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Lok Sabha Election 2019 : पीएम आवास से उम्मीदें अपार, अभी बने सिर्फ दो चार, GROUND REPORT

Lok Sabha Election 2019. झारखंड-ओडिशा की सीमा पर स्थित है बैतरणी नदी के तट पर रामरेखा तीर्थ। भगवान राम अपने 14 साल के वनवास के दौरान यहां आए थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 02:42 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 08:55 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : पीएम आवास से उम्मीदें अपार, अभी बने सिर्फ दो चार, GROUND REPORT
Lok Sabha Election 2019 : पीएम आवास से उम्मीदें अपार, अभी बने सिर्फ दो चार, GROUND REPORT

जैंतगढ़ (चाईबासा) से उत्तम नाथ पाठक। Lok Sabha Election 2019 झारखंड-ओडिशा की सीमा पर स्थित है बैतरणी नदी के तट पर रामरेखा तीर्थ। भगवान राम अपने 14 साल के वनवास के दौरान यहां आए थे। आज भी उनके चरणों के निशान यहां मौजूद हैं। उनके पदचिह्न  झारखंड-ओडिशा समेत सभी हिंदुओं के लिए आस्था का केंद्र है। इससे कुछ किमी पास है झारखंड का अंतिम गांव सियालजोरा, लोकसभा क्षेत्र सिंहभूम। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का संसदीय क्षेत्र। तपती धूप में दैनिक जागरण की टीम जब केंद्रीय योजनाओं की पड़ताल करने गांव पहुंची तो तो मीडिया का नाम सुनते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। बीपीएल व अंत्योदय योजना के लाभुकों के बहुल इस गांव में हर कोई बहुत कुछ कहना चाहता था। इनमें सबसे आगे थी महिलाएं, जिनकी अपेक्षाओं व उम्मीदों में सबसे पहले थी एक पक्की छत वाला घर।

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योजनाओं के संबंध में बात की शुरुआत करते ही भीड़ में खड़ी ज्योतिपाल बोल उठी मुझे पीएम आवास योजना के तहत घर नहीं मिला है। कुछ कीजिए, बहुत ज्यादा दिक्कत है। ज्योतिपाल की बात खत्म होती उससे पहले उसके पास खड़ी मारगबी महतो, सुम्बारी महतो, श्रीदेवी गोप समेत दर्जन भर से अधिक महिलाएं एक साथ बोल बैठीं बाबू पीएम आवास के तहत घर नहीं मिला है। गांव में पीएम आवास योजना के तहत जो पांच-दस घर बने हैं वह मुखिया ने अपने टोले में बनवा दिए हैं। पास ही खड़ी वार्ड सदस्य मीना महतो से जब पूछा तो बोलीं दस लोगों का घर बना है। दस का और बनना है। वार्ड सदस्य की बात बीच में काटते हुए लालमणि महतो ओडिय़ा में कहती हैं कि मेरा घर तो बाबू मिट्टी का है, उसका छत भी टूट गया है। लेकिन कोई ध्यान ही नहीं देता है। मालती महतो कहती है मैंने तो चार बार आवेदन दिया, ब्लॉक तक मैं दौड़ती रही, लेकिन आवास अब तक नहीं मिला। मुखिया व अन्य लोग कहते हैं कि एक बार में दस से ज्यादा लोगों को घर नहीं हो मिल सकता। मोदी जी ने इतनी अच्छी योजना लागू की है लेकिन हमें उसका लाभ ही नहीं मिले तो क्या फायदा। सरकार सिर्फ घोषणाएं ही नहीं करे, जमीन पर उसे उतारे भी। 

4600 रुपये में बने शौचालय बेकार, सबको है नये की दरकार

गांव में जब लोगों से यह पूछा कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत आपके यहां शौचालय बना। एक सुर में पहले सबने नकारा। हतप्रभ होकर पूछा कि ये कैसे हो सकता है तो ज्योति पाल बोलीं, कुछ लोगों का बना है हमलोगों का नहीं।  केतकी रजक, सुमति महतो, प्रमिला महतो कहती हैं कि 4600 रुपये वाले शौचालय सबके लिए बने। सिर्फ दो दीवारें खड़ी कर दी गईं। सीट डाल दिया गया। टंकी भी नहीं बनाया। सभी शौचालय टूट गए हैं। सब बेकार है। हमलोगों का नया शौचालय बनना चाहिए। ज्योति कहती हैं बरसात में बहुत परेशानी होती है। इसी बीच एक महिला सौदामुनि महतो पते की बात कह जाती है। लोग खुद भी अपने घर में टंकी अपने श्रम से बना सकते हैं। जागरूक तो खुद होना होगा। कैलाशी महतो कहती हैं मेरे यहां बना है उपयोग कर रहे हैं। 

उज्ज्वला योजना ने बिखेरी मुस्कान 

उज्ज्वला योजना के तहत अधिकतर महिलाओं को गैस चूल्हा व सिलिंडर मिल गया है। इसी बीच सुम्बारी महतो कहती हैं। मुझे तो नहीं मिला कैसे मिलेगा। उसकी बात काटते हुए भानुमति महतो कहती हैं कुछ ही लोगों को नहीं मिला है। लगभग सभी को मिल चुका है। गैस मिलने के कारण अब रसोई बनाने में दिक्कत नहीं होती है। पहले जलावन में बहुत परेशानी होती थी। इसी तरह यहां आयुष्मान योजना भी प्रभावी है। 80 फीसद लोगों का गोल्डन कार्ड बन चुका है। इन योजनाओं से खुश महिलाओं को यह भी पता है कि इसका फायदा उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण मिला है। कहती हैं, पहली बार हम गरीबों की सुनने वाला पीएम मिला है। उन्होंने हमारा दिल जीत लिया है। 

ग्राउंड रिपोर्ट

  • एक हजार की आबादी वाले गांव में पीएम आवास के तहत सिर्फ दस लोगों के बने आवास
  • घोषणाएं पूरी न होने से थोड़ी नाराजगी 
  • उज्ज्वला का फायदा और शौचालय मिलने से खुश भी हैं महिलाएं 
  • सुदूर गांवों तक यह बात पहुंची है कि योजनाओं का लाभ उन्हें मोदी ने दिलाया है

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