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छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलवाद की फसल काटने की तैयारी में राजनीतिक दल

छत्तीसगढ़ की राजनीति में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा व कांग्रेस नक्सलवाद को प्रमुख मुद्दा बना रहे हैं। केन्द्र की मोदी सरकार के चलते राज्य में नक्सलवाद का सफाया किया जा रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 03:40 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 03:41 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलवाद की फसल काटने की तैयारी में राजनीतिक दल
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलवाद की फसल काटने की तैयारी में राजनीतिक दल

रायपुर। आम चुनाव आते ही एक बार फिर छत्तीसगढ़ में नक्सलियों को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। एक ओर भाजपा नक्सल समर्थक बताकर कांग्रेस को घेर रही है वहीं अब नक्सलियों ने भी कांग्रेस सरकार पर फर्जी मुठभेड़ में हत्या करने का आरोप लगाया है।

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सोमवार को नक्सलियों ने दक्षिण बस्तर में जगह-जगह पर्चे फेंके हैं। इन पर्चों में गोडेलगुड़ा के अलावा अबूझमाड़ में दस आदिवासियों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या का आरोप लगाया है। लोकसभा चुनाव का बहिष्कार तो नक्सली करते रहे हैं, अब फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाकर सरकार को घेरने की कोशिश भी कर रहे हैं।

कांग्रेस-भाजपा में नूराकुश्ती: 

बस्तर में पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है। इससे पहले इस मसले पर कांग्रेस और भाजपा में नूरा कुश्ती जारी है। झारखंड में सामाजिक कार्यकर्ता ज्यांद्रेज की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनके पक्ष में ट्वीट किया तो भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कह दिया कि कांग्रेस शहरी नक्सलियों का समर्थन करती है। इसी बीच एक नक्सली नेता ने बयान दिया कि सरकार माहौल बनाए तो बातचीत हो सकती है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सली हथियार छोड़ें और संविधान पर यकीन करें तो बात हो जाएगी। मुख्यमंत्री के इस बयान पर भी भाजपा की ओर से कहा कि अब तक तो वह पीड़ित पक्षों से बात करने जा रहे थे।

मंत्री ने अपनी ही सरकार से की जांच की मांग:

कांग्रेस और भाजपा में नक्सलवाद को लेकर बयानबाजी कुछ भी हो, हकीकत तो यह है कि नक्सल मामले में जो नीति भाजपा की सरकार की रही वही नीति कांग्रेस की सरकार की भी है। छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री कवासी लखमा गोडेलगुड़ा में फर्जी मुठभेड़ में आदिवासी महिला की हत्या का आरोप लगाकर जांच की मांग अपनी ही सरकार से कर चुके हैं। बस्तर के कांग्रेसी विधायकों की चिंता है कि किसी तरह बस्तर में शांति आए, हालांकि उनमें से कई इस बात से निराश हैं कि सरकार उनकी बातों को तवज्जो नहीं दे रही है।

विधानसभा चुनाव के समय भी उठा था विवाद: 

कांग्रेस नेता राजबब्बर ने विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान नक्सलियों को क्रांतिकारी बताकर विवाद खड़ा कर दिया था। जबकि यहां कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से बस्तर में फोर्स पर फर्जी मुठभेड़ के दो आरोप लगे हैं। मानवाधिकारवादियों को नई सरकार से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन सरकार की कोई नई नीति इस मामले में नहीं दिखी।

आदिवासियों की जेल से रिहाई के लिए कमेटी: 

बस्तर संभाग की जेलों में नक्सल और अन्य अपराध में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा के लिए जस्टिस पटनायक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की। हालांकि बस्तर में काम कर रहे पत्रकारों, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों आदि की सुरक्षा के लिए कानून नहीं बन पाया।

फर्जी मुठभेड़ के आरोपों पर चुप रही सरकार: 

दोरनापाल के गोडेलगुड़ा में 2 फरवरी को फोर्स ने जंगल से लकड़ी चुनने जा रही महिला सुक्की की हत्या कर दी। एक अन्य महिला देवे को पैर में गोली लगी थी। इस मुठभेड़ पर सवाल उठे। 7 फरवरी को भैरमगढ़ के ताड़बेला में फोर्स ने 10 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया। आदिवासियों ने इसे फर्जी मुठभेड़ कहा और प्रदर्शन किया पर सरकार चुप रही।  


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