Lok Sabha Election 2019 : वोट उसी को जो समझे हमको, हमारी समस्याओं को
हम जन प्रतिनिधि इसीलिए चुनते हैं कि वो हमें और हमारी समस्याओं को समझे। हमारे बीच का हो और दुख-दर्द में शामिल हो। शुभम झा के मुंह से निकले इन विचारों पर सबने हामी भरी।
जमशेदपुर, विकास श्रीवास्तव। मोदी हों या राहुल गांधी, वे खुद यहां खड़े होकर अपने सामने हमारे क्षेत्र का विकास नहीं करा सकते। न ही हमें रोजगार बांट सकते हैं या अपने सामने बिजली, पानी सड़क की समस्या दूर करा सकते हैं। हम जन प्रतिनिधि इसी लिए चुनते हैं कि वो हमें और हमारी समस्याओं को समझे। हमारे बीच का हो और दुख-दर्द में शामिल हो। शुभम झा के मुंह से निकले इन विचारों पर सबने हामी भरी जब जागरण चौपाल में लोगों के मन की बात टटोलने की कोशिश की गई।
जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत पोटका विधानसभा क्षेत्र में परसुडीह स्थित खासमहल के कुंडू भवन परिसर में बुधवार को दर्जनों लोगों ने चौपाल में शिरकत करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। कुछ ने अपनी व्यथा उजागर की तो कई लोगों की बातों में वर्तमान सांसद के प्रति आक्रोश भी साफ झलका। परसुडीह के ही करन ओझा का कहना था कि सरकार ऐसी बने जो सबको साथ लेकर चल सके। सभी के लिए हो। भाजपा ने काम भी किया है। फिर भाजपा की ही सरकार बननी चाहिए। राकेश सिंह ने इससे थोड़ा अलग हटते हुए कहा कि हमारा जन प्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जो हर वर्ग के लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध हो। अपनी समस्याओं को लेकर लोग जब चाहें उससे मिल सकें। पिछले पांच साल हमारी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। इसलिए परिवर्तन होना चाहिए।
इसपर और मुखर होते हुए धीरज कुमार यादव ने कहा कि 2014 में मोदी लहर थी। विकास के लिए हमने भाजपा प्रत्याशी विद्युत को चुना। जीतने के बाद पांच साल बीत गए लेकिन एक बार भी विद्युत हमारा हाल जानने परसुडीह नहीं आए। इसबार जनता परिवर्तन के मूड में है। इसपर शुभम झा ने कहा कि केंद्र की अपनी भूमिका है लेकिन मोदी-राहुल यहां खड़े होकर तो समस्याएं सुलझाएंगे नहीं। यह काम तो सांसद को ही करना होगा। इसलिए ऐसा सांसद होना चाहिए जो वीआइपी बनकर नहीं रहे बल्कि हमारे बीच का हमारा बनकर रहे। बातों को मोड़ते हुए घाघीडीह के अशोक सिंह ने कहा कि पांच साल में काफी काम हुए हैं। सांसद विद्युत वरण महतो की देन है कि जुगसलाई में बहुप्रतीक्षित रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण शुरू हुआ। आयुष्मान, उज्जवला जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को मिल रहा है। फिर सबसे बड़ी बात यह कि देश को मोदी सरकार की ही जरूरत है। इसलिए भी जमशेदपुर से भाजपा की जीत जरूरी है।
अंकुश बनर्जी को इस बात का दुख था कि अतिक्रमण हटाने पर बेघर हुए सैकड़ों लोगों का हाल पूछने तक सांसद नहीं आए। वहीं आलोक रंजन का मानना था कि सांसद ऐसा होना चाहिए जो हमारे बीच रहे, उसका कार्यालय भी इसी इलाके में हो। योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति को मिले, न कि पैरवी वालों को, इसपर भी निगरानी रख सके। उनकी बातों को और आगे बढ़ाते हुए तरुण पाल के मुुंह से निकला- पंचायतों को न तो फंड मिला और न ही पावर ताकि वे अपने क्षेत्र के लिए कुछ कर सकें। गरीबों को उजाड़ा गया लेकिन सांसद नहीं आए। बातचीत का सिलसिला सरकारी योजनाओं की ओर मुड़ा तो मनोज नाहा ने सवाल उछाला, यह बताएं कि आयुष्मान योजना से टीएमएच व टाटा मोटर्स अस्पताल को नहीं जोड़ा गया है। फिर इस क्षेत्र के लिए इस योजना का क्या और कितना मतलब है? सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत किसी से छिपा नहीं है।
