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Lok Sabha Election 2019: बनते-बिगड़ते समीकरण के बीच तैयार हो रहा परिणाम; हाल-ए-गोड्डा

Lok Sabha Election 2019. क्षेत्र में मुस्लिम और यादव गठबंधन की सबसे अधिक बातचीत हो रही है लेकिन इसके काट के रूप में ब्राह्मण और राजपूत के नेतृत्व में अगड़े एक होते दिख रहे हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 06:54 AM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 04:09 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: बनते-बिगड़ते समीकरण के बीच तैयार हो रहा परिणाम; हाल-ए-गोड्डा
Lok Sabha Election 2019: बनते-बिगड़ते समीकरण के बीच तैयार हो रहा परिणाम; हाल-ए-गोड्डा

गोड्डा से आशीष झा। Lok Sabha Election 2019 - गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक उथल-पुथल चरम पर है। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि यहां नित्य नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं और इसी के बीच लोकसभा क्षेत्र का परिणाम आकार भी लेने लगा है। सिर्फ इसे सूक्ष्म नजरों से देखने की जरूरत है। कुछ क्षेत्रों में मतदाता अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं तो कहीं-कहीं इसके खिलाफ भी स्टैंड लिया जा रहा है।

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क्षेत्र में मुस्लिम और यादव गठबंधन की सबसे अधिक बातचीत हो रही है लेकिन इसके काट के रूप में ब्राह्मण और राजपूत के नेतृत्व में अगड़े एक होते दिख रहे हैं। तमाम जातियों को लेकर नेताओं के अपने-अपने दावे हैं लेकिन एक बात तो तय है कि घटवार अभी तक पूरी तरह से किसी के पक्ष में नहीं हैं और इनका मत अभी तक निर्णायक मतों में शामिल है। छोटी संख्या में ही सही पर इनका वोट भी महत्वपूर्ण हो जाएगा।

  • स्‍टार वार शुरू होने के बाद करवटें बदल रहा संताल परगना के इस इलाके का राजनीतिक संघर्ष
  • जमीन की लड़ाई से शुरू होकर राजनीति ने कई रंग दिखाए, अब जनता की बारी-जनता की तैयारी
  • बीजेपी ने उतारे मोदी, शाह, ईरानी समेत तमाम स्टार प्रचारक, विपक्ष को तीन पूर्व सीएम का साथ
  • मुस्लिम-यादव समीकरण को बराबरी पर चुनौती देने को तैयार हो रहा हिंदुओं के अगड़ों का गठबंधन
  • क्षेत्र में आदिवासी मतों का भी बंटवारा तो घटवार भी कई गुटों में बंटे, छोटे दलों का पत्ता लगभग साफ

एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा का असर पूरे संसदीय क्षेत्र में है और लोग स्थानीय सांसद से कहीं अधिक मोदी के लिए वोट करने की बात कह रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, मनोज तिवारी समेत कई स्टार उतर चुके हैं तो महागठबंधन के प्रत्याशी के लिए तीन पूर्व सीएम (बाबूलाल मरांडी, शिबू सारेन और हेमंत सोरेन) लगे हुए हैं। जो भी हो, गोड्डा में पूरे चुनाव का केंद्र बिंदु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बन गए हैं। 

बाबानगरी में मोदी ही मोदी
झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल से लेकर देश के प्रमुख इलाकों से स्टार प्रचारक देवघर और गोड्डा के अन्य क्षेत्रों में पहुंच चुके हैं। सीएम रघुवर दास, भाजपा सांसद पीएन सिंह, रविंद्र पांडेय, रविंद्र राय सरीखे नेता भी विभिन्न इलाकों में प्रचार अभियान चला चुके हैं। इससे भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार निशिकांत दुबे मजबूत होते दिख रहे हैं। क्षेत्र में मतों का पोलराइजेशन दिखने लगा है और भाजपा के कोर वोटर दुबे के लिए अगड़े हिंदुओं को जोडऩे की कोशिश में सफल होते दिख रहे हैं तो पिछड़ों का वोट मोदी के नाम पर आने का दावा है।

यादव मतदाताओं की संख्या ढाई लाख के करीब है और इनके साथ मुस्लिम दिख रहे हैं तो दूसरे समुदाय सशंकित भी हैं। बाबा बैद्यनाथ मंदिर में और आसपास के इलाकों में जिसे भी पूछिए वह मोदी का नाम लेता है। थोड़ी सी भी राजनीतिक समझ वाला व्यक्ति तत्काल क्षेत्र में हुए कार्यों को गिनाता है जिसमें सड़क, शिक्षा के संसाधन और एयरपोर्ट तक का नाम है। जलसंकट से निजात के लिए की जा रही कोशिशें भी लोगों की जुबां पर है तो रेल लाइन की बात युवा बताते हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र से निशिकांत दुबे को लगभग 50 हजार मतों से बढ़त मिली थी और उनका जलवा अभी भी बना हुआ है। टावर चौक के निकट चाय की दुकान पर युवा राकेश बताते हैं कि देवघर छोड़ दीजिए, यहां दूसरों को वोट तो मिलेंगे लेकिन बढ़त बाबा की ही रहेगी। लेकिन शहर छोड़ते ही लोगों की बातों में वह विश्वास नहीं दिखता खास करके कार्यकर्ताओं में। कार्यकर्ताओं का एक गुट उनसे नाराज भी था लेकिन बुधवार से ही सभी मोदी-मोदी करने लगे हैं और इसका असर निश्चित रूप से चुनाव तक बना रहेगा। 

