लोकसभा चुनाव 2019 : वाराणसी में सोनिया गांधी के हस्तक्षेप पर बदली पार्टी की रणनीति
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चुनाव मैदान में एकबार फिर पूर्व विधायक पर भरोसा जताया है।
वाराणसी, जेएनएन। हाईप्रोफाइल सीट वाराणसी को लेकर कांग्रेस का सस्पेंस खत्म हो गया। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चुनाव मैदान में एकबार फिर पूर्व विधायक अजय राय को उतार कर दांव खेला है। दोपहर 11 बजे कांग्रेस ने अजय के नाम की घोषणा कर बनारस की जनता को चौंकाते हुए अटकलों पर विराम लगा दिया। जिलाध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा का कहना है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा के चुनाव मैदान में आने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई थी।
शीर्ष नेतृत्व ने कई दिन फोन से चुनावी तैयारी की समीक्षा की। बूथ अध्यक्षों तक सीधे वार्ता की गई। इसके बाद अजय राय को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला लिया गया। दावा किया कि पीएम मोदी को कांग्रेस कड़ी टक्कर देगी। पार्टी ने वाराणसी में जीत का खाका खींच लिया है। वहीं पार्टी के अंदरखाने की चर्चाओं के अनुसार प्रियंका वाड्रा को चुनाव मैदान में उतारने की पूरी तैयारी थी लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने रिपोर्ट जब कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने रखी तो उनके हस्तक्षेप के बाद कांग्रेसी रणनीतिकारों ने रणनीति बदल दी। महात्मा गांधी विद्यापीठ से ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1996 में अजय राय ने राजनीति में कदम रखा। पहली बार भाजपा ने उनको कोलअसला विधानसभा सीट से टिकट दिया। इस सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी के ऊदल सात बार से जीत रहे थे। अजय राय ने पहली बार उन्हें पराजित किया।
इसके बाद इसी सीट से वह वर्ष 2002 में विधायक चुने गए और प्रदेश की भाजपा सरकार में सहकारिता मंत्री बने। कोलअसला सीट से वर्ष 2007 में भी जीत का क्रम जारी रखा। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से अजय राय ने नाता तोड़ लिया और भाजपा प्रत्याशी डा. मुरली मनोहर जोशी को सपा के टिकट पर चुनौती दी। हालांकि, बसपा से मुख्तार अंसारी के मैदान में उतरने पर समीकरण बदला व अजय को हार मिली। चुनाव में 203122 वोट पाकर डा. मुरली मनोहर जोशी जीते। दूसरे स्थान पर मुख्तार अंसारी को 185911 वोट व तीसरे स्थान पर अजय राय को123874 वोट मिले। चुनाव बाद अजय राय को सपा रास नहीं आई तो उन्होंने इस पार्टी का साथ छोड़ दिया।
2009 में कोलअसला विस सीट पर हुए उपचुनाव में वह निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे और एकबार फिर जीते। वर्ष 2012 में विस क्षेत्रों का परिसीमन बदला तो कोलअसला विस सीट का नाम पिंडरा हो गया लेकिन अजय राय की जीत का क्रम नहीं टूटा। इस दरम्यान उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया और वर्ष 2012 के विस चुनाव में जीत हासिल कर पिंडरा के विधायक बने। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय राय ने पीएम नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोंकी। जबकि आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल भी मैदान में थे। पीएम मोदी को 581022 वोट मिले। उन्होंने 292238 मत पाने वाले केजरीवाल को बड़े अंतर से हराया। इस चुनाव में भी अजय राय तीसरे नंबर पर थे, उन्हें 75614 मत मिले। इसके बाद अजय राय वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पिंडरा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी बने लेकिन भाजपा के डा. अवधेश सिंह से हार गए।