Election 2019: जम्मू-कश्मीर के छह संसदीय क्षेत्रों के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू
देशभर के साथ जम्मू-कश्मीर के भी छह संसदीय क्षेत्रों के लिए भी चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राज्य में पहले चरण के तहत जम्मू-पुंछ और बारामुला संसदीय सीट के लिए 11 अप्रैल का मतदान होना है।
जम्मू, नवीन नवाज। ऑटोनामी और सेल्फ रूल का नारा देकर खुद को राज्य के लोगों की धड़कन बताने वाली पार्टियां हों या फिर राष्ट्रीय हितों की पैराकार, लेकिन कोई भी पार्टी सियासी इम्तिहान में एक तिहाई मतों का भी आंकड़ा नहीं छू पाई। 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बीच भाजपा कुछ करीब पहुंचने में सफल रही लेकिन फिर भी 33 फीसद का आंकड़ा नहीं छू पाई। अब 2019 के इस महासमर में सभी दल इस आंकड़े को छूने के लिए ताकत दिखा रहे हैं।
देशभर के साथ जम्मू-कश्मीर के भी छह संसदीय क्षेत्रों के लिए भी चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राज्य में पहले चरण के तहत जम्मू-पुंछ और बारामुला संसदीय सीट के लिए 11 अप्रैल का मतदान होना है।
कश्मीर मामलों के जानकार मुख्तार अहमद बाबा ने कहा कि इसमे कोई शक नहीं है कि रियासत की चुनावी सियासत में हिस्सा लेने वाली नेशनल कांफ्रेंस सबसे बड़ी और राज्य की सबसे पुरानी सियासी जमात है। शुरुआत में उसका केवल कांग्रेस से मुकाबला रहता था। जम्मू संभाग में उसे भारतीय जनता पार्टी और बसपा जैसे दलों से भी चुनौती मिलती रही। लेकिन वह भी कभी 50 फीसद वोट हासिल नहीं कर पाई। वर्ष 2000 के बाद तो नेकां कभी 30 फीसद का आंकड़ा भी नहीं छू पाई। 2002 में नेकां का वर्चस्व तोडऩे वाली पीडीपी लोकसभा चुनाव में 30 फीसद वोट भी हासिल नहीं कर पाई।
केवल भाजपा का वोट बैंक बढ़ा
वरिष्ठ पत्रकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि लोकसभा चुनावों में क्षेत्रीय दलों विशेषकर नेकां, पीडीपी के कार्यकर्ता ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आते। क्योंकि वह जानते हैं कि संसद की सियासत में उनके दलों की भूमिका ज्यादा नहीं है। इसलिए बीते 15 सालों में क्षेत्रीय दलों का वोट प्रतिशत घटा है, सिर्फ भाजपा के वोट बैंक में बढ़ोतरी हुई है।
नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव, अली मोहम्मद सागर-
लोकसभा चुनाव में वोट में कमी के कई कारक रहे हैं। इस बार आप खुद देखेंगे कि हमारा वोट बहुत ज्यादा बढ़ेगा, क्योंकि लोग सिर्फ मतदान के दिन का इंतजार कर रहे हैं। लोगों को अपनी भूल का अहसास हुआ है। वह इस बार हमें सबसे ज्यादा वोटों के साथ जिताकर रियासत विरोधी ताकतों को नाकाम बनाएंगे।
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर-
यहां चुनाव किन परिस्थितियों में हुए हैं, बहुत कम लोग वोट डालने आए और उसके आधार पर ही वोट प्रतिशत कभी 33 फीसद तक नहीं पहुंच पाया है। खैर इस बार अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर चुके हैं।
पीडीपी प्रवक्ता, रफी अहमद मीर-
हम अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने में जुटे हैं, क्योंकि जीत जरूरी है। इसलिए आप देखेंगे कि इन चुनाव में हमारा वोट प्रतिशत 33 नहीं 50 फीसद से ज्यादा तक रहेगा।
2004 से गिर रहा नेकां का आंकड़ा
वर्ष 2004 में नेकां को 22.02 फीसद वोट मिले थे। वर्ष 2009 में उसे 19.11 प्रतिशत वोट मिले थे। वर्ष 2014 में सिर्फ 11.1 प्रतिशत ही वोट हासिल कर पायी है। वर्ष 2004 में कांग्रेस ने दो, नेकां ने दो, पीडीपी ने एक और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी।
कांग्रेस भी नहीं संभाल पाई अपने वोट
कांग्रेस भी वोट बैंक संभाल नहीं पाई। वर्ष 2004 में कांग्रेस 27.83 के साथ सबसे आगे रही। 2009 में कांग्रेस को 24.67 फीसद वोट मिले थे और वर्ष 2014 में वह सिर्फ 22 फीसद ही वोट हासिल कर पाई थी।
पीडीपी सुधरी पर वहीं अटकी
पीडीपी की स्थिति में सिर्फ 2009 के संसदीय चुनाव में ही कुछ सुधार नजर आया। वर्ष 2004 में उसके पास सिर्फ 11.94 फीसद वोट थे जो वर्ष 2009 में 20.5 फीसद हो गए। वर्ष 2009 में वह एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। वर्ष 2014 में उनका वोटबैंक स्थिर रहा पर कश्मीर की तीन सीटें जीतने में सफल रही।
आंकड़ों के खेल में भाजपा आगे
कश्मीर मामलों के विशेष मनोहर लालगामी ने कहा कि वोट प्रतिशत के आंकड़ों के खेल में भाजपा सभी को हैरान करती है। वर्ष 2004 में उसे जम्मू कश्मीर में 23.04 फीसद वोट मिले थे। वर्ष 2009 में उसका वोट बैंक घटा और वह 18.6 फीसद तक सिमट गई। वर्ष 2014 में जम्मू की दोनों व लद्दाख की सीट भाजपा जीतने में सफल रही और उसने 32.4 फीसद वोट हासिल किए।
नेकां का वोट प्रतिशत
वर्ष मत फीसद - सीटें मिलीं
2004 22.02 2
2009 19.11 3
2014 11.1 0
पीडीपी
2004 11.94 -- 1
2009 20.5 -- 0
2014 20.5 -- 3
कांग्रेस
2004 27.83 -- 2
2009 24.67 -- 2
2014 22.0 -- 0
भाजपा
2004 --- 23.04 - 1
2009---- 18.6 - 0
2014 -- 32.4 - 3