Move to Jagran APP

छत्तीसगढ़ सरकार की नीति साफ नहीं, लोकसभा चुनाव आते ही नक्सली हुए अक्रामक

नक्सल प्रभावित बस्तर जिले में पहले चरण पर चुनाव है। नक्सलियों ने मतदान के बहिष्कार के लिए पोस्टर चिपकाए हैं। कांग्रेस शासित राज्य में चुनाव दौरान नक्सलियों का उग्र रुप दिख रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 04:25 PM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 04:25 PM (IST)
छत्तीसगढ़ सरकार की नीति साफ नहीं, लोकसभा चुनाव आते ही नक्सली हुए अक्रामक
छत्तीसगढ़ सरकार की नीति साफ नहीं, लोकसभा चुनाव आते ही नक्सली हुए अक्रामक

रायपुर, जेएनएन। चुनाव आते ही छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का गैंग एक बार फिर एक्टिव हो गया है  नक्सलियों ने लगातार दो दिन फोर्स पर हमला किया और पांच जवानों की हत्या कर दी। प्रदेश में चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सली चुनाव बहिष्कार की घोषणा की रस्म अदायगी तक सीमित रहे। तब जंगल के बूथों में कई साल बाद भीड़ उमड़ी थी। अब लोकसभा में ऐसा क्या हो गया जो नक्सली हमलावर हो गए हैं।

loksabha election banner

जानकार बताते हैं कि नक्सल मामले में सरकार की नीति साफ न होने से मुश्किल बढ़ी है। नईदुनिया ने पहले ही खबर दी थी कि लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सली टेक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाएंगे। फोर्स नक्सलियों के टीसीओसी की चपेट में आ रही है, जबकि जवानों के मन में उहापोह है कि सरकार उनसे बात करेगी, उन्हें जेल से छोड़ेगी या फिर युद्ध करेगी।

दरअसल प्रदेश में 15 साल के बाद कांग्रेस की सरकार आई तो नक्सल फ्रंट पर बदलाव की उम्मीद की गई। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस उस वक्त की भाजपा सरकार पर फर्जी मुठभेड़ों में आदिवासियों की हत्या करने का आरोप लगाती रही। कांग्रेस ने चुनाव में बातचीत के जरिए नक्सल समस्या का समाधान करने का वादा भी किया था।

हालांकि चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस इस मुद्दे पर दुविधा में दिखी। यह दुविधा नीचे के स्तर तक है। सरकार बनने के बाद पहले तो नक्सल मामले में कोई बदलाव नहीं आया और फोर्स लगातार ऑपरेशन करती रही। फिर भैरमगढ़ और दोरनापाल से फर्जी मुठभेड़ की दो खबरें आईं। इस दौरान पहले तो नक्सलियों ने कहा कि सरकार बातचीत का माहौल बनाए, फिर बोल दिया न हथियार छोड़ेंगे न बात करेंगे।

नक्सल मामले में सरकार ने अब तक जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी की अभी कोई बैठक नहीं हुई है। भाजपा आरोप लगाती रही है कि कांग्रेस की नक्सलियों से साठगांठ है, जबकि कांग्रेस कहती है कि झीरम कांड भाजपा का हाथ था जिसमें कांग्रेस के बड़े नेता मारे गए। नई सरकार के गठन के बाद नक्सली पहले तो शांत रहे, लेकिन लोकसभा का चुनाव आते ही उन्होंने जगह-जगह पर्चे फेंक आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल फर्जी मुठभेड़ करा रहे हैं।

कोर एरिया छोड़कर नए इलाकों में कर रहे वारदात

पिछले दो दिन में नक्सलियों ने कांकेर और धमतरी जिलों में दो घटनाओं को अंजाम दिया जिसमें बीएसएफ के चार और सीआरपीएफ के एक जवान की की मृत्यु हो गई। इन इलाकों में अरसे बाद नक्सलियों ने मौजूदगी दर्ज कराई है। जबकि नक्सल घटनाओं के लिए सबसे ज्यादा बदनाम सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों में फिलहाल कोई वारदात सामने नहीं आई है।

नक्सल प्रभावित जिलों के एसपी बदलने का भी असर

राज्य सरकार ने पहले दो महीने पुरानी व्यवस्था से ही काम चलाया। जब नक्सल मामले में मानवाधिकार हनन का शोर उठना शुरू हुआ तो लोकसभा चुनाव से ऐन पहले धमतरी, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा और कोंडागांव जिलों के एसपी बदल दिए गए। सरकार की नीति स्पष्ट न होने से ऑपरेशन तो लगभग बंद ही हैं। अभी चुनाव के लिए बाहर से अतिरिक्त फोर्स भी आई है। बस्तर में पदस्थ खुफिया विभाग के एक अफसर ने कहा कि जब फोर्स ज्यादा होती है तो उन्हें टारगेट बनाने में आसानी होती है।

मैसेज साफ हो, लड़ें या चुप रहें
एक तरफ सरकार तय नहीं कर पा रही है कि नक्सल मोर्चे पर क्या करेगी तो वहीं दूसरी ओर इस अवसर का फायदा उठाकर नक्सली लगातार अपना संगठन मजबूत कर रहे हैं। नक्सली हर साल मार्च से जून तक टीसीओसी चलाते हैं। बीते कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में नक्सलियों ने या तो सरेंडर किया है या मारे गए हैं। नक्सल कैडर का मनोबल बनाए रखने के लिए वारदात करना उनकी मजबूरी है। फोर्स के अफसरों का कहना है कि मैसेज साफ हो, या तो दोनों ओर से युद्ध विराम रहे या फिर सीधी लड़ाई हो। समय बर्बाद किया गया तो वे खुद को और मजबूत कर लेंगे। यही उनकी रणनीति है। चुनाव के बाद बरसात आ जाएगी और वे छिप जाएंगे।

सीएम पहुंचे बस्तर, नेताम का दौरा टला
लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सल वारदातों का असर प्रचार पर भी पड़ रहा है। शुक्रवार को भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविचार नेताम बस्तर जाने वाले थे पर उनका दौरा टल गया। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जगदलपुर के नगरनार पहुंच गए। वे रात में जगदलपुर में रहेंगे और सुबह तोकापाल से होकर धुर नक्सल प्रभावित बीजापुर में सभा लेने जाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.