Election 2019: निर्वाचन उपायुक्त ने की प. बंगाल के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात
भाजपा के ओर से प. बंगाल के सभी 77000 बूथों को अति संवेदनशील घोषित किए जाने की मांग चुनाव आयोग के समक्ष रखी है। ऐसे में चुनाव आयोग पर निर्भर करता कि इस पर क्या फैसलालेता है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में चुनाव तैयारियों की समीक्षा करने निर्वाचन उपायुक्त सुदीप जैन के नेतृत्व में आयोग की एक टीम शनिवार सुबह कोलकाता पहुंची। प्रथम चरण में आयोग के अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल के विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ मुलाकात की इस दौरान राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी बातें निर्वाचन उपायुक्त के समक्ष रखी है।
एक बार फिर भाजपा ने पश्चिम बंगाल के सभी मतदान केंद्रों को अति संवेदनशील घोषित करने की अपील चुनाव आयोग से की है। तो वहीं, तृणमूल ने पलटवार करते हुए कहा है कि अपनी कमजोरी छुपाने को भाजपा आयोग का सहारा ले रही है।
उल्लेखनीय है कि राजनीतिक दलों के साथ बैठक के बाद सुदीप जैन राज्य के जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और आयुक्तों के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, एडीजी कानून-व्यवस्था व अन्य राज्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी बैठक कर स्थिति की समीक्षा करेंगे।
कमजोरी छुपाने को आयोग का सहारा ले रही है भाजपा
निर्वाचन उपायुक्त के साथ बैठक समाप्त कर पत्रकारों से मुखातिब तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी ने भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि वे कमजोरी छुपाने को बार-बार आयोग का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस राज्य में विकास व शांतिपूर्ण माहौल के बावजूद वे (भाजपा) अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए ही ऐसा कर रहे हैं। बकौल पार्थ वे पहले भी विभिन्न प्रकार का झूठ और पाखंड का सहारा लेकर कभी कोर्ट तो कभी राज्य चुनाव आयोग तो कभी दिल्ली में चुनाव आयोग से मिलते रहे हैं लेकिन उन्हें इस बात से सबक लेना चाहिए कि उनके झूठ सबके समक्ष उजागर हो चुके हैं। पार्थ ने कहा कि उनके लगाए गए सभी झूठे आरोपों को बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था। इस बार भी हम देख रहे हैं कि वे ऐसा कर रहे हैं, इसके पीछे वजह यही है कि उन्हें मालूम है कि बंगाल की जनता उन्हें नकार चुकी है।
बंगाल पुलिस का कर दिया गया है राजनीतिकरण
बातचीत में भाजपा नेता मुकुल राय ने कहा कि राज्य की जनता विगत चुनाव को देखते हुए बंगाल पुलिस पर विश्वास नहीं कर पा रही है क्योंकि जनता का विश्वास पुलिस पर से उठ गया है। उन्होंने राज्य पुलिस को पूरी तरह से राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमने चुनाव आयोग से एक बार फिर पश्चिम बंगाल के सभी मतदान केंद्रों को अति संवेदनशील घोषित करने की अपील की है। अब यह आयोग पर निर्भर करता है कि आयोग क्या फैसला लेता है लेकिन इतना स्पष्ट है कि हम चाहते हैं कि सभी बूथों को केंद्रीय बलों की निगरानी में रखा जाए और सभी बूथों को सुपर सेंसिटिव घोषित किया जाए।
निर्वाचन उपायुक्त के दौरे को रूटिंग सफर नहीं मान रहे राजनीतिक पर्यवेक्षक
अमूमन यह होता है कि चुनाव तारीख घोषित किए जाने के बाद चुनाव आयोग की टीम विभिन्न राज्यों का दौरा करती है और चुनाव आयोग की टीम चुनाव की तैयारियों पर समीक्षा बैठक भी करती है। चुनाव आयोग सूत्रों का कहना है कि निर्वाचन उपायुक्त का यह दौरा महज एक रूटीन सफर है लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षक निर्वाचन उपायुक्त के इस सफर को रूटीन सफर नहीं मानते। दरअसल राज्य के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो उपचुनाव से लेकर पंचायत चुनाव तक में हिंसा देखने को मिली थी। सूत्रों की मानें तो पश्चिम बंगाल के विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत बार बार की है। इसके लिए विपक्षी दलों की ओर से ऑडियो वीडियो और कागजी तौर पर आयोग को सबूत भी सौंपे गए हैं। दो दिन पहले ही केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला था और पश्चिम बंगाल को अतिसंवेदनशील राज्य घोषित करने की आवेदन की थी। ऐसे में राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है की चुनाव आयुक्त का यह सफर रूटीन नहीं है।
सीएपीएफ के तैनाती को संबंधित मतदान केंद्र का अतिसंवेदनशील घोषित किया जाना होता है अनिवार्य
लोकसभा चुनाव देशभर में विभिन्न चरणों में कराया जाता है। ऐसे में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की भारी आवश्यकता होती है। ऐसे में सभी जगह केवल सीएपीएफ की तैनाती संभव नहीं। जानकारों की राय में उसी बूथ पर केवल केंद्रीय बलों की तैनाती होती है जिसे संवेदनशील की श्रेणी में रखा जाता है। यहां बता दें कि भाजपा के अलावा बंगाल कांग्रेस की ओर से पश्चिम बंगाल के सभी 77,000 बूथों को अति संवेदनशील घोषित किए जाने की मांग चुनाव आयोग के समक्ष रखी जा चुकी है । ऐसे में अब यह चुनाव आयोग पर निर्भर करता है कि आयोग इस पर क्या फैसला लेता है।