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चौथे चरण के लिए 71 सीटों पर मतदान, इन वीवीआइपी सीटों पर है सबकी नजर

चौथे चरण के लिए 29 अप्रैल को 71 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। उत्तर प्रदेश समेत कुल 9 राज्यों में मतदान होगा। चौथे चरण में कई चर्चित चेहरों की किस्मत इवीएम में कैद हो जाएगी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 28 Apr 2019 10:47 AM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2019 10:47 AM (IST)
चौथे चरण के लिए 71 सीटों पर मतदान, इन वीवीआइपी सीटों पर है सबकी नजर
चौथे चरण के लिए 71 सीटों पर मतदान, इन वीवीआइपी सीटों पर है सबकी नजर

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल] । 29 अप्रैल को चौथे चरण में 9 राज्यों की 71 लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। उत्तर प्रदेश की 13, बिहार की 5, जम्मू- कश्मीर की एक, झारखंड की 3, मध्य प्रदेश की 6, महाराष्ट्र की 17, ओडिशा की 6, राजस्थान की 13 और पश्चिम बंगाल की 8 सीटें इनमें शामिल हैं। सात चरणों में हो रहे 17वें लोकसभा चुनाव में कुल 543 सीटों में से 303 सीटों पर मतदान हो चुका है। पहले चरण में 91, दूसरे चरण में 95 और तीसरे चरण में 117 सीटों पर मतदान हुआ था। शेष तीन चरणों का मतदान क्रमश: 6 मई, 12 मई और 19 मई को होगा। 

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उत्तर प्रदेश, 13 सीट
उत्तर प्रदेश के चर्चित चेहरों की बात करें तो, डिंपल यादव, सलमान खुर्शीद, श्रीप्रकाश जायसवाल, सत्यदेव पचौरी और साक्षी महाराज जैसे दिग्गजों के भविष्य का फैसला 29 अप्रैल को इवीएम में बंद हो जाएगा। उत्तर प्रदेश में चौथे चरण में जिन 13 लोकसभा सीटों पर वोट डाले लाएंगे, उसमें कन्नौज को छोड़ 12 सीटें भाजपा के कब्जे में है। कन्नौज से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सांसद हैं। इस चरण में भी कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, पर पाने की बड़ी उम्मीद है।

2009 में क्षेत्र की 13 सीटों में से सात कांग्रेस के पास थीं और सपा ने चार व बसपा ने दो सीटें जीती थीं। अहम बात यह है कि 2014 में 13 में से 12 सीटें कब्जा लेने वाली भाजपा का 2009 में खाता भी न खुला था। चौथे चरण में डिंपल यादव, अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना, सलमान खुर्शीद, श्रीप्रकाश जायसवाल, जफर अली नकवी, अन्नू टंडन और सत्यदेव पचौरी व साक्षी महाराज जैसे बड़े नेताओं के सियासी भविष्य का फैसला होगा। यहां पर 13 में से पांच सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं, जो भाजपा के पास हैं। भाजपा ने पांच में से चार सांसदों के टिकट काट नए चेहरों पर दांव लगाया है।

इटावा में भाजपा का रामशंकर कठेरिया पर दांव
सपा का गढ़ माने जाने वाली इस सीट से कांशीराम भी सांसद रहे हैं। भाजपा ने सांसद अशोक दोहरे का टिकट काट कर आगरा के सांसद रामशंकर कठेरिया पर दांव लगाया है। गठबंधन की ओर से सपा के कमलेश कठेरिया मैदान में हैं। अशोक दोहरे के कांग्रेस से उतरने से मुकाबला रोचक बन गया है।

सीतापुर में भाजपा से अशोक रावत हैं उम्मीदवार
यह सीट भाजपा ने 1996 के बाद 2014 में जीती थी। भाजपा ने सांसद अंजू बाला का टिकट काट दिया है। पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे अशोक रावत को मौका दिया है। गठबंधन ने नीलू सत्यार्थी को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने भाजपा विधायक सुरेश राही की भाभी मंजरी राही को टिकट दिया है।

कानपुर में श्रीप्रकाश जायसवाल की चुनौती भी कम नहीं
भाजपा ने सांसद व पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को टिकट न देकर सत्यदेव पचौरी पर दांव लगाया है। गठबंधन से सपा के रामकुमार उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने तीन बार सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को उम्मीदवार बनाया हैं।

