Lok Sabha Election 2019 : पति और पत्नी में से एक की ही लगेगी चुनाव ड्यूटी
चुनाव ड्यूटी यदि पति और पत्नी दोनों की लगी है तो एक की ड्यूटी नहीं लगेगी। यह बात यूनाइटेड टीचर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सि राठौर ने आयोग से मांग की थी।
कौशांबी : लोकसभा चुनाव के दौरान यदि पति और पत्नी दोनों की चुनाव ड्यूटी लगी है तो उनकी मर्जी से किसी एक को राहत मिलेगी। यानी एक की ही चुनाव में ड्यूटी लगेगी, पति या फिर पत्नी की। शासन ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया है।
चुनाव के दौरान कर्मचारियों की कमी रहती है। ऐसे में ज्यादातर विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी जाती है। यदि पति-पत्नी दोनों यदि सरकारी सेवा में है तो उनकी चुनाव ड्यूटी लगने से छोटे बच्चों की देखभाल प्रभावित होता है। यह समस्या यूनाइटेड टीचर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने चुनाव आयोग के समक्ष उठाई थी। राठौर का कहना है कि आयोग ने फैसला लिया है कि यदि पति और पत्नी दोनों सरकारी कर्मचारी हैं और उनमें कोई एक ड्यूटी नहीं करना चाहता तो उसे इसकी छूट दी जाएगी।
शिक्षक नेता का दावा, जिलों के लिए इस आशय का आदेश जारी कर दिया है
शिक्षक नेता का दावा है कि सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी अरविंद कुमार पांडेय ने 16 अप्रैल को सभी जिलों के लिए इस आशय का आदेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि यदि पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हैं तो एक को उनकी मांग पर चुनाव डयूटी से राहत दी जाएगी ताकि बच्चों को परेशानी ना हो।
गैर हाजिर मतदान कार्मिकों को 22 का अंतिम मौका
पड़ोसी जनपद प्रयागराज जिले में 12 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मतदान कार्मिकों का बिशप जानसन स्कूल में प्रथम चरण का प्रशिक्षण चल रहा है। प्रतिदिन औसत चार से पांच फीसद मतदान कार्मिक गैर हाजिर हो रहे हैं। उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा रही है। जो मतदान कार्मिक किसी कारण से प्रशिक्षण में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। उन्हें 22 अप्रैल को प्रशिक्षण में शामिल होने का अंतिम मौका रहेगा। उसके बाद गैर हाजिर मतदान कार्मिकों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
बोले प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी, चुनाव से अधिक कोई महत्वपूर्ण कोई काम नहीं
प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी एवं एडीएम फाइनेंस एमपी सिंह का कहना है कि इस समय चुनाव से ज्यादा महत्वपूर्ण कोई काम नहीं है। जो मतदान कार्मिक अभी प्रशिक्षण में गैर हाजिर हैं। 22 अप्रैल को प्रशिक्षण में शामिल नहीं होंगे तो उनके खिलाफ भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।