Lok Sabha Election: रोजगार और सुरक्षा, जानिए क्या है ट्रेन में यात्रियों की रायशुमारी
देश के विकास से लेकर सुरक्षा और खेती-किसानी पर भी रहे चर्चा के विषय।
आगरा, पुनीत रावत। ब्रज क्षेत्र की छह लोकसभा सीटों में तीसरे चरण का मतदान 23 अप्रैल को होना है। मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। तिराहा हो या चौराहा, चाय-पान का खोखा हो या मार्केट, बस हो या ट्रेन, चुनावी चर्चा लाजिमी है। एक ही चर्चा है, किसकी बनेगी सरकार। कोई कमल खिलाने की बातें करता नजर आता है तो कोई गठबंधन को मजबूत गठजोड़ बताता है। सबके अपने-अपने दावे और तर्क हैं। टूंडला से एटा जा रही दैनिक पैसेंजर ट्रेन में यही जानने के लिए जागरण ने सफर किया।
दोपहर करीब एक बजे टूंडला रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर टूंडला-एटा पैसेंजर खड़ी थी। ट्रेन में इलेक्ट्रिक इंजन हटाकर डीजल लगाया जा रहा था। (टूंडला से एटा रूट का विद्युतीकरण नहीं है।) कुछ यात्री ट्रेन के सामने प्लेटफार्म पर खड़े चुनावी चर्चा में मशगूल थे। इसी बीच ट्रेन का हॉर्न गूंजा और सब उसमें सवार हो गए। अरे, ये क्या? हॉर्न ट्रेन में इलेक्ट्रिक इंजन का था जो ट्रेन को छोड़कर जा रहा था। हालांकि अब जल्द ही ट्रेन के रवाना होने का संकेत मान लोग बोगी में जाकर बैठ गए।
‘जागरण’ भी इस बोगी में पहुंच गया और छेड़ दी अपनी बात- आप लोग अभी चुनाव की चर्चा कर रहे थे? इसके बाद छिड़ गया चुनावी संग्राम। टूंडला से बरहन जाने के लिए बैठे शिवेंद्र सिंह बोले-चुनाव में कुछ नहीं है। इस बार भाजपा तो मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है। अभी उन्हें पांच वर्ष और मिलने चाहिए। क्यों भाई, आपकी क्या राय है? एटा के लिए सवार हुए बीए द्वितीय वर्ष के छात्र आकाश यादव का जवाब आया कि युवाओं को नौकरी तो मिली ही नहीं। दो करोड़ नौकरी हर वर्ष देने का वादा अधूरा रह गया। तभी अवागढ़ जा रहीं सुनीता बोल उठीं, सरकार के घोषणा पत्र में भाजपा ने महिला सुरक्षा की बात कही थी। प्रयास तो हुए लेकिन महिलाएं पूरी तरह से आज भी सुरक्षित नहीं है। सरकार ऐसी हो जो हमारे बेटे और बेटियों को रोजगार देने का काम करे। सबकी बात सुन रहे किसान योगेंद्र सिंह कैसे खामोश रहते, सो बोल उठे-भाई मोदी के आने के बाद तो किसान भी हाईटेक हो गया। ऑनलाइन फसल बेच रहा है और पैसा सीधा खाते में आने लगा है। दो हजार भी मिले हैं। पास की सीट पर बैठा मोनू यादव बोले, सब झूठे वादे थे। अखिलेश का विकास बोलता था। अब तो कोरे वादे होते हैं। गठबंधन दिखाएगा सरकार कैसे चलती है। तभी 65 वर्ष के भूरे लाल उखड़ गए-बेटा चुप है जा गठबंधन को कितनी सीटें मिलेंगी। का उत्तर-प्रदेश में जीत कै ही दिल्ली में सरकार बनाय लेगो। मोदी प्रधानमंत्री बनने को लड़ रहो है और सब हरायबे कूं। इसी बीच कांग्रेस की बात चली तो प्रियंका गांधी की चर्चा होना लाजिमी था। मगर बात यह आई कि फीरोजाबाद और एटा ते तो कांग्रेस लड़ई न रई। वहीं मायावती की ताकत दिखने की उम्मीदें भी जताई गईं।