फर्रुखाबाद में त्रिकोणीय लड़ाई में फंसे सलमान खुर्शीद
भाजपा ने सांसद मुकेश राजपूत को फिर से उतारा है। गठबंधन से बसपा ने मनोज अग्रवाल को टिकट दिया है और कांग्रेस ने पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद पर दांव लगाया है। यहां त्रिकोणीय लड़ाई में वोटों के विभाजन पर निगाह लगी है। हरदोई में दिलचस्प संघर्ष: सपा को छोड़ भाजपा में आए नरेश अग्रवाल के दबदबे वाले इस क्षेत्र में भाजपा ने सांसद अंशुल वर्मा के स्थान पर जयप्रकाश रावत को उम्मीदवार बनाया है। सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा भी यहां से सांसद रह चुकी हैं। कांग्रेस ने पूर्व विधायक वीरेंद्र वर्मा को टिकट दिया है।

शाहजहांपुर में भाजपा से अरुण सागर हैं उम्मीदवार
परिसीमन से पहले कांग्रेस के स्व. जितेंद्र प्रसाद यहां से चार बार सांसद रहे हैं। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री कृष्णाराज का टिकट काट बसपा से आए अरुण सागर को उम्मीदवार बनाया है। गठबंधन के प्रत्याशी बसपा के अमर चंद्र जौहर हैं, वहीं कांग्रेस के ब्रह्मस्वरूप सागर मैदान में हैं। इस क्षेत्र में योगी सरकार के वरिष्ठ मंत्री सुरेश खन्ना की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। 

कन्नौज में दांव पर डिंपल की प्रतिष्ठा
लगभग 23 वर्ष से सपा का यहां कब्जा है लेकिन 2014 में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव मात्र 19 हजार वोटों से जीत पाई थीं। गत चुनाव में उप विजेता सुब्रत पाठक को भाजपा ने फिर उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने डिंपल को समर्थन देते हुए अपना प्रत्याशी नहीं उतारा। सीधी लड़ाई का मुकाबला रोचक होगा।

उन्नाव में साक्षी बनाम अरुण शंकर
भाजपा ने सांसद साक्षी महाराज को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने 2009 में सांसद रहीं अन्नू टंडन पर दांव लगाया है। वहीं सपा ने पूर्व विधायक पूजा पाल को पहले टिकट दिया था लेकिन बाद में टिकट काट कर अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना महाराज को उम्मीदवार बनाया है। जिससे इस बार भी लड़ाई त्रिकोणीय है। 

झांसी से भाजपा से अनुराग शर्मा हैं उम्मीदवार
उमा भारती के स्थान पर भाजपा ने पूर्व सांसद विश्वनाथ शर्मा के पुत्र अनुराग शर्मा को टिकट दिया है। गठबंधन ने सपा के श्याम सुंदर यादव को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने जनाधिकारी पार्टी कोटे से पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के भाई शिवशरण को टिकट दिया है।

राजस्थान, 13 सीटें
राजस्थान की 25 में 13 सीटों पर मत पड़ेंगे। इनमें मेवाड़ (उदयपुर संभाग) की 4 और मारवाड़ (जोधपुर संभाग) की 4,अजमेर संभाग की 3 और हाड़ौती (कोटा संभाग) की 2 सीटें शामिल हैं। शेष 12 सीटों के लिए पांचवें चरण में 6 मई को मतदान होगा। मोदी सरकार के दो मंत्रियों, एक मौजूदा और एक पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्रों के साथ ही दोनों ही पार्टियों के दिग्गज प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतदाता 29 को करेंगे।

इनमें जोधपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत और उनके सामने भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे केंद्रीय कृषि मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, झालावाड़-बारां सीट से चौथी बार चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह शामिल हैं। दुष्यंत सिंह के सामने कांग्रेस ने प्रमोद शर्मा को उतारा है। मोदी सरकार में विधि मंत्री पीपी चौधरी के भाग्य का फैसला भी सोमवार को ही होगा,उनका मुकाबला बद्री जाखड़ से है।

