Phulpur Lok Sabha Election 2019 : केशरी देवी पटेल ने जीती फूलपुर सीट
Phulpur Lok Sabha Election 2019 जनपद में एक बार फिर कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा। साढ़े तीन दशक बाद भी नेहरू की सीट पर कांग्रेस पार्टी को विजय हासिल नहीं हो सकी।
प्रयागराज, जेएनएन। Phulpur Lok Sabha Election 2019: भाजपा प्रत्याशी केशरी देवी पटेल ने फूलपुर लोकसभा सीट पर 1,71,968 वोटों से जीत हासिल कर एक और कीर्तिमान अपने नाम कर लिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी केशरी देवी पटेल को 5,44,701 वोट मिले जबकि सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी पंधारी यादव को 3,72,733 मत प्राप्त हुए हैं। केशरी देवी ने पंधारी यादव को 1,71,968 वोटों से हराया।
2019 में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को मिले मत
पार्टी प्रत्याशी कुल वोट
भाजपा केशरी देवी पटेल 544701
गठबधन के सपा प्रत्याशी पंधारी यादव 372733
कांग्रेस प्रत्याशी पंकज निरंजन पटेल 32761
2014 में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को मिले मत
पार्टी प्रत्याशी कुल वोट
भाजपा केशव प्रसाद मौर्य 503564
सपा धर्मराज सिंह पटेल 195256
बसपा कपिलमुनि करवरिया 163710
केशरी को दूसरी सबसे बड़ी जीत
केशरी देवी फूलपुर लोकसभा सीट से रिकार्ड वोटों से जीतने के मामले में दूसरे नंबर पर हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्या ने फूलपुर में पहली बार रिकार्ड 3,08,308 वोटों से जीत हासिल की थी, जो अब तक फूलपुर लोस सीट पर सबसे बड़ी जीत है। फूलपुर में सबसे कम वोट से जीतने का रिकार्ड जंग बहादुर सिंह पटेल के नाम है। 1998 के चुनाव में वह 14,520 वोट से जीते थे। अब तक फूलपुर लोकसभा सीट से अधिक वोटों से जीतने का दूसरा रिकार्ड कमला बहुगुणा के नाम था। उन्होंने 1977 के चुनाव में 1,22,352 वोटों से जीत हासिल की थी।
सबसे कम जीत का भी रिकार्ड
इस कड़ी में राम पूजन पटेल के नाम भी रिकार्ड है। सबसे कम वोट से जीतने का रिकार्ड जंग बहादुर सिंह पटेल ने नाम पर दर्ज है। वह 1998 के चुनाव में 14,520 वोट से जीते थे। दूसरे नंबर पर कपिल मुनि करवरिया हैं। वह 2009 के चुनाव में 14,583 वोट से जीते थे। तीसरा नंबर पर फिर जंग बहादुर सिंह पटेल हैं। 1996 के चुनाव में जंग बहादुर सिंह पटेल 16,021 वोट से जीते थे।
कांग्रेस दोनों सीट पर जमीन तलाशने में कामयाब नहीं रही
पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की साख मजबूत करने में जुटी पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा भी अपने परनाना की विरासत संभालने में कामयाब नहीं हो सकीं। जबकि, यह दोनों सीटें कांग्रेस के लिए अहम थीं। फूलपुर संसदीय सीट से पंडित जवाहर लाल नेहरू और इलाहाबाद सीट से लाल बहादुर शास्त्री दिल्ली पहुंचे थे। वर्ष 1984 के बाद से यहां की दोनों सीटें कांग्रेस की झोली में नहीं आ सकी। इस बार भी पार्टी प्रयागराज की दोनों सीट पर जमीन तलाशने में कामयाब नहीं रही। फूलपुर सीट ने ही देश को पहला प्रधानमंत्री दिया था। नेहरू परिवार के अलावा भी कई दिग्गज इस सीट से संसद पहुंचे हैं।
1969 में उप चुनाव में काग्रेस का गढ़ टूट गया
1952, 1957 और 1962 में पंडित जवाहर लाल नेहरू फूलपुर से संसद रहे। उनके निधन के बाद 1964 में हुए उप चुनाव और 1967 में हुए आम चुनाव में पंडित नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित यहां से सांसद चुनी गईं थी। 1967 में विजय लक्ष्मी पंडित के संयुक्त राष्ट्र संघ चले जाने के बाद हुए 1969 में उप चुनाव में काग्रेस का गढ़ टूट गया।
इंदिरा गाधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति की लहर
इंदिरा गाधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति की लहर में 1984 में काग्रेस ने फिर वापसी की और राम पूजन पटेल यहां से जीत गए। इसके बाद काग्रेस को कभी भी इस सीट से जीत हासिल नहीं हुई है। इस बार पार्टी ने फूलपुर से डॉ. सोनेलाल पटेल के दामाद पंकज निरंजन पटेल पर दांव आजमाया था, लेकिन पंकज को भी सफलता नहीं मिल सकी।
इलाहाबाद सीट पर आखिरी बार अमिताभ को मिली थी जीत
इसी तरह, इलाहाबाद सीट से आखिरी बार 1984 में कांग्रेस के टिकट पर अमिताभ बच्चन ने जीत दर्ज की थी। 1988 में जब इस सीट पर उप चुनाव हुआ तो वीपी सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री को हराया था। इस बार कांग्रेस ने इलाहाबाद सीट से योगेश शुक्ल को मैदान में उतारा, लेकिन योगेश भी साढ़े तीन दशक से बंजर पड़ी कांग्रेस को उर्वरा नहीं दे सके।
विरासत सहेजने आईं थीं प्रियंका
अपने परनाना की विरासत को सहेजने के लिए 17 मार्च को प्रियंका वाड्रा प्रयागराज आई थीं। देर रात वह स्वराज भवन पहुंची। इसके बाद 18 मार्च को बांध स्थित हनुमान मंदिर में दर्शन किया। फिर यहां से मूल अक्षयवट का दर्शन करने के बाद संगम पर आरती उतारकर नाव में सवार हो गई। संगम से नाव पर सवार होकर उन्होंने पूर्वाचल की सीटों को साधने का भरसक प्रयास किया। लेकिन वह उनका प्रयास काम नहीं आया।
गुपचुप तरीके से भी आए थे शीर्ष नेता
यूपीए की चेयरमैन सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा लोकसभा चुनाव के दौरान तीन बार गुपचुप तरीके से प्रयागराज आई और कार्यकर्ताओं से बगैर मिले चली गई थीं। 18 मार्च को गंगा यात्रा के बाद वह 24 अप्रैल को प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंची। दोबारा 29 अप्रैल को प्रियंका बेटे रेहान के साथ अचानक परनाना पं. जवाहर लाल नेहरू की जन्मस्थली पहुंची थी। इसके बाद दो मई को अचानक यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी भी स्वराज भवन पहुंची। दोनों शीर्ष नेता शहर आए तो थे, लेकिन किसी पदाधिकारी और कार्यकर्ता से नहीं मिले थे।
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