Lok Sabha Election 2019: चुनाव आयोग कर रहा कई नई पहल, बदलेगा मतदान का अनुभव
चुनाव आयोग इस बार जहां प्रत्याशियों पर ज्यादा नकेल कसेगा वहीं मतदाताओं की सहूलियतें भी बढ़ाई जा रही हैं। चुनाव की पारदर्शिता बरकरार रखने के लिए भी आयोग जनता का सहयोग लेगा।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर एक तरफ राजनीतिक पार्टियों की तैयारियां जोरों पर है, दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने भी निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कमर कस ली है। आयोग की चुनौती चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के साथ ही इसे वोटर फ्रैंडली बनाने की भी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग आसानी से मतदान कर सकें। इसके लिए चुनाव आयोग अक्सर कुछ नए प्रयोग करता है। इस बार भी चुनाव आयोग 10 नई पहल करने जा रहा है और उसे भरोसा है कि ये नई शुरूआत मतदाताओं का चुनावी अनुभव बदल देगी। आइये जानते हैं, ऐसी ही कुछ नई शुरूआतों के बारे में...
1. उम्मीदवारों की तस्वीर
चुनाव आयोग पहली बार वोटिंग मशीन में उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह के साथ उनकी फोटो का भी इस्तेमाल करने जा रहा है। चुनाव आयोग ने ये फैसला अनपढ़ मतदाताओं की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए लिया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार देश में तकरीबन 30 करोड़ मतदाता निरक्षर हैं।
2. वोटिंग मशीन ले जाने वाले वाहनों की होगी निगरानी
चुनाव में किसी तरह की धांधली की आशंका और वोटिंग मशीनों की सुरक्षा को देखते हुए चुनाव आयोग ने फैसला लिया है कि इस बार वोटिंग मशीन ले जाने वाले सभी वाहनों को जीपीएस से लैस किया जाएगा।
3. मतदान की पर्ची
मतदान में धांधली रोकने और वोटिंग मशीन में किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका को दूर करने के लिए इस बार मतदाता को वोट डालने के बाद एक पर्ची भी दी जाएगी। इससे मतदाता को पता चलेगा कि उसका वोट पड़ा है या नहीं। इसके जरिए आयोग EVM गड़बड़ी की आशंकाओं को भी दूर कर सकेगा।
4. खुद पर लगे आरोपों का प्रचार करेंगे प्रत्याशी
ये पहली बार होगा कि प्रत्याशी खुद को जिताने की अपील के साथ ही खुद पर लगे आरोपों का भी प्रचार करेंगे। चुनाव सुधार की दिशा में इसे एक क्रांतिकारी शुरूआत मानी जा रही है। चुनाव आयोग के अनुसार मौजूदा समय में 186 सांसदों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें से 112 सांसदों पर हत्या और बलात्कार जैसे आरोप लगे हैं। ऐसे प्रत्याशियों को अब अपने लोकसभा क्षेत्र में खुद पर लगे आरोपों का प्रचार करने के लिए कम से कम तीन समाचार पत्र या टेलीविजन पर विज्ञापन देना होगा।
5. आय व संपत्ति का पूरा ब्यौरा
इस बार प्रत्याशियों को अपने पिछले पांच साल का आयकर रिटर्न सार्वजनिक करना अनिवार्य है। साथ ही प्रत्याशियों को विदेश में अपनी व रिश्तेदारों की संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा भी अनिवार्य रूप से देना होगा। ऐसा न करने पर उनका नामांकन निरस्त किया जा सकता है।
6. ऐप से सीधे चुनाव आयोग को करें शिकायत
