छत्तीसगढ़ में अब चुनावी मुद्दा बन गई गरीबों की दाल-भात की थाली, कांग्रेस सरकार ने बंद की योजना
छत्तीसगढ़ के सभी जिले में दाल भात योजना की शुरूआत वर्ष 2004 हुई थी। गरीबों के लिए शुरु हुई दाल भात योजना पर सियासत शुरु हो गई है। कांग्रेस समेत भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है
रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब दाल-भात की थाली चुनावी मुद्दा बन गई है। केंद्र सरकार ने दस रुपये में मिलने वाले दाल-भात सेंटर के लिए चावल देने से मना कर दिया। इसका असर यह हुआ कि कांग्रेस सरकार ने सभी दालभात सेंटर को बंद करने का फैसला ले लिया। केंद्र और राज्य का आपसी टकराव अब लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट करके मोदी सरकार पर निशाना साधा है। भूपेश ने ट्वीट किया कि '2014 में मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही छत्तीसगढ़ के किसानों का धान का बोनस रोक दिया। अब दाल-भात सेंटर को खाद्यान्न देने से मना कर दिया। छत्तीसगढ़िया भोला जरूर होता है, पर कमजोर नहीं। छत्तीसगढ़ विरोधी मानसिकता वाले नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी का प्रदेश की जनता ईंट से ईंट बजा देगी।'
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आरोपों का पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने जवाब दिया है। डॉ रमन ने कहा कि दाल-भात सेंटर गरीबों के लिए शुरू किया गया था। इसे बंद करके सरकार ने साबित कर दिया कि उनका आर्थिक प्रबंधन कमजोर है। केंद्र सरकार ने सिर्फ चावल देने से मना किया है। प्रदेश में भाजपा सरकार के समय से ही एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल दिया जा रहा है।
ऐसे में क्या राज्य सरकार चावल का इंतजाम नहीं कर सकती है। यह प्रदेश की बदहाल आर्थिक स्थिति को दर्शाता है। कांग्रेस सिर्फ वोट की राजनीति के लिए बड़े-बड़े वादे करती है। प्रदेश आर्थिक अराजकता की स्थिति में फंस गया है। सिर से पैर तक कर्ज में डूबने वाली सरकार की स्थिति लोकसभा चुनाव के बाद क्या होती है, यह देखने वाला होगा।
सरकार संचालित करती तो बंद नहीं होते सेंटर
छत्तीसगढ़ में 127 दाल भात सेंटर का संचालन किया जा रहा है। यह सभी सेंटर गैर सरकारी संगठन और स्वयंसेवी संगठन की ओर से चलाए जा रहे थे। केंद्र सरकार ने चावल का आवंटन सिर्फ इसलिए रोक दिया, क्योंकि इन सेंटरों का संचालन सरकार की ओर से नहीं किया जा रहा था। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति संचालक ने एक पत्र जारी करके सभी जिलों के दाल-भात सेंटर को अप्रैल से राशन नहीं देने का निर्देश दिया है। इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से शासकीय या शासकीय स्वामित्व वाले सेंटर को ही खाद्यान्न् का आवंटन किया जाएगा।
रोजाना 50 हजार लोगों के निवाले पर संकट
छत्तीसगढ़ में अधिकांश दाल-भात सेंटर अस्पताल, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के पास खोले गये हैं। राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा के सामने रोजाना दो से ढाई हजार लोग दाल-भात सेंटर में भोजन करते हैं। सरकार की ओर से इन सेंटरों को बंद करने के फरमान का सीधा असर गरीबों के निवाले पर पड़ेगा। लोगों को दाल-भात सेंटर के विकल्प की तलाश करना पड़ेगा। सामाजिक कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि अन्न्पूर्णा दाल-भात सेंटर योजना काफी महत्तवपूर्ण थी। यह गरीबों के भोजन का आसरा था। इसके लिए सरकार को भले ही बजट का प्रावधान करना पड़े, लेकिन बंद नहीं करना चाहिए।