प्रदेश की हॉट सीटों में से एक बाड़मेर-जैसलमेर में कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह का मुकाबला भाजपा के कैलाश चौधरी से है। भाजपा ने यहां के वर्तमान सांसद कर्नल सोनाराम का टिकट काटकर पूर्व विधायक चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा के संस्थापकों में शामिल रहे जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में शामिल हुए थे। राजसमंद सीट से जयपुर राजपरिवार की पूर्व सदस्य दीया कुमारी चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के देवकीनंदन गुर्जर से है। मेवाड़ की हॉट सीटों में यह सबसे प्रमुख है।

कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रघुवीर मीणा उदयपुर सीट से मैदान में हैं, उनका मुकाबला भाजपा के अर्जुन मीणा से है। टोंक-सवाई माधोपुर में कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा का मुकाबला भाजपा के सुखबीर सिंह जौनपुरिया से है। वहीं अजमेर में कांग्रेस के रिजु झुनझुनवाला और भाजपा के भागीरथ चौधरी, जालौर में भाजपा के देवजी पटेल एवं कांग्रेस के रतन देवासी, बांसवाड़ा-डूंगरपुर में भाजपा के कनकमल कटारा और कांग्रेस के ताराचंद भगोरा के बीच टक्कर है।

भीलवाड़ा में कांग्रेस के रामलाल शर्मा का मुकाबला भाजपा के सुभाष बहेडिया, कोटा सीट पर भाजपा के ओम बिड़ला का मुकाबला कांग्रेस के रामनारायण मीणा से है। बांसवाड़ा-डूंगरपुर और उदयपुर में भारतीय ट्रायबल पार्टी दोनों प्रमुख दलों के लिए चुनौती बनी हुई है।

मध्य प्रदेश, 06 सीट
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव का आगाज चौथे चरण में हो रहा है। प्रदेश की छह सीटों सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा में 29 अप्रैल को मतदान होगा। इनमें शहडोल, मंडला और बालाघाट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है।

इन छह सीटों पर 108 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है। चुनाव में खास बात यह है कि पांच माह पहले प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने से उसके काम को भी कसौटी पर कसा जा रहा है। भाजपा मोदी सरकार की उपलब्धियों के साथ जनता के बीच जा रही है।

जबलपुर

इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह का मुकाबला देश के जाने-माने वकील और कांग्रेस प्रत्याशी विवेक तन्खा से है। 1996 के बाद लगातार जबलपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा के सांसद रहे हैं। इस लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी सभा की है।

सीधी

कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह ‘राहुल’ का मुकाबला भाजपा की वर्तमान सांसद रीति पाठक से है। सीधी में भाजपा में बगावत दिख रही है। तीन दशक से ज्यादा पार्टी के लिए काम कर चुके नेता, कार्यकर्ता इस्तीफा दे चुके हैं।

शहडोल

आदिवासी बहुल शहडोल सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला है। अंतर्विरोध और चुनौतियों से जूझ रही भाजपा के लिए जहां मोदी फैक्टर बड़ा सहारा है, वहीं कांग्रेस यहां विधानसभा चुनाव में मिली 21 हजार की बढ़त कायम रखने की रणनीति पर काम कर रही है। यहां की भाजपा प्रत्याशी हिमाद्री सिंह उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार चुकी हैं, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार प्रमिला सिंह भाजपा की पूर्व विधायक रही हैं।

मंडला

मंडला संसदीय क्षेत्र आदिवासी बाहुल क्षेत्र है। यहां भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को दोबारा मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला कांग्रेस के नए चेहरे कमल मरावी से है। 1996 में फग्गन सिंह कुलस्ते ने कांग्रेस के इस गढ़ को ढहा दिया। तब से अब तक भाजपा का इस संसदीय सीट पर कब्जा हो गया। इस बीच केवल एक बार 2009 में कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम ने विजय पाई है। विधानसभा चुनावों में इस लोकसभा सीट की आठ में से छह सीट पर कांग्रेस विधायक चुनकर आए हैं।

बालाघाट
वैनगंगा नदी के किनारे दो छोरों में बालाघाट-सिवनी लोकसभा क्षेत्र फैला हुआ है। यहां पर भाजपा ने सांसद बोध सिंह भगत का टिकट काटकर पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर बोध सिंह भगत निर्दलीय मैदान में उतर गए। कांग्रेस ने मधु भगत को प्रत्याशी बनाया है। 1998 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। इस बार त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के लिए सीट बचाना बड़ी चुनौती है।

