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Lok Sabha Elections 2019 : वीपी सिंह ने दो पहिया वाहन से किया था चुनाव प्रचार

वीपी सिंह ने जमीन से जुड़े नेता की पहचान बनाने के लिए अपने चुनाव प्रचार के लिए दो पहिया वाहनों का प्रयोग किया था। देश के प्रधानमंत्री बनने का भी उन्‍हें गौरव प्राप्‍त है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 04:17 PM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 04:17 PM (IST)
Lok Sabha Elections 2019 : वीपी सिंह ने दो पहिया वाहन से किया था चुनाव प्रचार
Lok Sabha Elections 2019 : वीपी सिंह ने दो पहिया वाहन से किया था चुनाव प्रचार

प्रयागराज : राजा मांडा के नाम से मशहूर रहे विश्वनाथ प्रताप (वीपी) सिंह ने वर्ष 1988 का लोकसभा उपचुनाव दो पहिया वाहन पर बैठकर लड़ा था। उनके चुनाव प्रचार का तरीका दुनिया भर में सुर्खी बना। उन्होंने चुनाव प्रचार चार पहिया वाहन की जगह दो पहिया से करने का निर्णय लिया था। यह फैसला चुनाव कार्यक्रम तय होने से पहले ले लिया गया था।

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लाल बहादुर शास्त्री के 1962 के लोस चुनाव में अहम भूमिका निभाई

वीपी सिंह वाराणसी में लॉ कालेज के छात्रसंघ अध्यक्ष जरूर चुने गए थे, लेकिन सही मायने में उनकी राजनीति तब शुरू हुई, जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के साथ लाल बहादुर शास्त्री के 1962 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। पहली बार लोकसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर 1971 में फूलपुर संसदीय क्षेत्र से लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी प्रत्याशी जनेश्वर मिश्र (छोटे लोहिया) को पराजित किया।

वीपी सिंह को 1980 में इलाहाबाद संसदीय सीट पर विजयश्री हासिल हुई

इलाहाबाद संसदीय सीट से 1980 में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने चुनाव जीता था। इसी सीट पर वर्ष 1988 में उपचुनाव हुआ था। तत्कालीन कांग्र्रेस सांसद अमिताभ बच्चन ने बोफोर्स तोप सौदे में अपना नाम उछलने के बाद त्यागपत्र दे दिया था। वीपी सिंह ने इस मसले को उछाल कर अपनी पुरानी पार्टी को बैकफुट पर कर दिया था।

...लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार घोषित किया था

राजीव गांधी उस दौर में प्रधानमंत्री थे। विश्वनाथ प्रताप सिंह इस उपचुनाव में जनमोर्चा नामक बैनर तले उतरे थे, लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार घोषित किया था। उनके खिलाफ कांग्रेस से सुनील शास्त्री मैदान में थे। वीपी सिंह को चुनाव चिह्न 'अनाज ओसाता हुआ किसान' आवंटित हुआ था। उन्होंने अपने आवास पर इस चुनाव चिह्न के बारे में चुनाव रणनीतिकारों से बातचीत की। निष्कर्ष निकलकर आया कि आम मतदाताओं खासकर गांव की अशिक्षित और महिला मतदाताओं में अगर ठीक से प्रचार नहीं हुआ तो जीत मुश्किल हो जाएगी।

नगाड़ा-डुगडुगी बजाकर मतदाताओं को इकट्ठा किया जाता था

सपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष केके श्रीवास्तव बताते हैं कि इस लोकसभा सीट की पांचों विधानसभाओं में 50-50 लोगों को किसान बनाकर और उन्हें धोती-कुर्ता, पगड़ी पहनाकर हाथ में सूप और अनाज देकर प्रमुख बाजारों और कस्बों में लगातार 15 दिन तक भेजा गया। वह लोग हाथ में सूप लेकर अनाज ओसाते थे और वहां नगाड़ा-डुगडुगी बजाकर मतदाताओं को इकट्ठा किया जाता था। भीड़ जुटने पर बताया जाता था कि यही अनाज ओसाता हुआ किसान वीपी सिंह का चुनाव निशान है।

पीडी टंडन पार्क में जुटे थे देशभर के गैर कांग्रेसी 'दिग्गज'

पूर्व महानगर अध्यक्ष केके श्रीवास्तव के मुताबिक मतदान के दो दिन पहले पीडी टंडन पार्क में हुई चुनावी सभा में देश भर से गैर कांग्रेसी दिग्गज नेताओं का जमावड़ा हुआ था। आलम यह था कि दर्जन भर से ज्यादा पूर्व मुख्यमंत्रियों, दो दर्जन से अधिक पूर्व केंद्रीय मंत्रियों समेत सैकड़ों दिग्गज नेताओं को मंच पर चढऩे और बोलने का मौका तक नहीं मिला। निरंजन टॉकीज से लेकर कटरा में मनमोहन पार्क और सुभाष चौराहा से मेडिकल कालेज चौराहा तक इतनी भीड़ थी कि तिल रखने की जगह नहीं थी।

बाइक-स्कूटर के पीछे दौड़ती थीं लग्जरी गाडिय़ां

वीपी सिंह उपचुनाव के दौरान कभी बाइक, स्कूटर तो कभी साइकिल से चलते थे। पूरे देश की मीडिया इस अहम मौके की कवरेज के लिए आई थी। मीडिया वाले लग्जरी गाडिय़ों में होते थे। शंकरगढ़ और कोरांव के पहाडिय़ों में चार पहिया वाहनों में मीडिया वालों का काफिला दो पहिया वाहनों के पीछे चलता था। 1989 में वह प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए।

पीएम बनने के समय वीपी सिंह फतेहपुर से सांसद थे

प्रधानमंत्री बनने के समय वह फतेहपुर से सांसद थे। इससे पहले वह केंद्र सरकार में मंत्री और और प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे थे।


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