धर्मनगरी ने अपनों को छोड़कर बाहरी प्रत्याशियों को पढ़ाया गीता का पाठ
15 बार के लोकसभा के चुनावों में दस बार कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से बाहरी उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। हर बार बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा जोरों पर उठता है।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, [सतीश चौहान]। कुरुक्षेत्र लोकसभा के मतदाता लोकसभा के चुनावों में अपनों को छोड़ बाहरी उम्मीदवारों को अधिक पसंद करते आए हैं। आजादी के बाद पहले कैथल और बाद में कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में होने वाले चुनावों में मतदाताओं ने जहां अपने उम्मीदवारों पर सितम किए हैं वहीं बाहरी उम्मीदवारों की खूब आवाभगत की। कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र का इतिहास देखें तो अब तक के 15 चुनावों में 10 बार बाहर के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है और मात्र पांच बार ही मतदाताओं ने लोकल उम्मीदवारों को सबसे बड़ी संसद में पहुंचाया।
प्रदेश व देश में धर्मनगरी से विख्यात कुरुक्षेत्र वैसे तो शिक्षा का केंद्र ङ्क्षबदू रहा है और यहां के लोगों को हरियाणा में काफी तेजतर्रार माना जाता है, लेकिन कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र के लोगों ने कभी भी अपने नेता को इतना बड़ा नहीं होने दिया कि वो बार-बार चुनाव जीत सके। जिसके कारण हर बार राष्ट्रीय पार्टियां भी बाहरी उम्मीदवार को देती रही हैं।
पहले चुनाव से हो गया था ये सिलसिला शुरू
दूसरी लोकसभा में कैथल लोकसभा क्षेत्र के नाम से कुरुक्षेत्र की जनता ने अलग से अपना एमपी चुना था। 1957 में दूसरी लोकसभा में कांग्रेस के उम्मीदवार मूल चंद जैन ने जीत दर्ज की। मूलचंद जैन सोनीपत जिले के गांव सिकंदरपुर के निवासी थे। तीसरी लोकसभा में इसके बाद चौथी लोकसभा में पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा गुजरात से आए और यहां से लगातार दो बार सांसद बने। इसके अलावा मनोहर लाल सैनी महेंद्रगढ़ के नारनोल से, सरदार तारा सिंह करनाल से, ओपी जिंदल हिसार से, नवीन जिंदल भी हिसार और राजकुमार सैनी नारायणगढ़ अंबाला से कुरुक्षेत्र में चुनाव लडऩे आए थे।
पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा, सांसद राजकुमार सैनी, पूर्व सांसद नवीन जिंदल।
राष्ट्रीय पार्टियों ने कम दी लोकल को तरजीह
कुरुक्षेत्र में टिकट वितरण में राष्ट्रीय पार्टियों ने बाहरी उम्मीदवारों को ज्यादा तरजीह दी है। जिनमें कांग्रेस ने सबसे अधिक बाहरी उम्मीदवार दिए, इसके अलावा भाजपा और जनता ने भी बाहरी उम्मीदवारों पर एक-एक बार दांव खेला है। इंडियन नेशनल लोकदल की ओर से एक बार अभय चौटाला को छोड़ दें तो हर बार लोकल उम्मीदवार को टिकट दी है।
ओपी जिंदल।
इस बार भाजपा ने भी खेला लोकल कार्ड
इस बार भाजपा ने भी कुरुक्षेत्र में बाहरी उम्मीदवार देने की बजाए लोकल उम्मीदवार पर ही दांव लगाया है। हालांकि लोग अभी तक ये मानते रहे हैं कि भाजपा के उम्मीदवार नायब सिंह सैनी नारायणगढ़ के हैं, लेकिन जिस प्रकार उन्होंने पहले ही दिन से अपने गांव मंगौली जाटान में जाकर लोगों का प्रेम हासिल किया तो विपक्षियों को हैरानी हुई और अब उनके हाथ में ये मुद्दा भी जाता रहा। वहीं अगर कांग्रेस से नवीन ङ्क्षजदल को उम्मीदवार घोषित किया जाता है तो वे बाहरी उम्मीदवार होंगे। नायब सिंह सैनी बेशक नारायणगढ़ में रहते हों, लेकिन गांव मंगौली जाटान में उनके नाम जमीन है और गांव के गौरव पट्ट पर भी उनका नाम है।