छिंदवाड़ा
इस सीट पर 39 साल से मुख्यमंत्री कमलनाथ की बादशाहत बरकरार रही है। इस बार उनके बेटे नकुलनाथ मैदान में हैं। नकुलनाथ के लिए भले ही यह पहला चुनाव है, लेकिन पिता की राजनीतिक विरासत उनके काम आ रही है। भाजपा ने यहां आदिवासी कार्ड खेलते हुए जुन्नारदेव के पूर्व विधायक नत्थनशाह कवरेती को मैदान में उतारा है। 

बिहार, 05 सीट
बिहार में चौथे चरण के महासमर में कई चर्चित चेहरे मुकाबले में हैं। बेगूसराय की सीट पर देशभर की नजर है, क्योंकि यहां भाजपा के गिरिराज सिंह का मुकाबला भाकपा के कन्हैया से है। राजद ने यहां तनवीर हसन को उतारकर कन्हैया की मुश्किल बढ़ा दी है। गिरिराज अपने तीखे बयानों की वजह से चर्चित हैं। वह चुनाव उसी तेवर से लड़ रहे हैं, तो कन्हैया के समर्थन में एक वामपंथी धड़ा बेहद सक्रिय रहा है।

उजियारपुर में रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से भिड़ रहे हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय। दरभंगा लोकसभा सीट पर भाजपा के गोपालजी ठाकुर और राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के बीच टक्कर है। दरभंगा वही सीट है जहां पिछली बार कीर्ति झा आजाद भाजपा की ओर से जीते थे लेकिन इस बार कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी उन्हें यहां से लड़ने का मौका नहीं मिला।

समस्तीपुर में मौजूदा सांसद रामचंद्र पासवान और कांग्रेस के अशोक राम ताल ठोक रहे हैं। मुंगेर में जदयू की ओर से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और कांग्रेस की नीलम देवी के बीच कड़े मुकाबले की स्थिति बन रही है। नीलम देवी बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी हैं।

पश्चिम बंगाल, 08 सीट
पश्चिम बंगाल में 29 अप्रैल को चौथे चरण में आठ लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। इस चरण में सिर्फ सियासी दलों की ही नहीं, चुनाव आयोग की भी अग्निपरीक्षा होनी है। इसकी वजह भी है। इन क्षेत्रों में चुनावी हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। खासकर वीरभूम, नदिया, पूर्व व पश्चिम बर्धमान और मुर्शिदाबाद जिले। आयोग ने चौथे चरण में सौ फीसद बूथों पर केंद्रीय बल की तैनाती का निर्णय लिया है, जो पूरे देश में होने वाले चुनाव के लिए रिकॉर्ड होगा। वहीं राजनीतिक दलों के लिए भी यह अग्निपरीक्षा होगी।

आठ में से छह सीटों पर तृणमूल कांग्रेस जबकि एक-एक सीट पर भाजपा व कांग्रेस का कब्जा है। तृणमूल, भाजपा व कांग्र्रेस पर अपनी अपनी सीटें बचाने की चुनौती है। तृणमूल की नजर आठों सीटों पर है। वहीं भाजपा आसनसोल सीट को सुरक्षित करते हुए वीरभूम जिले की दो सीटों वीरभूम व बोलपुर, नदिया जिले की दो सीटों राणाघाट व कृष्णानगर के साथ-साथ बद्र्धमान-दुर्गापुर व बर्धमान पूर्व लोस सीट पर भी नजर लगा रखी है। वहीं तृणमूल आसनसोल व कांग्र्रेस की 1999 से गढ़ रही मुर्शिबाद जिले की बहरमपुर सीट छीनने को आतुर है। यही वजह है कि आसनसोल व बहरमपुर लोकसभा सीटों के लिए मुख्यमंत्री व तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने पूरी ताकत झोंक रखी है। वहीं भाजपा भी पीछे नहीं है।

महाराष्ट्र, 17 सीट
महाराष्ट्र में मुंबई, ठाणे सहित उत्तर महाराष्ट्र की 17 सीटों के लिए 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। ये सभी सीटें फिलहाल भाजपा-शिवसेना गठबंधन के पास हैं। काफी समय से भाजपा-शिवसेना का मजबूत गढ़ रहे उत्तर महाराष्ट्र पर दोबारा कब्जे के लिए भाजपा-शिवसेना गठबंधन कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। चार दिन पहले ही अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस क्षेत्र की दो सीटों नंदुरबार और दिंडोरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो सभाएं हो चुकी हैं।

जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शुक्रवार को नंदुरबार और संगमनेर में चुनावी सभाएं कीं। इसी क्षेत्र में आने वाला नासिक शहर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दिग्गज नेता छगन भुजबल का गृहनगर है। वहां से उनके भतीजे समीर भुजबल राकांपा उम्मीदवार हैं। समीर भी छह माह पहले तक अपने चाचा छगन भुजबल के साथ महाराष्ट्र सदन घोटाले में जेल में थे। फिलहाल चाचा-भतीजा दोनों जमानत पर बाहर हैं।

उत्तर महाराष्ट्र के साथ-साथ मुंबई परिसर में भी रोचक संघर्ष दिखाई दे रहा है। मुंबई की छह सीटों के अलावा ठाणे, कल्याण, भिवंडी और पालघर पर भी फिलहाल भाजपा-शिवसेना गठबंधन का ही कब्जा है। इनमें से ज्यादातर सीटों पर शिवसेना-भाजपा गठबंधन ही पुन: मजबूत दिखाई दे रही हैं, तो उत्तर- पश्चिम मुंबई और दक्षिण मुंबई जैसी चुनिंदा सीटों पर रोचक मुकाबला देखा जा रहा है। शुक्रवार को मुंबई में हुई प्रधानमंत्री की विशाल सभा के बाद गठबंधन उम्मीदवारों के हौसले बुलंद हैं। इससे पहले प्रथम चरण में विदर्भ, दूसरे चरण में मराठवाड़ा और तीसरे चरण में पश्चिम महाराष्ट्र व खानदेश की 31 सीटों के लिए मतदान हो चुका है।

झारखंड, 03 सीट

झारखंड में पहली बार 29 अप्रैल को वोट पड़ेंगे। तीन सीटों लोहरदगा, चतरा और पलामू पर चुनाव होने हैं। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी। लोहरदगा से सुदर्शन भगत, पलामू से बीडी राम और चतरा से सुनील कुमार सिंह चुनाव जीते थे, भाजपा ने तीनों पर विश्वास जताते हुए इन्हें फिर से चुनाव मैदान में उतारा है।

लोहरदगा और पलामू में भाजपा व महागठबंधन की सीधी लड़ाई है। लोहरदगा में केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत ने पिछली बार कांटे की लड़ाई जीती थी। महज छह हजार वोटों से वह कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को हराकर संसद पहुंचे थे। सुदर्शन इस बार भी फंसे हुए हैं। कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बदला है और विधायक सुखदेव भगत को मैदान में उतारा है।

आदिवासी बहुल इस इलाके में लोकसभा सीट की पांचों विधानसभा सीट एसटी के लिए सुरक्षित है। ईसाइयों व मुसलमानों की भी यहां खासी आबादी है। इसी वोट बैंक के दम पर कांग्रेस भाजपा को चुनौती दे रही। भाजपा को भी पता है कि यहां लड़ाई आसान नहीं इसलिए उसने सुदर्शन के समर्थन में अपने ब्रह्मास्त्र नरेंद्र मोदी की यहां सभा कराई। पलामू की बात करें तो यहां बीडी राम का सीधा मुकाबला राजद के घूरन राम से है।

भुइयां वोटरों की अच्छी संख्या के बूते पूर्व मंत्री दुलाइ भुइयां की पत्नी अंजना भुइयां बसपा के टिकट पर ताल ठोंक रही हैं। चतरा में मुकाबला त्रिकोणीय है। यहां महागठबंधन की आपसी सहमति नहीं बनी और राजद से सुभाष यादव व कांग्रेस के मनोज यादव दोनों मैदान में हैं।

भाजपा के सुनील कुमार सिंह इनसे लोहा ले रहे। मुकाबला त्रिकोणीय है। प्रचार की बात करें तो भाजपा ने तीनों सीटों को फिर से जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। मोदी के साथ-साथ राजनाथ सिंह सभा कर चुके हैं। वहीं, महागठबंधन थोड़ा पिछड़ा है। राहुल और प्रियंका गांधी की मांग है लेकिन पहले दौर में प्रचार को वे नहीं आए।


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