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Lok Sabha Election 2019: झारखंड के गोड्डा से निर्दलीय लड़ सकते हैं फुरकान, राजद से भी आॅफर

Lok Sabha Election 2019. अभी तक की सूचनाओं के अनुसार उनसे राजद के नेताओं ने भी संपर्क किया है और सभी सीटों पर उम्मीवार उतारने की स्थिति में राजद उन्हें गोड्डा से उतार सकता है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 10:31 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 11:50 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: झारखंड के गोड्डा से निर्दलीय लड़ सकते हैं फुरकान, राजद से भी आॅफर
Lok Sabha Election 2019: झारखंड के गोड्डा से निर्दलीय लड़ सकते हैं फुरकान, राजद से भी आॅफर

रांची, राज्य ब्यूरो। Lok Sabha Election 2019 - कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद फुरकान अंसारी गोड्डा संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर सकते हैं। उनके करीबी लोगों की मानें तो फुरकान महागठबंधन के उम्मीवारों की घोषणा के साथ ही अपनी दावेदारी भी कर सकते हैं। अभी तक की सूचनाओं के अनुसार उनसे राजद के नेताओं ने भी संपर्क किया है और सभी सीटों पर उम्मीवार उतारने की स्थिति में राजद उन्हें गोड्डा से उतार सकता है। ज्ञात हो कि महागठबंधन में यह सीट झाविमो के हिस्से में गई है जहां से प्रदीप यादव के नाम की घोषणा मात्र ही बाकी है।

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बता दें कि बीते दिन कांग्रेस नेता फुरकान अंसारी के बेटे कांग्रेस विधायक डा. इरफान अंसारी ने कहा था कि महागठबंधन में शामिल दल गोड्डा की 18 फीसद आबादी वाले अल्पसंख्यकों को मूर्ख न समझें। खुद का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से इतनी आबादी होने के बावजूद उन्हें नजरअंदाज किया गया, इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पूरा राज्य यह बात अच्छी तरह से जानता है कि बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव आरएसएस की बी टीम हैं और ये कांग्रेस के अस्तित्व को बर्बाद करने आए हैं।

खुद को कांग्रेस का एक सच्चा सिपाही बताते हुए उन्होंने कहा था कि हमने देखा है कि कितनी मुश्किल से पिता फुरकान अंसारी ने कांग्रेस के बुरे समय में पार्टी को सींचा है और एक मजबूत योद्धा बनकर मैदान में डट कर विरोधियों का सामना किया है। जब पूरे देश में मोदी लहर के सामने बड़े-बड़े दिग्गज को हार का मुंह देखना पड़ा, उस समय भी उन्होंने 3.20 लाख वोट लाया। इसके बावजूद उन्हें नजरअंदाज किया जाना सरासर गलत है।

उन्होंने दावा किया दोनों नेता न तो कोडरमा और न ही गोड्डा जीत पाएंगे। महागठबंधन के इस निर्णय से अल्पसंख्यक मायूस हैं। महागठबंधन की तरफ से हमें यह लालच दिया जा रहा है कि एक सीट पर हमें राज्यसभा भेजेंगे, जबकि सच तो यह है कि राजनीति भविष्य पर नहीं होती और कल किसकी सरकार बनेगी, किसका नेतृत्व होगा, वह कोई नहीं जानता। हमें टिकट नहीं दिया गया तो लालच भी नहीं दिया जाए।  


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