Bihar Lok Sabha Election 1919: पांचवे चरण में दांव पर VIP सुप्रीमो मुकेश साहनी का भविष्य
Bihr Lok Sabha Election बिहार में सोमवार को लोक सभा की दो सीटों पर VIP के प्रत्याशी मैदान में हैं। सोमवार का मतदान पार्टी सुप्रीमो मुकेश साहनी के लिए महत्वपूर्ण है।
By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 01:22 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 04:50 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण में सोमवार को बिहार के मुजफ्फरपुर, सारण, हाजीपुर, सीतामढ़ी व मधुबनी में मतदान जारी है। इस चरण में बिहार की सियासत में धूमकेतु की तरह चमके विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) की अग्नि परीक्षा है। विदित हो कि वीआइपी मुजफ्फरपुर और मधुबनी में ताल ठाेक रही है। अपनी सियासी जमीन को बचाने के लिए वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहानी के लिए पांचवें चरण के चुनाव में जीत दर्ज करना जरूरी है।
एक की थी उम्मीद, मिलीं तीन सीटें
महागठबंधन में सीट शेयरिंग के दौरान कयास लगाए जा रहे थे कि वीआइपी को केवल एक सीट मिलेगी, लेकिन इस संबंध में घोषणा चौकाने वाली रही। वीआइपी को खगड़िया, मुजफ्फरपुर और मधुबनी सीटें मिलीं। इनमें खगडि़या से खुद पार्टी सुप्रीमो मुकेश साहनी मैदान में हैं। वहां मतदान हो चुका है। जबकि, शेष दो सीटों पर मतदान सोमवार को हो रहा है।
मुजफ्फरपुर में अासान नहीं राह
बात मुजफ्फरपुर की करें तो यहां निषाद मतदाता निर्णायक संख्या में हैं। इस कारण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) व महागठबंधन, दोनों ने निषाद समुदाय के उम्मीदवार ही मैदान में उतारे हैं। राजग से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सिटिंग सांसद अजय निषाद मैदान में हैं तो महागठबंधन की ओर से वीआइपी के राज भूषण चौधरी ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में वीआइपी के लिए इस सीट पर फतह आसान नहीं है।
मुजफ्फरपुर में करीब पौने दो लाख यादव और लगभग ढाई लाख मुस्लिम मतदाताओं से भी वीआइपी को उम्मीद है। वहीं, लगभग चार लाख सवर्ण और ढाई लाख वैश्य मतदाताओं पर भाजपा की नजर है। इसमें महागठबंधन भी सेंधमारी की कोशिश करता रहा है। यहां अनुसूचित जाति और अन्य जातियों के करीब पौने छह लाख मतदाता निर्णायक हो सकते हैं।
मधुबनी में फंसा शकील का पेंच
वीआइपी के लिए मुजफ्फपुर के अलावा मधुबनी सीट भी महत्वपूर्ण है। मधुबनी में वीआइपी के बद्री कुमार पूर्वे मैदान में हैं। उनका मुकाबला पांच बार सांसद रहे (सिटिंग सांसद) हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे व भाजपा प्रत्याशी अशोक यादव से है। यहां कांग्रेस के बागी नेता शकील अहमद निर्दलीय ताल ठोक कर मुकाबले को त्रिपक्षीय बनाते दिख रहे हैं।
इस सीट पर कांग्रेस के बड़े नेता शकील अहमद को टिकट की उम्मीद थी। नहीं मिली तो उन्होंने निर्दलीय ही ताल ठोक दिया है। ऐसे में बद्री कुमार पूर्वे की राह में कांग्रेस के बागी शकील अहमद रोड़ा बनकर खड़े हैं। बड़ा मुस्लिम चेहरा होने के कारण शकील अहमद बद्री पूर्वे के लिए मुकाबला कड़ा बनाते दिख रहे हैं। हालांकि, उन्हें (बद्री पूर्वे को) महागठबंधन के वोट बैंक पर भरोसा है। उधर, अशोक यादव की अपनी राजनीतिक विरासत है। उनके साथ राजग के वोट बैंक का बड़ा आाधार भी है।
जीत पर टिका मुकेश साहनी का भविष्य
वीअाइपी सुप्रीमो मुकेश साहनी के लिए अपनी तीन सीटों पर जीत दर्ज कराना बड़ी सियासी जरूरत है। महागठबंधन की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए उन्हें मुजफ्फरपुर और मधुबनी में किला फतह तो करना ही होगा, खुद भी खगडि़या से जीत दर्ज करनी होगी। मुकेश साहनी अगर इसमें सफल हो जाते हैं तो वे बिहार की राजनीति के धूमकेतु से ध्रुवतारा बनकर चमकनेलगेंगे, यह तय है। ऐसे में पांचवे चरण का मतदान उनकी किस्मत तय करता दिख रहा है।
पहले राजग के थे साथ, अमित शाह के साथ कर चुके प्रचार
मुकेश साहनी को लेकर खास बात यह भी है कि उन्होंने अपनी राजनीतिक शुरुआत 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजग के साथ की थी। तब उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ राजग के लिए चुनाव प्रचार किया था। मुकेश साहनी ने अपने 'निषाद विकास संघ' के बैनर तले राजद के लिए वोट मांगे थे।