महबूब अहमद ने उज्जवला को व आयुष्मान योजनाओं को विफल बताते हुए कहा कि सच तो यह है कि अगल 70 साल में भ्रष्टाचार हुए तो पिछले पांच साल भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। लोगों की जमीनें चली गईं, नौकरियों के आश्वासन का झुनझुना थमाया जाता रहा। बातों को एक बार फिर मोड़ते हुए अमित मिश्रा उर्फ गोल्डी ने कहा कि सच तो यह है कि देश-विदेश में मोदी ने भारत की जो प्रतिष्ठा दिलाई है उससे आम जनता का स्वाभिमान बढ़ा है। जहां तक सांसद की बात है तो पांच साल में काम हुए हैं। पांच साल का वक्त इतना ज्यादा भी नहीं कि पूरी कायापलट हो जाए। इसके लिए दोबारा मौका दिया जाना चाहिए। उनकी बात को काटते हुए तुरत प्रेम कर्मकार ने तर्क दिया- सच तो यह है कि परसुडीह क्षेत्र में विकास की एक ईंट भी नहीं लगी। 24 घंटे बिजली-पानी नहीं दे सकते, ग्रामीण सड़कें बदहाल हैं तो वोट मांगने किस आधार पर आते हैं।
इसपर परसुडीह के मनोज विश्वकर्मा का कहना था कि किसी एक एरिया में हो सकता है कि जनता की अपेक्षा पूरी नहीं हो सकी हो लेकिन पूरे संसदीय क्षेत्र को समग्रता से देखा जाना चाहिए। इस चुनाव में दूसरी बार वोट देने जा रहे सनत मंडल ने कहा कि पिछली बार हमने विकास और नौकरी मिलने की उम्मीद पर जिंदगी का पहला वोट भाजपा को दिया था। नौकरी-विकास तो छोडि़ए, सांसद कभी दिखे ही नहीं। सुभाष दास ने कहा कि लोकसभा चुनाव में वोट तो मोदी के नाम पर मांगा जा रहा है लेकिन इसके लिए किसी तरह का प्रलोभन देना ठीक नहीं है। शिक्षा व्यवस्था पर गणपति करूवा का दर्द छलका तो उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में एक से दूसरे गांव की दूरी काफी अधिक है। ऐसे में 1500 स्कूलों को बंद कर दिया जाना कैसा निर्णय है? बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। क्या हमारे नीति नियंताओं को इतना भी नहीं पता कि विकास व रोजगार के लिए शिक्षा कितनी जरूरी है?
पीके करूवा ने भी नोटबंदी को गलत निर्णय बताते हुए कहा कि आयुष्मान योजना उम्मीदों पर पूरी तरह खरी नहीं उतरी है। चिकित्सा सुविधाएं बदहाल हैं। जो इनकी चिंता करेगा हमारा वोट उसी को। सुल्तान अहमद ने कहा कि पिछले चुनाव के बाद से विद्युत (विद्युत वरण महतो) और बिजली दोनों ही गायब हैं। इस बार परिवर्तन की गुंजाइश दिख रही है। निमाय हेंब्रम ने भी सीधे-सीधे कहा कि ये जो बीजेपी वाले हैं, जो कहते हैं वो करते नहीं। इसपर बीजेपी का समर्थन करते हुए ईश्वर सोरेन ने कहा कि नोटबंदी बीजेपी सरकार का अच्छा निर्णय रहा। आतंकवाद खत्म हुआ। भारत में शांति कायम हुई। वास्तव में मोदी ने सबको साथ लेकर सबका विकास किया है। पूरी उम्मीद है कि सरकार भी मोदी की ही बनेगी। बारी चतुर हेंब्रम की आई तो उन्होंने कुछ दूसरी ही चिंता जताते हुए कहा कि एक बड़ी समस्या यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अलग-अलग चुनाव में फर्क नहीं समझते। निर्णय नहीं ले पाते कि पंचायत चुनाव में किसे वोट देना चाहिए। विधानसभा चुनाव किसके लिए होता है और लोकसभा चुनाव का मतलब क्या है। ऊहापोह में रहते हैं।
जागरूक हों तभी सही निर्णय ले सकेंगे। चौपाल में मौजूद महिला अर्पणा गुहा ने महिलाओं से जुड़ा मुद्दा छेड़ते हुए कहा कि महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण कहां मिला। उज्जवला योजना में गैस व चूल्हा तो दिया गया लेकिन उन गरीबों के पास गैस रिफिलिंग के पैसे नहीं हैं। ग्रामीण सड़कों की हालत खस्ता है। टीएमएच में आयुष्मान योजना की सुविधा नहीं है। ऐसे में पांच साल में कौन सी उपलब्धि मिली?
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