Move to Jagran APP

चुनाव से 48 घंटे पहले राजनीतिक दलों को घोषणा पत्र जारी करना अनिवार्य: चुनाव आयोग

जनप्रतिनिधि कानून की धारा 126 के मुताबिक एक या एक से ज्यादा चरणों में होने वाले चुनाव के लिए प्रतिबंधित समय में घोषणापत्र जारी नहीं किए जा सकेंगे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 08:45 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 01:06 AM (IST)
चुनाव से 48 घंटे पहले राजनीतिक दलों को घोषणा पत्र जारी करना अनिवार्य: चुनाव आयोग
चुनाव से 48 घंटे पहले राजनीतिक दलों को घोषणा पत्र जारी करना अनिवार्य: चुनाव आयोग

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए घोषणापत्र जारी करने की समय रेखा घोषित कर दी है। जनप्रतिनिधि कानून की धारा 126 के मुताबिक, एक या एक से ज्यादा चरणों में होने वाले चुनाव के लिए प्रतिबंधित समय में घोषणापत्र जारी नहीं किए जा सकेंगे।

loksabha election banner

धारा 126 के मुताबिक, मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार पर प्रतिबंध लग जाता है। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की कोशिशों को आगे बढ़ाते हुए यह बड़ा फैसला लिया है। एकल और बहु दोनों चरणों के चुनावों के लिए घोषणापत्र निषेधात्मक अवधि के दौरान जारी नहीं किया जाएगा, जैसा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत निर्धारित है।

पिछले वर्ष आयोग की एक कमिटी ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की कोशिशों को आगे बढ़ाते हुए पार्टियों को पहले चरण के मतदान समाप्ति के 72 घंटे पहले अपना चुनावी घोषणापत्र जारी करने के नियम बनाने की सिफारिश चुनाव आयोग से की थी।

बता दें कि पुराने नियमों में घोषणापत्र जारी करने को लेकर कोई बंदिश नहीं थी। 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपना घोषणापत्र 7 अप्रैल यानि पहले चरण के मतदान वाले दिन जारी किया था। उस वक्त इस घटना को कांग्रेस ने मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास बताकर आयोग से शिकायत भी की थी मगर घोषणापत्र को लेकर कोई कानून नहीं होने के कारण आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर सका था।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126, चुनाव प्रचार पर रोक की बात कहता है जिसके मुताबिक चुनाव वाले क्षेत्र में मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार पर रोक लगाई जाती है। कई बार एक जगह प्रचार शांत होने के बावजूद दूसरी जगह पर प्रचार जारी रहता है। ऐसी परिस्थिति में इस रिपोर्ट में नेताओं को इंटरव्यू और प्रेसवार्ता से बचने की हिदायत दी गई है।

चुनाव आयोग ने इस 14 सदस्यों वाली कमेटी का गठन पिछले साल मीडिया के प्रसार को देखते हुए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126 की समीक्षा के लिए किया था। आयोग ने जो कमेटी पिछले वर्ष गठित की थी उसने अपने सुझावों में चुनावी प्रचार पर रोक का दायरा सोशल मीडिया, इंटरनेट, केबल टीवी और प्रिंट मीडिया के ऑनलाइन संस्करणों तक बढ़ाने की बात भी कही थी। साथ ही सोशल मीडिया एजेंसी को राजनीतिक प्रचार की चीजों को अन्य सामग्री से अलग करके दल और उम्मीदवार के इन माध्यमों पर खर्च किए पैसे का हिसाब रखने को भी कहा गया था।

उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में आयोग के नौ अन्य सदस्यों के अलावा सूचना और प्रसारण मंत्रालय, कानून मंत्रालय, आईटी मंत्रालय, नेशनल ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के एक- एक नामित सदस्य शामिल थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.