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Election 2019: जम्मू कश्मीर की आर्थिक स्थिति पर्यटन उद्योग पर टिकी है

जम्मू कश्मीर की आर्थिक स्थिति पर्यटन उद्योग पर टिकी है और यहां रोजगार का यहीं सबसे बड़ा साधन है। बावजूद क्षेत्र के मुद्दे किसी भी राजनीति दलों के घोषणा पत्रों में शामिल न होना गंभीर है। आखिर कब तक पर्यटन उद्योग की अनदेखी होती रहेगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 10:17 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 10:37 AM (IST)
Election 2019: जम्मू कश्मीर की आर्थिक स्थिति पर्यटन उद्योग पर टिकी है
Election 2019: जम्मू कश्मीर की आर्थिक स्थिति पर्यटन उद्योग पर टिकी है

जम्मू, ललित कुमार। जम्मू कश्मीर की आर्थिक स्थिति पर्यटन उद्योग पर टिकी है और यहां रोजगार का यहीं सबसे बड़ा साधन है। बावजूद इसके इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के मुद्दे आज तक किसी भी राजनीति दलों के घोषणा पत्रों में शामिल न होना गंभीर चिंता का विषय है। आखिर कब तक पर्यटन उद्योग की अनदेखी होती रहेगी।

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राज्य सरकार में शामिल राजनीतिक पार्टियों के नेता सैर-सपाटे तो बहुत करते हैं, लेकिन गंभीर स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस नीति तैयार नहीं होती। पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज तक जम्मू-कश्मीर में कोई पर्यटन नीति तक तैयार नहीं हुई। जो भी राजनीतिक दल सत्ता में आता है, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े दावे करता है और बॉलीवुड को आमंत्रित करने के लिए अफसर मुंबई में सैर-सपाटा करने भी निकलते हैं लेकिन पर्यटन ढांचे को विकसित करने के लिए जमीनी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाया जाता।

पिछले तीन दशक से जारी आतंकवाद, सीमित संसाधन व राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव के कारण पर्यटन उद्योग फलफूल नहीं पाया। इसका सबसे बड़ा फायदा पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश को हुआ। पर्यटन की दृष्टि से कश्मीर घाटी के लिए तो साल 2018 काफी खराब रहा और पिछले सात सालों में यहां सबसे कम साढ़े आठ लाख पर्यटक आए। बात अगर जम्मू की करें तो यहां का पर्यटन उद्योग पूरी तरह से धार्मिक यात्राओं पर निर्भर है। यहां पर भी छह साल की तुलना में करीब पन्द्रह लाख श्रद्धालुओं की कमी आई। वर्ष 2012 में जहां करीब एक करोड़ पांच लाख श्रद्धालु श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा पर आए थे, वहीं 2018 में यह संख्या करीब 86 लाख तक सीमित रही।

नीति नहीं तो आपसी समन्वय भी नहीं

जम्मू-कश्मीर के पर्यटन उद्योग का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि राज्य में कोई पर्यटन नीति नहीं है। अगर ठोस पर्यटन नीति हो तो उसमें पर्यटन से जुड़े अन्य विभागों की जवाबदेही भी तय होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। यही वजह है कि मौजूदा पर्यटन स्थलों तक लोग नहीं पहुंच पाते। कहीं पर अगर पर्यटन ढांचा है तो वहां पहुंचने के लिए अच्छी सड़क नहीं। कहीं सड़क है तो वहां रात को ठहरने की उचित व्यवस्था नहीं। यह सब है तो बिजली-पानी जैसी सुविधाएं नहीं। सरकार नए पर्यटन स्थल विकसित करने पर बल तो देती है लेकिन जो मौजूदा पर्यटन स्थल है, उनके रखरखाव व पर्यटकों की सुविधाओं की ओर कोई ध्यान नहीं देता।

मंत्री बदलते ही बदल जाती है नीति

जम्मू-कश्मीर में पर्यटन मंत्री का चेहरा बदलते ही विभाग की नीति भी बदल जाती है। कोई आता है तो कहता है कि मुंबई में जाकर प्रचार करेंगे और बॉलीवुड के लोकप्रिय चेहरों को जम्मू-कश्मीर लाकर पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। दूसरा आता है तो उसकी सोच अलग होती है और वो कहता है कि स्थानीय त्योहारों को प्रोत्साहित कर पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। इसी खींचतान में न तो बॉलीवुड यहां पहुंचा और न ही स्थानीय त्योहार पर्यटन के मानचित्र पर आ सके।

जम्मू पर नहीं दिया किसी ने ध्यान

कश्मीर घाटी में लगातार जारी हिंसा के बीच जम्मू ही एकमात्र ऐसा स्थल है जहां पर पर्यटन स्थलों को विकसित कर पर्यटन उद्योग को डगमगाती कश्ती को किनारे तक पहुंचाया जा सकता है, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने जम्मू को पर्यटन दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में गंभीर कदम नहीं उठाए। यहीं कारण है कि आज भी मुबारक मंडी जीर्णोद्धार, तवी नदी में कृत्रिम झील निर्माण, बाग-ए-बाहु में म्यूजिकल फाउंटेन व 4-डी थियेटर, बाहुफोर्ट केबल कार व सुचेतगढ़ में बार्डर टूरिज्म विकसित करने के प्रोजेक्ट दशकों बाद भी अधूरे हैं।

जम्मू पर्यटन मंडल चेयरमैन  इन्द्रजीत खजूरिया- किसी भी सरकार ने आज तक जम्मू में पर्यटन उद्योग को विकसित करने के लिए गंभीर कदम नहीं उठाए। पर्यटन उद्योग को लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव इस कदर है कि उन्हें जम्मू के पर्यटन स्थलों को विकसित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जाना पड़ा। हाईकोर्ट के डंडे पर अब कुछ प्रोजेक्ट पर काम में तेजी आई है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

 भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविन्‍द्र रैना- जम्मू को पर्यटन की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने के लिए भाजपा ने सत्ता में रहते गंभीर प्रयास किए। पार्टी ने हमेशा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम किया है। तवी नदी को साबरमति की तर्ज पर विकसित करने के लिए एमओयू साइन हुआ। भाजपा ने ही जोर लगाकर बाहुफोर्ट केबल कार प्रोजेक्ट को पूरा करवाया। मुबारक मंडी जीर्णोद्धार को लेकर भी फाइलों पर जमी धूल को साफ किया। यह प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीए मीर-

कांग्रेस ने हमेशा से कहा है कि पर्यटन उद्योग को विकसित करके ही राज्य को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाया जा सकता है। जब मै पर्यटन मंत्री था, तब सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ कर बाहुफोर्ट केबल कार प्रोजेक्ट को पर्यावरण की मंजूरी दिलाई, जिससे यह प्रोजेक्ट शुरू हो पाया। कश्मीर की हसीन वादियां पर्यटकों से गुलजार हुई लेकिन उसके बाद सत्ता में आई पार्टियों ने कोई गंभीर कदम नहीं उठाए जिससे पर्यटकों की आमद में कमी आई। 


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