LoKSabha election 2019: नई कहानी लिखने को बेताब युवा जोश
17वीं लोकसभा के लिए आगरा मंडल में करीब एक लाख से ज्यादा फर्स्ट वोटर हैं। मताधिकार के इस्तेमाल और नेताओं को लेकर क्या हैं उनके मन में विचार। यही जानने को जागरण ने किया प्रयास।
आगरा, विनीत मिश्रा। वो तरुणाई है बदलाव की। बेहतरी की। इनमें देश का भविष्य निहित है। भावी कर्णधार हैं और इसका उन्हें आभास भी है। नेतृत्व का भार संभालने का जज्बा है। खुद पर इतना भरोसा भी है कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है। 17वीं लोकसभा चुनाव में अपनी महती भूमिका निभाने को न केवल तैयार हैं बल्कि भावावेग भी है। ये भी तय है कि इनका ये भावावेग इस बार नई कहानी जरूर लिखेगा।
लोकसभा के चुनाव में इस बार ब्रज की छह लोकसभा सीटों पर एक लाख से ज्यादा फर्स्ट वोटर भी सहभागिता करने को आतुर हैंं। 18 से 19 आयु वर्ग के ये वोटर भले ही अपने करियर को लेकर जागरूक और चिंतित हैं, मगर देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी पूरी सहभागिता निभाने के आकांक्षी हैं। आगरा में शिक्षा ले रहे मैनपुरी के व्योमेश शुक्ल ने कहा कि वे पहली बार वोट डालने गांव जरूर जाएंगे। वोट कहां डालना है, ये हमें देखना है। और सोच भी लिया है। आगरा में ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे एटा के चंद्रेश राठौर ने कहा कि ये देश का सवाल है, पहली बार वोट देंगे। हम चुनावी घोषणा पत्रों का अध्ययन कर रहे हैं। जो युवा की बात पर अमल करेगा, मेरा वोट उसी को जाएगा। आगरा कॉलेज में एमएससी कर रहे फर्स्ट वोटर आशुतोष चौहान ने कहा कि हम इतिहास पर नहीं जा रहे। जो पार्टी भविष्य के अनुसार युवाओं को तवज्जो देगी, मेरा वोट उसको जाएगा।
पढ़ाई की ही नहीं, राष्ट्र की भी चिंता
चुनावी मौसम में आज का युवा वर्ग क्या सोच रहा है, खुद को कहां पर आंक रहा है? अपने लिए क्या अपेक्षाएं पाली हैं तो देश की दिशा किधर की ओर है? आदि बिंदुओं पर तरुणाई का रुख भांपने के लिए 'जागरण की टीमÓ ने आगरा से जलेसर तक बस में सफर किया।
हम रामबाग स्थित प्राइवेट बस स्टैंड पहुंचे। यात्रियों से खचाखच भरी बस में जैसे-तैसे पैर रखने की जगह मिल पाई। गर्मी में सब पसीने से तर-बतर थे। करीब 40 मिनट के इंतजार के बाद जैसे-तैसे बस आगे बढ़ी। चलती बस में हवा से पसीना सूखा तो यात्री सियासत की बातें भी शुरू हो गईं। बस के गेट के पास खड़े विमल सारस्वत के हाथ में किताबें थीं। कॉलेज से लौट रहे थे। बोले, कौन सा चुनाव, हमें तो अभी पढ़ाई की चिंता और बाद में कमाई की। नेता हमें कुछ नहीं देते। ये बात उनके ही साथी देवेंद्र को अखर गई। एमए कर रहे देवेंद्र बोल पड़े, हमें पढ़ाई-कमाई की फिक्र है, लेकिन उससे ज्यादा चिंता राष्ट्र की भी है। हम युवा हैं, हम पर जिम्मेदारी है। जब पाक पर सर्जिकल व एयर स्ट्राइक हुई, तो हम ही सबसे आगे तिरंगा उठा जिंदाबाद कर रहे थे। फिर चिंता क्यों न करें? कौशल विकास से इलेक्ट्रिक पाट्र्स बनाने का हुनर सीख रहे सोनू यादव बोल उठे, कुछ अच्छा सीख लिए होते, तो अच्छा रोजगार मिलता, बीए तक पढ़ाई करने से जरूरी नहीं कि नौकरी मिल ही जाए। हमें नौकरी नहीं मिलेगी, तो अपना काम करेंगे। चुनावी चर्चा की तरह बस भी लगातार दौड़ रही थी। नीम सराय पहुंची तो सोनू की हां में हां मिलाते आगरा में प्राइवेट नौकरी करने वाले घनश्याम उतरते-उतरते बोल गए- कांग्रेस का घोषणापत्र देखा है, बहुत कुछ है, इस बार आप लोग देखना, तस्वीर बदलेगी। बाकी ये कहकर हंस दिए- 23 मई दूर नहीं। जलेसर जा रहे दिव्यांशु, कौशिक और रतिभान ने बताया वह आगरा में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। पढ़ाई की चिंता जरूर है, लेकिन हम अखबार और टीवी से राजनीति पर भी नजर रखते हैं। वोट देते समय ये भी देखेंगे कि कौन हमारी फिक्र करता है। करीब 45 किमी का सफर तय कर बस जलेसर पहुंच गई, धूप से पारा चढ़ चुका था। बस से उतरते समय भी फक्कन चाचा बोल पड़े- सबने अपनी कह ली, अब हमारी भी सुनो, जीत के दावे सबके गलत हैं। हमारा नंबर लिख लो, चुनाव परिणाम आएं तो बताना। पूछा गया कि होगा क्या? बोले, 23 को ही बताऊंगा।
ये हैं आगरा मंडल में फर्स्ट वोटर
आगरा सुरक्षित- 19000
फतेहपुर सीकरी- 21 हजार
मथुरा- 19139
मैनपुरी-15574
एटा-8060
फीरोजाबाद-25736