख्य जरिया है। कहते हैं कि भगवान के दर देर है अंधेर नहीं। सो कुष्ठ रोगियों के दिन भी बहुरने वाले हैं। उनको झोपड़ी की जगह फ्लैटनुमा पक्के मकान मिलेंगे। इस इलाके में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आठ ब्लाक का निर्माण हो गया है। यहां कुल 64 यूनिट घर बन गए हैं। शौचालय और पेयजल के लिए पाइपलाइन की व्यवस्था भी है। इन कुष्ठ रोगियों के परिवार के लिए वर्ष 2006 में बाल्मीकि आंबेडकर आवास के तहत आवास बनाने की प्रक्रिया हुई थी। शिलान्यास भी हो चुका था। पर, इन आवास का निर्माण नहीं हो सका। बाद में इनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण कराया गया। आवास बनकर पूरी तरह से तैयार हो गए हैं। खरमास के बाद कुष्ठ रोगी और इनके परिजन इसमें रहने लगेंगे।
लगता है कोई सपना देख रहे हैं: स्व. गोपाल स्वर्णकार की बेटी शिवानी देवी ने बताया कि प्रधानमंत्री को लाख दुआएं। उन्होंने हमारा दर्द समझा। क्षेत्र की रुक्मिणी देवी कहती हैं कि जीवन में कभी यह उम्मीद नहीं थी कि पक्का का मकान नसीब होगा। झुग्गी में रहकर जिंदगी गुजर गई। अब पक्का का मकान मिल रहा है। ऐसा लग रहा है कि कोई सपना देख रहे हैं। चुकन ठाकुर, रवि सेठी, शिबू सेठी, रामू, रामनाथ, मो.जलील, शांति देवी, गुलिया देवी भी खुश हैं। नए घर में बिजली कनेक्शन हो जाए सहूलियत होगी। कुष्ठ आश्रम समिति के अध्यक्ष महेंद्र राय कहते हैं कि यहां के लोगों को स्वरोजगार से जोडऩे की व्यवस्था हो। ताकि ये विकास की मुख्यधारा में आ सकें।
243 रोगियों का हो रहा उपचार : देवघर जिले में 243 कुष्ठ रोगियों का उपचार हो रहा है। 90 आंशिक रूप से और 153 गंभीर रूप से प्रभावित हैं। काली रेखा मातृ कॉलोनी कुष्ठ आश्रम के छह मरीज इलाजरत हैं। झारखंड शोध संस्थान के सचिव उमेश कुमार बताते हैं कि देवघर जिले में वर्ष 1903 में कुष्ठ रोगियों की देखभाल की शुरुआत वर्दमान स्टेट से आए कुछ लोगों की संस्था ने की थी। कोलकता की राजकुमारी सरकार की भूमिका इसमें अहम थी। वर्ष 1960 में राजकुमारी कुष्ठ आश्रम देवघर के नाम से संचालित सरकारी अस्पताल में कुष्ठ रोगियों की देखभाल की व्यवस्था हुई।