Lok Sabha Election 2019: 'प्राणनाथ' की प्रतिष्ठा बचाने को चुनावी रण में उतरीं 'भाग्यवान'
Lok Sabha Election 2019. मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा तथा दुलाल भुइयां की पत्नी अंजना लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। जबकि सजा होने के कारण दोनों नेता चुनाव नहीं लड़ रहे।
रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। Lok Sabha Election 2019 - सियासी मैदान में पत्नियां भी अपने पति की प्रतिष्ठा बचाने में लगी हैं। इस बार अभी तक ऐसे दो मामले सामने आए हैं, जिनमें पति के चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य करार दिए जाने के बाद उनकी पत्नियां चुनाव मैदान में उतर आई हैं। अब देखना है कि ये अपने पति की प्रतिष्ठा बचाने में कितना सफल हो पाती हैं।
इस बार लोकसभा चुनाव में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा कांग्रेस के टिकट पर सिंहभूम से चुनाव लड़ रही हैं। एक मामले में सजा होने के बाद कोड़ा पिछला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाए थे। ऐसे में उनकी पत्नी गीता कोड़ा ने पिछला लोकसभा चुनाव जय भारत समानता पार्टी के टिकट पर सिंहभूम से चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रही थीं।
इसी तरह, राज्य के पूर्व भूमि एवं राजस्व मंत्री दुलाल भुइयां की पत्नी अंजना भुइयां पलामू से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। इससे कुछ दिनों पहले ही दुलाल ने कांग्रेस को छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया था। लेकिन आय से अधिक संपत्ति मामले में सजा होने के कारण स्वयं चुनाव नहीं लड़ पाए। उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट से लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए पांच साल की सजा से राहत देने की मांग की थी। कोर्ट ने इसपर सीबीआइ से जवाब मांगा है।
रूपी सोरेन और आभा लड़ चुकी हैं चुनाव
झामुमो ने 1991 के लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन की पत्नी रूपी सोरेन को चुनाव मैदान में उतारा था। उस समय शिबू सोरेन जेल में थे इस चुनाव में रूपी सोरेन चुनाव हार गई थीं। दूसरी तरफ, शैलेंद्र महतो की पत्नी आभा महतो चुनाव जीतकर अपने पति की प्रतिष्ठा बचा चुकी हैं। सांसद रिश्वत कांड में नाम उछलने पर शैलेंद्र ने स्वयं चुनाव नहीं लड़कर अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा था।
विधायक से हो गए 'विधायक पति'
झारखंड में पिछले वर्ष विधानसभा के हुए दो उपचुनावों में पत्नियों ने ही नेताओं का बेड़ा पार किया। सजा होने के बाद सिल्ली के विधायक अमित महतो तथा गोमिया के विधायक योगेंद्र महतो की विधानसभा की सदस्यता चली गई थी। सीट रिक्त होने के बाद हुए उपचुनाव ने दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी पत्नियों को चुनाव मैदान में उतार दिया। दोनों की जीत भी हुई। दोनों नेता विधायक से 'विधायक पति' हो गए। लेकिन इसके बाद कोलेबिरा में हुए उपचुनाव में एनोस एक्का की पत्नी मेनोन एक्का ऐसा कारनामा नहीं कर सकीं। यहां भी पारा शिक्षक हत्या मामले में सजा होने के बाद एनोस की सदस्यता चली गई थी। यहां हुए उपचुनाव में कांग्रेस के विक्सन कोनगाड़ी को जीत मिली।
पति के निधन के बाद जीतीं चुनाव
-झारखंड के कद्दावर नेता कार्तिक उरांव के निधन के बाद उनकी पत्नी सुमित उरांव ने 1980 में लोहरदगा सीट से जीत हासिल की।
-जमशेदपुर के सांसद सुनील महतो की वर्ष 2007 में हत्या के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी सुमन महतो ने जीत हासिल की।