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मिशन 2019: बिहार में राजनीति पर चढ़े सामाजिक मुद्दों के भी रंग, जानिए

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटीं पार्टियां सामाजिक मुद्दों पर फोकस करती दिख रहीं हैं। बिहार की बात करें तो राजग व महागठबंधन के सभी प्रमुख दलों के अपने-अपने सामाजिक मुद्दे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 11:13 AM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 07:44 PM (IST)
मिशन 2019: बिहार में राजनीति पर चढ़े सामाजिक मुद्दों के भी रंग, जानिए
मिशन 2019: बिहार में राजनीति पर चढ़े सामाजिक मुद्दों के भी रंग, जानिए

पटना [दीनानाथ साहनी]। लोकसभा चुनाव में इस बार बिहार में राजनीतिक पार्टियों के बीच जन समस्याओं के अलावा सामाजिक भी मुद्दे अहम होंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जहां 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' और गंगा को प्रदूषणमुक्त करने जैसे सामाजिक मुद्दों को उठाने का निर्णय लिया है, वहीं जनता दल यूनाइटेड (जदश्‍ू) शराबबंदी, दहेज और बाल विवाह जैसे सामाजिक मुद्दों को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने जा रहा है। राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) ने कौमी एकता, सामाजिक सद्भाव तो  वामपंथी दलों ने नारी उत्पीडऩ जैसे सामाजिक मुद्दों को जनता के बीच ले जाने का मन बनाया है।

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हर वर्ग में पैठ बनाने की जुगत में भाजपा
आसन्न चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां सामाजिक मुद्दों को कैसे जनता तक पहुंचाया जाए, इसकी तैयारी में जुट गई हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कार्यकर्ताओं को सामाजिक मुद्दों में शामिल करने का प्लान बनाया है। स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और गंगा को प्रदूषणमुक्त करने जैसे सामाजिक मुद्दों को लेकर भाजपा कार्यकर्ताघर-घर तक पहुंचेंगे ।
बिहार भाजपा के चुनावी रणनीतिकारों में शामिल एक पदाधिकारी ने बताया कि चुनाव में राजनीतिक रणनीति पर अब सामाजिक भागीदारी और जिम्मेदारी बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को दी गई है। किस रणनीति के तहत कार्य करना है, इसका खाका पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को थमा दिया गया है। मकसद है विजय लक्ष्य हासिल करना। यह भी स्पष्ट किया गया कि सामाजिक बदलाव के ऐसे कार्यों में हर किसी को जुटना होगा जो समाज के मर्म को छूते हैं।
भाजपा कार्यकर्ता सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और गंगा को प्रदूषणमुक्त करने जैसे सामाजिक मुद्दों से सीधे तौर पर जुड़े हैं। इसलिए कार्यकर्ताओं को इसके लिए जिम्मेदार और जवाबदेह भी बनाया गया है। यहां तक कि भाजपा नेतृत्व ने पार्टी के नए सदस्यों को कार्यकर्ता में परिवर्तित करने का लक्ष्य बनाया है, जो सामाजिक मुद्दों को जन-जन तक पहुंचाने में संदेशवाहक साबित होंगे।
विदेश नीति पंचामृत भी चुनावी मुद्दा
चुनाव में बिहार भाजपा के कार्यकर्ताओं को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की पंचामृत विदेश नीति को भी हर वर्ग तक जाकर बताने की जिम्मेदारी दी गई है। इसमें पांच एस यानी सम्मान, संवाद, समृद्धि, सुरक्षा, संस्कृति एवं सभ्यता शामिल हैं। इन्हीं पांच मुद्दों के पंचामृत से वैश्विक राजनीति को मोदी सरकार विदेश नीति को धार दे रही है।

नए सदस्यों के घर जाएंगे कार्यकर्ता
घर-घर चलो जैसे राजनीतिक कार्यक्रम के जरिये भाजपा ने सामाजिक मुद्दों को जन-जन के बीच प्रचार करने पर जोर दे रखा है। साथ ही मोदी सरकार की उपलब्धियों को भी जन-जन तक पहुंचाने की जवाबदेही कार्यकर्ताओं को सौंपी है।
शराबबंदी और दहेज उन्मूलन जैसे मुद्दे जदयू के हथियार
बिहार में शराबबंदी को सफलता पूर्वक लागू किए जाने के बाद जदयू ने जनहित में इसे सामाजिक मुद्दा तो बनाया ही है बल्कि दहेज उन्मूलन और बाल विवाह का विरोध के अलावा लड़कियों को उच्च शिक्षा देने जैसे सामाजिक विषयों को जदयू के कार्यकर्ताओं को जन-जन तक प्रचारित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रदेश युवा जदयू के अध्यक्ष व विधायक अभय कुशवाहा के मुताबिक युवाओं का कौशल विकास भी हमारा सामाजिक विषय ही है, जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर पूरे प्रदेश के युवाओं के कौशल विकास के लिए प्रभावी ढंग से लागू किया गया है।

कौमी एकता और सद्भाव को राजद ने बनाया मुद्दा
राजद ने कौमी एकता और सद्भाव, आरक्षण जैसे सामाजिक मुद्दों के जरिये चुनाव प्रचार को धार देने का मन मनाया है। वैसे चुनाव में राजद के राजनीतिक मुद्दे होंगे हीं। वहीं वामपंथी दलों ने भूमि सुधार कानून, नारी एवं दलित उत्पीडऩ जैसे सामाजिक मुद्दों के सहारे जनता को जागरूक करने का अभियान चला भी रखा है।

शिक्षा बचाओ के जरिये सामाजिक अभियान चला रही रालोसपा
राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने शिक्षा बचाओ के जरिये सामाजिक अभियान पहले से चला रखा है। पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इस सामाजिक मुद्दा को अपनी चुनावी घोषणा पत्र में प्राथमिकता के आधार पर शामिल करने का निर्णय लिया है।


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