LokSabha Election 2019: हाई प्रोफाइल दुमका सीट की जनता ने हमेशा सादगी पसंद नेताओं को अपनाया
1951 में पहली बार संताल परगना सह हजारीबाग की सीट पर कांग्रेस के लाल हेंब्रम जीते जो गांधी विचारधारा में जीते रहे।
By Edited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 03:33 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 02:34 PM (IST)
दुमका, जेएनएन। दुमका लोकसभा क्षेत्र संताल परगना का हाईप्रोफाइल सीट रहा है। कल आज और कल के आईना में देखें तो लोकसभा की जनता के नेतृत्वकर्ता गांधी व सादगी के आवरण में रंगे रहे।
1951 में पहली बार संताल परगना सह हजारीबाग की सीट पर कांग्रेस के लाल हेंब्रम जीते जो गांधी विचारधारा में जीते रहे। सादगी उनकी पहचान रही। बड़ी डिग्री उनके पास थी नहीं, लेकिन संताल परगना में उच्च शिक्षा की ज्योति जलाने में पहले सांसद की भूमिका सुनहरे अक्षरों में लिखी गई है। एसपी कॉलेज दुमका इनके प्रयासों का गवाह है। लोअर प्राइमरी से नाता रखने वाला संताल परगना के लाल बाबा आज भी जनता के बीच याद किए जाते हैं। जनता की खातिर अधिकारी के समक्ष धरना पर भी बैठ जाते थे। 1951 में लाल हेंब्रम को 1,45,155 वोट मिला था। सुरेश चंद्र चौधरी 88,198 वोट लाकर दूसरे नंबर पर रहे थे।
दुमका में जितने भी सांसद हुए अधिकतर सादगी से रहे। आज दिशोम गुरु शिबू सोरेन भी उसी सादगी में अपनी राजनीतिक यात्रा कर रहे हैं। चुनाव का रंग बदल रहा है। 2019 में चुनावी रंग बदल सकता है। बात सादगी की हो रही है तो 1997 में जब बाबूलाल मरांडी चुनाव जीते थे तो वह भी उसी आवरण में रंगे थे।
एक नजर में संताल परगना के लाल बाबा : लाल हेंब्रम का जन्म सरायदाहा, शिकारीपाड़ा जन्म 19 अप्रैल 1914 संताल परगना में बुनकरों को चरखा और सूत मुहैया कराकर कुटीर उद्योग को बढाया। संताल परगना महाविद्यालय की स्थापना में आगे रहे। दुमका पालिटेक्निक की स्थापना कराया।
1951 में पहली बार संताल परगना सह हजारीबाग की सीट पर कांग्रेस के लाल हेंब्रम जीते जो गांधी विचारधारा में जीते रहे। सादगी उनकी पहचान रही। बड़ी डिग्री उनके पास थी नहीं, लेकिन संताल परगना में उच्च शिक्षा की ज्योति जलाने में पहले सांसद की भूमिका सुनहरे अक्षरों में लिखी गई है। एसपी कॉलेज दुमका इनके प्रयासों का गवाह है। लोअर प्राइमरी से नाता रखने वाला संताल परगना के लाल बाबा आज भी जनता के बीच याद किए जाते हैं। जनता की खातिर अधिकारी के समक्ष धरना पर भी बैठ जाते थे। 1951 में लाल हेंब्रम को 1,45,155 वोट मिला था। सुरेश चंद्र चौधरी 88,198 वोट लाकर दूसरे नंबर पर रहे थे।
दुमका में जितने भी सांसद हुए अधिकतर सादगी से रहे। आज दिशोम गुरु शिबू सोरेन भी उसी सादगी में अपनी राजनीतिक यात्रा कर रहे हैं। चुनाव का रंग बदल रहा है। 2019 में चुनावी रंग बदल सकता है। बात सादगी की हो रही है तो 1997 में जब बाबूलाल मरांडी चुनाव जीते थे तो वह भी उसी आवरण में रंगे थे।
एक नजर में संताल परगना के लाल बाबा : लाल हेंब्रम का जन्म सरायदाहा, शिकारीपाड़ा जन्म 19 अप्रैल 1914 संताल परगना में बुनकरों को चरखा और सूत मुहैया कराकर कुटीर उद्योग को बढाया। संताल परगना महाविद्यालय की स्थापना में आगे रहे। दुमका पालिटेक्निक की स्थापना कराया।
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