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पश्चिम बंगाल: लोकतंत्र के महापर्व में इस बार ‘आधी आबादी’ भी अहम भूमिका अदा करेगी

लोकतंत्र के महापर्व में इस बार ‘आधी आबादी’ भी अहम भूमिका अदा करेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिला मतदाताओं की संख्या 47 फीसद से बढ़कर 48.13 हो गई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 01:08 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 01:08 PM (IST)
पश्चिम बंगाल: लोकतंत्र के महापर्व में इस बार ‘आधी आबादी’ भी अहम भूमिका अदा करेगी
पश्चिम बंगाल: लोकतंत्र के महापर्व में इस बार ‘आधी आबादी’ भी अहम भूमिका अदा करेगी

कोलकाता, विनय कुमार। लोकतंत्र के महापर्व में इस बार ‘आधी आबादी’ भी अहम भूमिका अदा करेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिला मतदाताओं की संख्या 47 फीसद से बढ़कर 48.13 हो गई है। इन आंकड़े से साबित होता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की भूमिका कितनी अहम होने वाली है। पश्चिम बंगाल पर गौर करें तो यहां मतदाताओं की कुल संख्या 6 करोड़ 97 लाख 60 हजार 868 हैं।

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इनमें महिला मतदाताओं की संख्या 3 करोड़ 39 लाख 75 हजार 979 है यानी महिलाएं लोकसभा चुनाव में निर्णायक साबित हो सकती हैं। संसदीय क्षेत्र के लिहाज से देखें तो जादवपुर में महिला मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। जादवपुर संसदीय क्षेत्र में 19 मई को होने वाले सातवें व अंतिम चरण में कुल 18 लाख 23 हजार 234 मतदाताओं में से आठ लाख 99 हजार 611 महिलाएं अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगी। जादवपुर के बाद घाटाल, हुगली, कूचबिहार और श्रीरामपुर का नंबर आता है। वहीं राज्य के उत्तर कोलकाता संसदीय क्षेत्र में सबसे कम महिला मतदाता हैं। इस संसदीय क्षेत्र में 6 लाख 46 हजार 590 महिला मतदाता हैं।

सभी राज्यों में बढ़ा है महिलाओं के मतदान का प्रतिशत : बतौर मतदाता महिलाओं ने गुजरते समय के साथ प्रभावशाली दस्तक दे दी है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण भारत में महिला मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी है, हालांकि वे 50 फीसद का आंकड़ा नहीं छू पाई हैं। देश के लगभग सभी राज्यों में न सिर्फ महिलाओं के मतदान का प्रतिशत बढ़ा है बल्कि महत्वपूर्ण बात यह है कि कई राज्यों में मतदान के लिहाज से महिलाओं ने पुरुषों को भी पीछे छोड़ दिया है इसलिए आगामी लोकसभा चुनावों में युवाओं के साथ-साथ महिलाओं को भी रिझाने के लिए राजनीतिक दल हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।

पश्चिम बंगाल की ज्यादातर सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या लगभग आधी या उससे थोड़ी ही कम है। अगर मसला भागीदारी के स्तर का है तो वोट देने के मामले में महिलाएं हमेशा ही आगे रहती हैं। इस तरह किसी भी राजनीतिक दल की चुनावी सफलता में महिला मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। यही वजह है कि भाजपा सरकार ने महिला मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए स्वच्छ भारत, उज्‍जवला योजना, मातृ वंदना योजना समेत अन्य कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं। वही कांग्रेस महिला आरक्षण बिल के पक्ष में होने का दावा करती रही है।

4.35 करोड़ महिलाओं ने कराया पंजीकरण

चुनाव आयोग की मतदाता सूची के अनुसार 4.35 करोड़ महिलाओं ने पंजीकरण कराया, वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या 3.80 करोड़ रही। राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में महिला मतदाताओं की पंजीकरण की संख्या में सबसे अधिक (54 लाख) वृद्धि देखी गई। वहीं महाराष्ट्र (45 लाख), बिहार (42.8 लाख), पश्चिम बंगाल (40 लाख), तमिलनाडु (29 लाख) और गुजरात (24 लाख) रहा।

इसके अलावा केरल में महिला मतदाताओं ने पुरुषों को पछाडऩा जारी रखा है, जिससे वहां का लिंगानुपात संतुलित नजर आ रहा है। यहीं हाल आंध्र प्रदेश, गोवा, अरुणाचल, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय का भी है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि नगालैंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और झारखंड में भी पुरुष और महिला मतदाताओं के बीच का अंतर कम हुआ है।

गौरतलब है कि चुनावों और राजनीति में पहले की अपेक्षा महिलाएं अधिक सRिय दिखाई दे रही हैं। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल महिलाओं के वर्चस्व को देखते हुए उन्हें ज्यादा मौके दे रहे हैं। उन्हें पता है कि नए भारत को गढऩे में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की कितनी अहमियत है।

महिला मतदाता के लिहाज से शीर्ष पांच संसदीय क्षेत्र

 कुल मतदाता : 6 करोड़ 97 लाख 60 हजार 868

पुरुष मतदाता : 3 करोड़ 57 लाख 83 हजार 463

 महिला मतदाता : 3 करोड़ 39 लाख 75 हजार 979

1- जादवपुर- 8 लाख 99 हजार 611

2- घाटाल-8 लाख 75 हजार 973

3- हुगली- 8 लाख 73 हजार 714

4-कूचबिहार- 8 लाख 68 हजार 632

5- श्रीरामपुर- 8 लाख 67 हजार 065 


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