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LokSabha Election 2019: धनबाद की पिच पर कीर्ति और पीएन के बीच होगा रोमांचकारी मुकाबला

दिल्ली के गोल मार्केट से विधायक और बिहार के दरभंगा से तीन बार सांसद रहे आजाद क्रिकेट की तरह राजनीति में भी हरफनमौला की छवि बना चुके हैं।

By mritunjayEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 07:37 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 07:37 AM (IST)
LokSabha Election 2019: धनबाद की पिच पर कीर्ति और पीएन के बीच होगा रोमांचकारी मुकाबला
LokSabha Election 2019: धनबाद की पिच पर कीर्ति और पीएन के बीच होगा रोमांचकारी मुकाबला

धनबाद, रोहित कर्ण। पूर्व क्रिकेटर कीर्तिवर्धन भागवत झा आजाद धनबाद से कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। सोमवार की शाम दिल्ली में इसकी आधिकारिक घोषणा हुई। कीर्ति इस बार धनबाद से हैट्रिक बनाने के ख्वाहिशमंद भाजपा सांसद पशुपतिनाथ सिंह के सामने चुनाव मैदान में रहेंगे।

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दिल्ली के गोल मार्केट से विधायक और बिहार के दरभंगा से तीन बार सांसद रहे आजाद क्रिकेट की तरह राजनीति में भी हरफनमौला की छवि बना चुके हैं। अपने जमाने में धुआंधार बल्लेबाजी के लिए मशहूर कीर्ति वरिष्ठ भाजपाई अरुण जेटली पर सीधा हमला करने के कारण चर्चित रहे। और इसी कारण भाजपा से उनकी विदाई भी हुई। दूसरी तरफ ऊपर से सौम्य दिखने वाले पीएन सिंह भी राजनीति के माहिर खिलाडिय़ों में शुमार किए जाते हैं। तीन बार पार्षद, तीन बार विधायक बनने के बाद वे तीसरी बार सांसद बनने का ख्वाब लिए चुनाव मैदान में हैं। कहा तो यही जाता है कि उन्होंने राजनीति में सिर्फ दोस्त ही बनाए हैं। कीर्ति के मैदान में उतरने के पहले ही उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि कांग्रेस ने धनबाद के 22 अभ्यर्थियों को नकार बाहरी को टिकट देना तय किया है। जाहिर है यह असंतोष जितना उभरेगा पीएन उतने ही फायदे में रहेंगे। वे सर्वाधिक वोटों से चुनाव जीतने के रिकॉर्डधारी भी हैं। इन दोनों की भिड़ंत पर देश भर की नजर रहेगी। देखना है कि धनबाद के चुनावी मैदान में पीएन की चतुराई भरी फील्डिंग काम करेगी या कीर्ति धुआंधार बल्लेबाजी कर पाएंगे।

कीर्तिवर्धन झा आजाद का प्रोफाइल

जन्म : दो जनवरी 1959, पूर्णिया (बिहार)

शिक्षा : स्नातक

पत्नी : पूनम आजाद

बच्चे : सौम्या व सूर्य आजाद

पेशा : क्रिकेटर व कमेंटेटर। 1983 विश्वकप विजेता टीम के सदस्य रहे। 

राजनीति : राजनीतिक जीवन की शुरुआत नई दिल्ली से की। 1993 में नई दिल्ली के गोल मार्केट सीट से दिल्ली विधानसभा के सदस्य चुने गए।

सांसद : कीर्ति झा आजाद ने 1999 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट से दरभंगा लोकसभा से पहली बार चुनाव लड़ा और राजद के अली अशरफ फातमी को हराया। वे 2004 के चुनाव में हार गए लेकिन 2009 और 2014 के चुनाव में फिर दरभंगा सीट से जीत हासिल की। 18 मार्च को कांग्रेस में शामिल हुए।

मजबूती : उनके पिता भागवत झा आजाद बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने धनबाद में कोल माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया था। नक्सल क्षेत्रों में विकास कार्य भी करवाए थे। भागवत झा गोड्डा व दुमका से चुनाव लड़े तो टुंडी व निरसा इलाका उसके लोकसभा क्षेत्र में आता था। जातिगत समीकरण, सेलिब्रिटी की छवि व अल्पसंख्यक वोट भी मददगार हो सकते हैं। इस बार मासस व झाविमो भी प्रत्याशी नहीं दे रहे लिहाजा उनके वोटों का ध्रुवीकरण होने की भी संभावना।

कमजोरी : धनबाद जिला से बिल्कुल नावाकिफ हैं। इस बार कांग्र्रेस के 22 उम्मीदवार धनबाद से टिकट की आशा में थे। उन्हें मायूसी हाथ लगी है और बाहरी उम्मीदवार होने के कारण झा को भितरघात की भी आशंका है। प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकॉर्डधारी व सिद्धहस्त राजनीतिज्ञ की छवि वाला भी है।

सांसद पीएन सिंह का प्रोफाइल

जन्म : 11 जुलाई 1949, लखनपुर, पटना

शिक्षा : स्नातक

पत्नी : मीरा सिंह

संतान : दो पुत्र प्रशांत कुमार सिंह व प्रवीण प्रियदर्शी व पुत्री ज्योत्सना सिंह

राजनीतिक जीवन : वर्ष 1978 से 1994 तक लगातार तीन बार धनबाद नगरपालिका के पार्षद रहे।

विधायक : भारतीय जनता पार्टी से 1995 में धनबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने। वे 2004 तक लगातार तीन बार विधायक रहे। राज्य सरकार में मानव संसाधन व उद्योग मंत्री भी रहे।

सांसद : पशुपतिनाथ सिंह ने 2009 में चंद्रशेखर दुबे को शिकस्त देकर पहली बार लोकसभा की सदस्यता हासिल की। 2014 में दो लाख 92 हजार से अधिक वोट लाकर सर्वाधिक मतों से जीतनेवाले सांसद का रिकॉर्ड बनाया।

मजबूती : मिलनसार व्यक्तित्व, मृदुभाषी व मतदाताओं की नब्ज पकडऩे में माहिर। सभी दलों के नेताओं से अच्छे संबंध। अजातशत्रु की छवि। जिला संगठन पर भी मजबूत पकड़।

कमजोरी : एंटी इंकंबेंसी फैक्टर का हो सकता नुकसान। बिजली-पानी व स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था के प्रति लोगों की नाराजगी का पड़ सकता असर। इस चुनाव में महागठबंधन में मासस और झाविमो के वोटों का हो सकता ध्रुवीकरण। सिद्धार्थ खड़े हुए तो पॉकेट वोटों में सेंधमारी का भी खतरा।


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