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भारत रत्न अटल बिहारी के नाम को नहीं छेड़ेगी कांग्रेस सरकार, भाजपा से छिना बड़ा मौका

छत्तीसगढ़ की नवनियुक्त सरकार इन दिनों सरकारी योजनाओं से भाजपा नेताओं का नाम हटाने में जुटी हुई है, लेकिन अटल बिहार के नाम को लेकर कांग्रेस के नरम रुख अपनाने से भाजपा परेशान है।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 03:24 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 07:31 PM (IST)
भारत रत्न अटल बिहारी के नाम को नहीं छेड़ेगी कांग्रेस सरकार, भाजपा से छिना बड़ा मौका
भारत रत्न अटल बिहारी के नाम को नहीं छेड़ेगी कांग्रेस सरकार, भाजपा से छिना बड़ा मौका

रायपुर [जागरण स्पेशल]। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नवनियुक्त सरकार, पिछली सरकार में भाजपा नेताओं के नाम पर शुरू की गई योजनाओं के नाम बदलने में जुटी है। सरकार बनने के बाद सबसे पहले सरकारी नोटशीट पर अंकित पंडित दीनदयाल उपाध्याय के लोगो (चित्र) को हटाने का आदेश जारी हुआ। सरकारी नोटशीट की एक साल के लिए एकमुश्त प्रिटिंग कराई जाती है। इसलिए तुरंत नई नोटशीट उपलब्ध कराना संभव नहीं है। लिहाजा, सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने आदेश जारी किया है कि फिलहाल दीनदयाल के लोगो पर स्टिकर लगाकर नोटशीट प्रस्तुत की जाए और अगली प्रिटिंग में नामों को बदलने की शुरूआत की जाएगी।

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मौजूदा सरकार ने पिछली सरकार की योजनाओं सूची बनाई है और दो दिन पहले जब भाजपा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि मना रही थी, उसी दिन सरकार ने पांच योजनाओं से उनका नाम हटाकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, आंबेडकर और महात्मा गांधी के नाम कर दिया। इसके बाद अगले दिन श्रम विभाग ने पंडित दीनदयाल श्रम अन्न सहायता योजना का नाम बदलकर आजादी के आंदोलन में छत्तीसगढ़ के नेता रहे शहीद वीरनारायण सिंह के नाम कर दिया है।

कन्या विवाह योजना जो राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम चल रही थी, उसे बदलकर सतनामी समाज की नेत्री मिनीमाता के नाम कर दिया गया है। नाम बदलने को लेकर राजनीति शुरू हुई तो कांग्रेस 2004 के उस आदेश को निकाल लायी, जिसमें भाजपा सरकार ने कांग्रेस नेताओं के नाम पर चल रहीं उस वक्त की योजनाओं का नाम बदला था।

नाम बदले की कतार में था अटल नगर!

नाम बदलने की राजनीति के बीच यह भी खबर आ रही है कि कांग्रेस सरकार पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपयी के नाम को नहीं छेड़ेगी। अटल जी की मृत्यु के बाद पिछले साल भाजपा सरकार ने राजधानी नया रायपुर का नाम बदलकर अटल नगर कर दिया था। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकारी योजनाओं से भाजपा नेताओं के नाम बदलने की शुरूआत हुई, तो कयास लगाए जाने लगे कि अटल नगर का नाम अब इंदिरा नगर या राजीव नगर रखा जा सकता है।

सरकार ने अटल नगर पर साफ की स्थिति

सरकार ने इन कयासों पर विराम लगा दिया है। दरअसल अटल की उदारवादी छवि और छत्तीसगढ़ में उनकी स्वीकार्यता को लेकर कांग्रेस सतर्क है। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अटल के नाम को भुनाने की बहुत कोशिश की। उनकी अस्थि कलश यात्रा निकाली। वहीं कांग्रेस भी इस मुद्दे पर पीछे नहीं रही। कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला को पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार दिया। करूणा अपने चाचा की विरासत को कांग्रेस के पक्ष में लाने में सफल भी रहीं। अब लोकसभा के समय कांग्रेस सरकार अटल जी के मुद्दे पर फ्रंट फुट पर खेलने की तैयारी में है। अटल नगर का नाम न बदलने का एलान कर राज्य सरकार ने भाजपा के हाथ बांध दिए हैं।

झीरम के शहीदों के नाम होंगे अटल नगर के सेक्टर

नया रायपुर (अब अटल नगर) में विभिन्न सेक्टरों को अभी नंबर के आधार पर जाना जाता है। सरकार इन सेक्टरों का नाम रखने की तैयारी कर रही है। बस्तर की झीरम घाटी में नक्सली हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार समेत 31 लोग मारे गए थे। नया रायपुर के सेक्टर इनके नाम पर रखे जा सकते हैं।


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