चुनाव आयोग ने इस बार वेब कैम के जरिए पांच हजार संवेदनशील मतदान केंद्रों और मतगणना स्थलों पर नजर रखने का निर्णय लिया है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर वेबकैम के जरिए इनकी लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी। हालांकि चुनाव आयोग पहले भी ऐसा प्रयोग कर चुका है। इस बार चुनाव आयोग आम लोगों की मदद से भी मतदान स्थलों पर नजर रखेगा। इसके लिए चुनाव आयोग ने खास ऐप ‘Voter Helpline’ तैयार किया है। इस ऐप की मदद से लोग संबंधित फोटो या वीडियो सहित सीधे चुनाव आयोग से शिकायत कर सकते हैं। चुनाव आयोग की वेबसाइट से क्यूआर कोड स्कैन कर या प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड किया जा सकता है। ऐस के जरिए मिलने वाली शिकायत पर 100 मिनट के भीतर संबंधित निर्वाचन अधिकारी को कार्रवाई करनी होगी।
7. फीडबैक भी दे सकेंगे
चुनाव आयोग ने इस बार मतदाताओं के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन 1950 भी शुरू की है। इस नंबर पर फोन कर वोटर, मतदान से जुड़ा अपना फीडबैक, शिकायत या अन्य जानकारी चुनाव आयोग को दे सकता है।
8. सोशल मीडिया अकाउंट
चुनाव आयोग इस बार सोशल मीडिया पर भी बारीक नजर रखे हुए है। इसके लिए आयोग नामांकन के वक्त प्रत्याशियों से चुनावी दस्तावेजों के साथ उससे संबंधित सोशल मीडिया अकाउंट्स की भी पूरी जानकारी लेगा। इसके जरिए आयोग चुनाव में सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाएगा।
9. ऑनलाइन विज्ञापन खर्च
चुनाव आयोग प्रत्येक वर्ष प्रत्याशियों के चुनावी खर्चे पर भी नजर रखता है। इसमें उसकी जनसभाएं, चुनावी दौरे, काफिले, रैलियों, पोस्टर-बैनर और समाचार पत्र, मैग्जीन, वॉल पेंटिंग व टेलीविजन आदि पर विज्ञापन का खर्च जुड़ता है। पहली बार चुनाव आयोग प्रत्याशियों के सोशल मीडिया विज्ञापन पर भी नजर रखेगा। इसे भी प्रत्याशी अथवा राजनीतिक पार्टी के खर्च में शामिल किया जाएगा।
10. सोशल मीडिया ने ली जिम्मेदारी
फेसबुक, ट्वीटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया ने भी पहली बार चुनाव में अपनी जिम्मेदारी निभाने की पहल की है। इनकी तरफ से अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर गलत खबरें या जानकारियों को रोकने का विशेष अभियान शुरू किया गया है। साथ ही राजनीतिक पार्टियों के विज्ञापन में पारदर्शिता बरतने का दावा किया गया है। फेसबुक ने साफ किया है कि चुनावी पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से वह राजनीतिक विज्ञापनों में उसे छपवाने वाले का ब्यौरा भी देगा। इंस्टाग्राम ने भी आयोग को ऐसी नीति पर काम करने का भरोसा दिलाया है।
11. थर्ड जेंडर को मिली पहचान
ये पहली बार होगा जब थर्ड जेंडर अपनी असली पहचान के साथ अपने मताधिकारों का प्रयोग करेंगे। इस बार 39,000 मतदाताओं ने खुद को थर्ड जेंडर के तौर पर मतदाता सूची में नामित कराया है। एक अनुमान के अनुसार देश में थर्ड जेंडर्स की आबादी तकरीबन 50 हजार है। अब तक इन लोगों को स्त्री या पुरुष वर्ग में खुद को मतदाता सूची में शामिल कराना होता था।
12. महिला विशेष बूथ
मतदाताओं की सुविधा के लिए चुनाव आयोग कई पहल कर रहा है, ऐसे में महिला मतदाताओं की सहूलियत पर भी खासा जोर दिया जा रहा है। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने इस बार प्रत्येक मतदान केंद्र में कम से कम एक बूथ केवल महिलाओं के लिए तैयार करने के निर्देश दिए हैं। यहां चुनावकर्मी से लेकर सुरक्षाकर्मी तक सभी महिलाएं होंगी।