Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019: पहली बार 1971 में कांग्रेस को मिला चतरा का साथ

Lok Sabha Election 2019. 1971 से पूर्व के चुनाव में यहां से रामगढ़ राजा बसंत नारायण सिंह की धर्मपत्नी विजया राजे लगातार लोकसभा चुनाव जीतती रहीं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 05:19 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 05:19 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: पहली बार 1971 में कांग्रेस को मिला चतरा का साथ
Lok Sabha Election 2019: पहली बार 1971 में कांग्रेस को मिला चतरा का साथ

चतरा, [जुलकर नैन]। कांग्रेस को पहली बार चतरा संसदीय क्षेत्र का साथ पहली बार 1971 में मिला था। उसके पूर्व के चुनाव में यहां से रामगढ़ राजा बसंत नारायण सिंह की धर्मपत्नी विजया राजे लगातार चुनाव जीती रही। चतरा संसदीय क्षेत्र 1957 ई. में अस्तित्व में आया था। इस प्रकार 1957 से लेकर 1971 के चुनाव तक विजया राजे यहां की सांसद रहीं। उन्होंने 1957 के चुनाव में कांग्रेस के चपलेंदु भट्टाचार्य को, 1962 के चुनाव में त्रिभुवननाथ को और 1967 के चुनाव में कांग्रेस के ही एसपी भदानी को हराया था। लेकिन 1971 के चुनाव में विजया राजे कांग्रेस के उम्मीदवार शंकर दयाल सिंह के हाथों मात खा गई।

loksabha election banner

इस प्रकार पंद्रह वर्षों के बाद कांग्रेस उम्मीवार की यहां से जीत हुई थी। बावजूद इसके कांग्र्रेस का वर्चस्व बहुत अधिक समय तक कायम नहीं रहा। जेपी आंदोलन में कांग्रेस बिखर गई और 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार सुखदेव प्रसाद वर्मा ने शंकर दयाल सिंह को पराजित किया था। 1980 में हुए मध्यावति चुनाव में कांग्रेस के रंजीत सिंह निर्वाचित हुए थे। उन्होंने जनता पार्टी के संखदेव प्रसाद वर्मा को हराया था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में कांग्रेस की लहर थी।

उस लहर में कांग्रेसी उम्मीदवार योगेश प्रसाद योगेश निर्वाचित हुए थे। उन्होंने सुखदेव प्रसाद वर्मा को हराया था। इस प्रकार 1971 से लेकर 1984 के बीच तीन बार कांग्रेस यहां से जीती है। 1984 के बाद से लेकर 2014 तक कांग्रेस यहां से जीत के लिए तरस रही है। बल्कि यह कहें कि 1984 के बाद कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है। 1989 के चुनाव में जनता दल के उपेंद्रनाथ वर्मा ने योगेश प्रसाद योगेश को हराया था। 1991 के चुनाव में कांग्रेस लड़ाई में नहीं रही। कांग्रेस का स्थान भाजपा ने ले लिया।

भाजपा उम्मीदवार धीरेंद्र अग्रवाल दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस के प्रत्याशी नागमणि तीसरे स्थान पर थे। 1996 के चुनाव में भाजपा यहां से निर्वाचित हुई। धीरेंद्र अग्रवाल पहली बार भगवा झंडा को लहराया और जनता दल के कृष्णनंदन वर्मा दूसरे स्थान पर रहे। 1998 के चुनाव में एक बार फिर धीरेंद्र अग्रवाल ने बाजी मारी और राजद के उम्मीदवार नागमणि दूसरे स्थान पर रहे। 1999 के चुनाव में राजद के नागमणि यहां से निर्वाचित हुए और भाजपा के धीरेंद्र अग्रवाल दूसरे स्थान पर रहे।

2004 के चुनाव में धीरेंद्र और नागमणि दानों ने पाला बदल लिया। धीरेंद्र राजद के उम्मीदवार थे और नागमणि भाजपा के। जीत राजद को मिली। 2009 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार इंदर सिंह नामधारी निर्वाचित हुए और दूसरे स्थान पर कांग्रेस के धीरज प्रसाद साहू रहे। इसी प्रकार 2014 के चुनाव में भाजपा के सुनील कुमार सिंह विजयी हुए और कांग्रेस के धीरज साहू मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहे। इस प्रकार देखा जाए, तो 1957 से लेकर 2014 तक के हुए चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ तीन बार सफलता मिली है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.