2009 में बना था फतेहगढ़ साहिब लोकसभा क्षेत्र, पहली बार कांग्रेस व दूसरी बार 'आप' ने की थी जीत दर्ज
फतेहगढ़ साहिब 2009 में लोकसभा क्षेत्र बना। श्री गुरुगोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह (9) बाबा फतेह सिंह (7) ने इसी धरती पर शहादत पाई थी।
जेएनएन, फतेहगढ़ साहिब। श्री गुरुगोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह (9) बाबा फतेह सिंह (7) ने इसी धरती पर शहादत पाई थी। 1992 में यह जिला वजूद में आया। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह ने छोटे साहिबजादे बाबा फतेह सिंह जी के नाम पर इसका नाम रखा था। 2009 में इसे लोकसभा हलके का दर्जा मिला।
एशिया की बड़ी लोहा मंडियों में शुमार मंडी गोबिंदगढ़ इसी हलके में है। कांग्रेस के सुखदेव सिंह लिबड़ा पहले सांसद बने थे। 2009 से पहले फतेहगढ़ साहिब रोपड़ हलके में आता था। 2014 में यहां आम आदमी पार्टी के हरिंदर सिंह खालसा सांसद बने। लोग सभी पार्टियों को आजमाते रहे हैं। फतेहगढ़ साहिब हलके में लुधियाना और संगरूर जिलों के कुछ विधानसभा क्षेत्र भी शामिल हैं। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। ज्यादातर लोग श्रमिक हैं या छोटा कारोबार करते हैं।
विधानसभा हलकों में किसका दबदबा
- बस्सी पठाना- कांग्रेस
- फतेहगढ़ साहिब- कांग्रेस
- अमलोह- कांग्रेस
- खन्ना- कांग्रेस
- समराला- कांग्रेस
- पायल- कांग्रेस
- साहनेवाल- शिअद
- रायकोट- आप
- अमरगढ़- कांग्रेस
डेमोग्राफी
कुल वोटर्स: 1207556
पुरुष वोटर्स: 634341
महिला वोटर्स: 573215
पांच साल में बड़ी घटना
31 जुलाई, 2013 की रात दिल्ली से अमृतसर जा रही बस सरहिंद इलाके से गुजरती भाखड़ा नहर में गिर गई थी। इसमें सवार सभी लोग मारे गए। हालांकि, सही संख्या आज तक पता नहीं चल पाई।
विकास का हाल
विकास की दृष्टि से फतेहगढ़ साहिब लोकसभा काफी पिछड़ा है। मंडी गोबिंदगढ़ की कई इकाइयां बंद होने के कारण बेरोजगारी बहुत है। मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है।
स्थानीय मुद्दे
- बढ़ती बेरोजगारी।
- कमजोर सेहत सेवाएं।
- बीपीएल परिवारों की बदहाल स्थिति।
- केंद्रीय योजनाओं का लाभ न मिलना।