फुरकान दे रहे प्रदीप यादव का साथ
गोड्डा लोकसभा के 6 विधानसभा क्षेत्रों में फिलहाल चार भाजपा के विधायक हैं और दो पर महागठबंधन का कब्जा है। इनमें से एक विधायक प्रदीप यादव हैं जो स्वयं महागठबंधन की ओर से मैदान में उतरे हैं। उनके लिए सबसे राहत की बात यह है कि अब तक सरेआम विरोध कर रहे पूर्व सांसद फुरकान अंसारी उनके समर्थन में उतर चुके हैं और प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। उनके विधायक पुत्र इरफान अंसारी भी महागठबंधन के साथ अब दिख रहे हैं जो चंद दिनों पहले तक प्रदीप यादव का विरोध कर रहे थे।

झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव को पार्टी का पूरा साथ तो मिल ही रहा है, इसके साथ ही उन्हें कांग्रेस, राजद और झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी पूरा सहयोग प्राप्त हो रहा है। यह बात अब समझ में आने लगी है कि पिछले चुनाव में फुरकान को मिले वोट से अधिक हिस्सा प्रदीप यादव को ट्रांसफर हो रहा है। कुछ वोट बंट भी रहे हैं, कुछ इलाकों में सक्रियता भी कम रहेगी। लेकिन, राजनीति में कुछ भी निश्चय नहीं होता और अभी इंतजार करना होगा। 

गांव की तस्वीर जुदा
देवघर से गोड्डा के रास्ते में मोहनपुर में भाजपा के साथ-साथ झाविमो के वोटर भी दिखने लगते हैं। दोनों पार्टियों के कार्यालयों में लोग जमे हैं। यहां सत्तू बेचने में मशगूल मनोज बताते हैं कि गांव में भी दोनों को वोट मिलेगा लेकिन युवा तो मोदी को ही वोट देंगे। चुल्हिया गांव में शिवशंकर चौधरी और दामोदर चौधरी इसके आगे की बात करते हैं। कहते हैं देश को एक पिछड़ा प्रधानमंत्री मिला है और वह पिछड़ों का काम कर रहा है। उसके लिए हम यहां से एक अगड़ी जाति के उम्मीदवार को साथ देने के लिए भेजेंगे।

मोदी का मैजिक इस गांव में साफ दिख रहा है लेकिन पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित नहीं हैं। इसका कुछ असर मतदान पर भी होगा। निर्माणाधीन गंगवार हॉल्ट की ओर जानेवाली सड़क किनारे दोपहर में ही शराब पीते लोगों को देखकर आप अनुमान लगा सकते हैं कि चुनाव का मौसम अभी उफान पर है। लोग इसके भरोसे भी मतदान करने निकलेंगे।

नये समीकरण पर सबकी नजर
पिछले चुनाव में निशिकांत दुबे को मधुपुर, पोड़ैयाहाट और महगामा में अपने प्रतिद्वंद्विओं से कम वोट मिले थे। मधुपुर और महगामा में फुरकान अंसारी को अधिक वोट मिले तो पोड़ैयाहाट में प्रदीप यादव को। देवघर में दोनों को मिले मतों से कहीं अधिक निशिकांत को वोट मिला और यही जीत का आधार बना। जरमुंडी में कांग्रेस विधायक हैं और इसके बावजूद पिछली बार निशिकांत को बढ़त मिली थी। इस बार फुरकान और प्रदीप दोनों साथ हैं और नया समीकरण क्या गुल खिलाएगा यह देखने की बात होगी। 

जीत का मंत्र (निशिकांत दुबे)

  • मतों का पोलराइजेशन हो रहा है। ऐसे में कैडर और जाति आधारित मतों पर केंद्रित रहें।
  • मोदी के नाम पर युवा खासकर उत्साहित हैं, उन्हें इसी नाम पर मतदान केंद्रों तक पहुंचने का प्रबंधन हो।
  • देवघर में विकास कार्यों को आसपास के क्षेत्रों में भी उदाहरण के तौर पर पेश किया जा रहा है। मार्केटिंग हो।

जीत का मंत्र (प्रदीप यादव)

  • मुस्लिम और यादव मतों का बिखराव रोकें। खासकर मुस्लिम मतदाता बूथ तक पहुंचें यह सुनिश्चित हो।
  • अन्य पिछड़ी जातियों का वोट प्राप्त करने के लिए कार्यकर्ताओं को खास इलाकों में लगाने की जरूरत।
  • महिलाओं के बीच नकारात्मक छवि बनने की प्रक्रिया को रोकने की चेष्टा विभिन्न स्तरों पर जरूरी।

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