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Khunti, Jharkhand Lok Sabha Election 2019: खूंटी के रण में मुंडाओं में हो रही सीधी भिड़ंत; Ground Report

Lok Sabha Election 2019. मुंडाओं की बहुलता वाले खूंटी संसदीय क्षेत्र में चुनाव में पसंद- नापसंद का पैमाना तय करने के लिए ग्रामसभाओं से लेकर गिरिजाघरों में कवायद चल रही है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 03 May 2019 11:23 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 07:53 AM (IST)
Khunti, Jharkhand Lok Sabha Election 2019: खूंटी के रण में मुंडाओं में हो रही सीधी भिड़ंत; Ground Report
Khunti, Jharkhand Lok Sabha Election 2019: खूंटी के रण में मुंडाओं में हो रही सीधी भिड़ंत; Ground Report

खूंटी, [प्रदीप सिंह]। Lok Sabha Election 2019 - झारखंड के सघन पहाड़ों और जंगलों से घिरे खूंटी में कुछ पत्थर बरबस ध्यान खींचते हैं। जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे, पत्थर मिलते चलेंगे। पटलनुमा इन पत्थरों पर जो कुछ लिखा गया है, वह अहम है। भारतीय संविधान में ग्राम सभाओं और पांचवीं सूची के तहत मिले अधिकारों का जिक्र ये पत्थर करते हैं। हालांकि एक साल पहले ऐसा नहीं था।

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हरे पेंट में रंगे इन पत्थरों पर तब कुछ और लिखा होता था। एक तरह की चेतावनी लिखा होती थी कि ‘इस क्षेत्र में प्रशासन का प्रवेश निषेध है’। एक दफा भीड़ ने जिले के उपायुक्तऔर पुलिस अधीक्षक तक को बंधक बना लिया था। इसके बाद क्षेत्र में नियंत्रण को लेकर प्रशासन ने कड़ाई की, जिसका प्रतिफल यह हुआ कि भोलेभाले मुंडाओं (स्थानीय जनजाति) को भड़काने वालों पर शिकंजा कसा। आज चुनाव पर भी इसकी छाया है।

कोई पत्थलगड़ी को लेकर मुंह नहीं खोलना चाहता, लेकिन कोचांग, सायको से लेकर अड़की, मुरहू तक सड़क के किनारे पड़े सैकड़ों बेजान पत्थर सब कुछ बोल रहे हैं। यहां चुनाव में पसंद- नापसंद का पैमाना तय करने के लिए ग्रामसभाओं से लेकर गिरिजाघरों में कवायद चल रही है। विभाजन स्पष्ट है। मुंडाओं की बहुलता वाले इस संसदीय क्षेत्र में चर्च का प्रभाव स्पष्ट नजर आता है। जो इस बार एक खास राजनीतिक दल के विरोध में पूरी मजबूती से सक्रिय है।

मुंडाओं की धरती पर इस बार का चुनावी रण भी नए महारथियों के बीच युद्ध का गवाह बना है। खूंटी के पर्याय रहे कड़िया मुंडा इस बार चुनावी सीन से गायब हैं। उन्हें बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए भाजपा आलाकमान ने रिटायर कर दिया है। उनका उत्तराधिकार राज्य में तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले अर्जुन मुंडा को मिला है। अर्जुन मुंडा के लिए यह चुनाव अस्तित्व बचाने की चुनौती भी है।

मुंडा विधानसभा का पिछला चुनाव हार चुके हैं। वे फिलहाल राजनीतिक हाशिये पर हैं। मुख्यधारा में आने के लिए उन्हें खूंटी की जंग में जीत हासिल करनी होगी, जो आसान नहीं है। उनके मुकाबले खड़े कांग्रेस के कालीचरण मुंडा ने भीतरी और बाहरी मुंडा का नारा देकर सहानुभूति हासिल करने की मुहिम तेज की है। वे अर्जुन मुंडा को बाहरी बता रहे हैं।

हालांकि खूंटी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले खरसावां विधानसभा क्षेत्र का अर्जुन मुंडा प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन उन्हें भीतरी और बाहरी के नारे से जूझना पड़ रहा है। धार्मिक आधार पर मतों का विभाजन करने की कोशिश भी चुनाव परिणाम पर असर डालेगी। यही तय करेगा कि कड़िया मुंडा के पर्याय खूंटी सीट पर आखिरकार कौन खूंटा गाड़ने में सफल हो पाएगा। खूंटी झारखंड का वह जिला है, जहां मानव तस्करी सबसे ज्यादा है।

प्लेसमेंट एजेंसियां गरीब और भोलेभाले लोगों को अपना शिकार बना महानगरों में ले जाती है। जहां इनका आर्थिक व शारीरिक शोषण होता है। इलाके में कोई उद्योग नहीं है। लिहाजा पूरी निर्भरता खेती और वनों की उपज पर है। खेती बारिश पर निर्भर है। सबसे बड़ा सहारा है जंगल। लेकिन यह मुद्दे यहां भावनात्मक मुद्दों पर हावी नहीं हो पाते। चुनाव में धार्मिक व जातीय आधार पर पसंदीदा प्रत्याशी तय किए जाते हैं।

इसमें चर्च की बड़ी भूमिका है। इलाके में तीन मिशनरियों के सैकड़ों धर्म प्रचारक सक्रिय हैं। वे भावनात्मक मुद्दों को ज्यादा तरजीह देते हैं। इनके इस हथकंडे का मुकाबला करने को आरएसएस के एकल विद्यालय सक्रिय हैं, जो सेवा, संस्कार से लेकर शिक्षा तक में महती भूमिका निभाते हैं।

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