Exclusive: राष्ट्रीय सुरक्षा को राजनीति का मुद्दा बना रही भाजपा, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ - अशोक गहलोत
सच्चाई यह है कि अच्छे दिन लाने के साथ-साथ बड़े- बड़े सपने दिखाकर सत्ता में आए मोदीजी ने पांच साल में ऐसा कुछ नहीं किया जिससे जनता का भला हुआ हो।
जयपुर [जागरण स्पेशल]। राजस्थान में अभी चार महीने पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को शिकस्त देकर सत्ता हासिल की और पार्टी ने आजमाए हुए पुराने दिग्गज अशोक गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाकर उन पर भरोसा जताया। लोकसभा चुनाव गहलोत सरकार की पहली सबसे बड़ी राजनीतिक परीक्षा है। सूबे में भाजपा जिस तरह मोदी फैक्टर के सहारे मैदान में है उसमें यह चुनौती कहीं ज्यादा है। इसीलिए मुख्यमंत्री अपनी तरफ से भाजपा को रोकने पर पूरा जोर लगा रहे हैं। सूबे के चुनावी अभियान की आपाधापी के दौरान अशोक गहलोत ने ‘दैनिक जागरण’ के सहायक संपादक संजय मिश्र से बातचीत की। पेश हैं इसके अंश :-
राजस्थान की चुनावी फिजा में राष्ट्रवाद और सुरक्षा का मसला क्यों हावी दिख रहा है?
-सच्चाई यह है कि अच्छे दिन लाने के साथ-साथ बड़े-बड़े सपने दिखाकर सत्ता में आए मोदीजी ने पांच साल में ऐसा कुछ नहीं किया जिससे जनता का भला हुआ हो। इसके विपरीत लोगों की मुसीबतें ज्यादा बढ़ी हैं। नोटबंदी के बाद जीएसटी ने आम लोगों के साथ साधारण बिजनेस करने वालों को जो झटका दिया है उससे लोग अभी उबरे नहीं हैं। इसीलिए प्रधानमंत्री असल मुद्दों पर नहीं आ रहे और भटकाने वाली बातें कर रहे हैं। असली मुद्दों पर उनकी कोई आवाज नहीं निकल रही है।
तो क्या आपके हिसाब से राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल चुनाव में प्रासंगिक नहीं है?
-राष्ट्रीय सुरक्षा तो हमेशा सभी सरकारों के लिए सर्वोच्च रही है और होनी भी चाहिए। मगर इसे राजनीति का मुद्दा कभी नहीं बनाया गया, जैसा आज भाजपा के लोग कर रहे हैं। पाकिस्तान का मुद्दा चुनाव में विपक्ष तो नहीं उठा रहा बल्कि प्रधानमंत्री मोदी पाक को लेकर खुद सवाल उठाते हैं और खुद ही जवाब देते हैं। पाकिस्तान को हर सरकार या प्रधानमंत्री ने जब भी जरूरत हुई, सबक सिखाया। इंदिरा गांधी ने केवल पाकिस्तान पर हमला भर नहीं किया बल्कि उसके दो टुकड़े कर बांग्लादेश बनाया। मगर कोई झूठा प्रचार नहीं किया। मैं 1971 की जंग के वक्त शरणार्थियों के बीच काम करने 15 दिन के लिए गया था और इसीलिए कह सकता हूं कि देश की सुरक्षा की खातिर नहीं बल्कि अपनी राजनीति के लिए प्रधानमंत्री मोदी सब कुछ पाकिस्तान के इर्द-गिर्द घुमा रहे हैं। सच्चाई यह है कि मोदी सरकार में आतंक की बड़ी घटनाएं बढ़ी हैं। पठानकोट, उड़ी के बाद पुलवामा में हमला हुआ जहां सरकार की सुरक्षा रणनीति की चूक जाहिर हुई।
राजस्थान में चुनावी शिष्टाचार की परंपरा रही है। मगर इस बार दोनों पक्षों की ओर से बेहद तीखे वार-प्रतिवार हो रहे हैं। ऐसा क्यों?