राजग नेताओं ने उनसे चुनाव जीतने के बाद निषाद समुदाय की आबादी के एक हिस्से को सरकार में प्रतिनिधित्व देने का वादा किया था, जाे पूरा नहीं हुआ। साहनी ने बिहार की कुल आबादी में निषादों की 14 फीसद हिस्सेदारी का दावा करते हुए निषाद समुदाय को एससी/एसटी का दर्जा देने की मांग की, जो पूरी नहीं हुई। इसके बाद मुकेश सहानी ने 'विकासशील इंसान पार्टी' बनाकर महागठबंधन का दामन थाम लिया।
एक की थी उम्मीद, मिलीं तीन सीटें
महागठबंधन में सीट शेयरिंग के दौरान कयास लगाए जा रहे थे कि वीआइपी को केवल एक सीट मिलेगी, लेकिन इस संबंध में घोषणा चौकाने वाली रही। वीआइपी को खगड़िया, मुजफ्फरपुर और मधुबनी सीटें मिलीं। इनमें खगडि़या से खुद पार्टी सुप्रीमो मुकेश साहनी मैदान में हैं। वहां मतदान हो चुका है। जबकि, शेष दो सीटों पर मतदान सोमवार को हो रहा है।
मुजफ्फरपुर में अासान नहीं राह
बात मुजफ्फरपुर की करें तो यहां निषाद मतदाता निर्णायक संख्या में हैं। इस कारण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) व महागठबंधन, दोनों ने निषाद समुदाय के उम्मीदवार ही मैदान में उतारे हैं। राजग से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सिटिंग सांसद अजय निषाद मैदान में हैं तो महागठबंधन की ओर से वीआइपी के राज भूषण चौधरी ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में वीआइपी के लिए इस सीट पर फतह आसान नहीं है।
मुजफ्फरपुर में करीब पौने दो लाख यादव और लगभग ढाई लाख मुस्लिम मतदाताओं से भी वीआइपी को उम्मीद है। वहीं, लगभग चार लाख सवर्ण और ढाई लाख वैश्य मतदाताओं पर भाजपा की नजर है। इसमें महागठबंधन भी सेंधमारी की कोशिश करता रहा है। यहां अनुसूचित जाति और अन्य जातियों के करीब पौने छह लाख मतदाता निर्णायक हो सकते हैं।
मधुबनी में फंसा शकील का पेंच
वीआइपी के लिए मुजफ्फपुर के अलावा मधुबनी सीट भी महत्वपूर्ण है। मधुबनी में वीआइपी के बद्री कुमार पूर्वे मैदान में हैं। उनका मुकाबला पांच बार सांसद रहे (सिटिंग सांसद) हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे व भाजपा प्रत्याशी अशोक यादव से है। यहां कांग्रेस के बागी नेता शकील अहमद निर्दलीय ताल ठोक कर मुकाबले को त्रिपक्षीय बनाते दिख रहे हैं।
इस सीट पर कांग्रेस के बड़े नेता शकील अहमद को टिकट की उम्मीद थी। नहीं मिली तो उन्होंने निर्दलीय ही ताल ठोक दिया है। ऐसे में बद्री कुमार पूर्वे की राह में कांग्रेस के बागी शकील अहमद रोड़ा बनकर खड़े हैं। बड़ा मुस्लिम चेहरा होने के कारण शकील अहमद बद्री पूर्वे के लिए मुकाबला कड़ा बनाते दिख रहे हैं। हालांकि, उन्हें (बद्री पूर्वे को) महागठबंधन के वोट बैंक पर भरोसा है। उधर, अशोक यादव की अपनी राजनीतिक विरासत है। उनके साथ राजग के वोट बैंक का बड़ा आाधार भी है।
जीत पर टिका मुकेश साहनी का भविष्य
वीअाइपी सुप्रीमो मुकेश साहनी के लिए अपनी तीन सीटों पर जीत दर्ज कराना बड़ी सियासी जरूरत है। महागठबंधन की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए उन्हें मुजफ्फरपुर और मधुबनी में किला फतह तो करना ही होगा, खुद भी खगडि़या से जीत दर्ज करनी होगी। मुकेश साहनी अगर इसमें सफल हो जाते हैं तो वे बिहार की राजनीति के धूमकेतु से ध्रुवतारा बनकर चमकनेलगेंगे, यह तय है। ऐसे में पांचवे चरण का मतदान उनकी किस्मत तय करता दिख रहा है।
पहले राजग के थे साथ, अमित शाह के साथ कर चुके प्रचार
मुकेश साहनी को लेकर खास बात यह भी है कि उन्होंने अपनी राजनीतिक शुरुआत 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजग के साथ की थी। तब उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ राजग के लिए चुनाव प्रचार किया था। मुकेश साहनी ने अपने 'निषाद विकास संघ' के बैनर तले राजद के लिए वोट मांगे थे।
राजग नेताओं ने उनसे चुनाव जीतने के बाद निषाद समुदाय की आबादी के एक हिस्से को सरकार में प्रतिनिधित्व देने का वादा किया था, जाे पूरा नहीं हुआ। साहनी ने बिहार की कुल आबादी में निषादों की 14 फीसद हिस्सेदारी का दावा करते हुए निषाद समुदाय को एससी/एसटी का दर्जा देने की मांग की, जो पूरी नहीं हुई। इसके बाद मुकेश सहानी ने 'विकासशील इंसान पार्टी' बनाकर महागठबंधन का दामन थाम लिया।
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