-चुनाव जैसे-जैसे हो रहे हैं भाजपा को जमीन खिसकती दिख रही है और प्रधानमंत्री हताशा में ऐसी भटकाने वाली बातें कर रहे हैं जो प्रधानमंत्री पद की गरिमा के बिल्कुल खिलाफ है। विपक्ष के नेताओं पर प्रधानमंत्री केवल छींटाकशी नहीं कर रहे बल्कि झूठे आरोप लगा रहे हैं। मैं तो यही कहूंगा कि पांच साल प्रधानमंत्री रहने के बाद भी मोदी जी मुख्यमंत्री की शैली से बाहर नहीं निकले हैं। दुनिया में किसी भी बड़े देश का मुखिया ऐसी गलत और मनगढ़ंत बातें नहीं करता जैसा हमारे प्रधानमंत्री कर रहे हैं। इसीलिए चुनाव में वोट का फैसला करते समय जनता को सोचना होगा कि केवल अच्छे ओरेटर (भाषण देने वाले) से देश का काम नहीं चलेगा।
कांग्रेस के साथ इस बार आप पर भी वंशवाद को लेकर सवाल दागे जा रहे हैं कि बेटे के लिए आपने पूरा जोर लगा दिया?
-लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च है और वह वोट से फैसला देती है। मगर दुर्भाग्य की बात है कि एक चुने हुए मुख्यमंत्री पर पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप लगाने जैसे निचले स्तर पर प्रधानमंत्री के उतरने को लेकर कोई सवाल नहीं किया जाता। यह राजस्थान की सात करोड़ जनता का अपमान है। बेटे की बात है तो भला कौन पिता अपने पुत्र के लिए नहीं सोचता। जिन्होंने परिवार चलाया ही नहीं, उन्हें इसका अनुभव कहां से होगा। जहां तक कांग्रेस की बात है तो 30 साल से गांधी परिवार का कोई सदस्य किसी पद पर नहीं बैठा है। फिर भी पार्टी नेतृत्व की कुछ ऐसी साख और विश्वसनीयता है कि कांग्रेस में सब लोगों को उन पर भरोसा है। हमें तो समझ में नहीं आता कि भाजपा या मोदी जी को इसको लेकर पेट में दर्द क्यों होता है कि राहुल जी कांग्रेस के नेता हैं।
लोकतंत्र में जनता वोट के जरिये फैसला देती है फिर संस्थाओं के खतरे में होने की बात विपक्ष की ओर से क्यों की जा रही है?
-देश की सभी संस्थाओं की स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर भाजपा सरकार ने जैसा बीते पांच साल में प्रहार किया है उससे विपक्ष की बात छोड़िए जनता को भी इसकी चिंता हो रही है। आम लोगों से भी बात करिए तो वे कहने लगे हैं कि जिस तरह सीबीआइ, ईडी, इनकम टैक्स से लेकर चुनाव आयोग को सत्तापक्ष का हथियार बनाया गया है, वह ठीक नहीं है। विपक्षी नेताओं और दलों को खत्म करने की रणनीति के तहत इन एजेंसियों का भाजपा ने न केवल इस्तेमाल किया बल्कि लोकतंत्र को कमजोर किया है। लोकतंत्र की संस्थाओं और विपक्ष को जब खत्म किया जाएगा तो लोकतंत्र पर इससे बड़ा खतरा और क्या होगा।
चुनाव का गणित क्या संस्थाओं पर प्रहार के मुद्दे से बदला जा सकता है?
-किसी चुनाव में केवल एक मुद्दा नहीं होता मगर जो अहम मसले हैं उसमें यह एक प्रमुख है। सबसे बड़ा मसला रोजगार का है क्योंकि हमारे करोड़ों बेरोजगार युवा मोदी जी के हर साल दो करोड़ नौकरियों के वादे का इंतजार करते रह गए। पांच साल में 10 करोड़ नौकरियां तो मिली नहीं बल्कि नोटबंदी और जीएसटी ने करोड़ों रोजगार छीन लिए। देश में किसान बदहाल है, इसीलिए हमने राजस्थान में किसानों का कर्ज माफ करने का बड़ा कदम उठाया है। किसानों के हालत को बदला जा सके इसके लिए राहुल जी ने अलग से किसान बजट लाने का वादा किया है जो देश के सभी किसानों की स्थिति सुधारने के लिए क्रांतिकारी होगा। इसी तरह न्याय योजना गरीबी पर प्रहार का आखिरी अस्त्र होगा जिसमें पांच करोड़ गरीब परिवारों को 72 हजार रुपये सालाना यानि महीने के छह हजार रुपये मिलेंगे। साफ है कि मोदी सरकार की नाकामियों और झूठ को जनता के सामने रखते हुए कांग्रेस समाज के सभी वर्गों के लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने की रूपरेखा लेकर देश के सामने है। जनता मीडिया प्रोपेगेंडा से संचालित भाजपा के मिथ्या प्रचार के झांसे में नहीं आएगी।