Lok Sabha Election 2019 : कर्नाटक में दूसरे चरण के मतदान के बाद नजरें देवगौड़ा के पोतों के सियासी परफॉरमेंस पर
कर्नाटक का गन्ना उत्पादक मांड्या संसदीय क्षेत्र अपनी मिठास के लिए जाना जाता है लेकिन दूसरे चरण में यह चुनावी कड़वाहट के कारण चर्चा में रहा।
नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। कर्नाटक में दूसरे चरण में 61.84 फीसद मतदान दर्ज किया गया। राज्य का गन्ना उत्पादक मांड्या संसदीय क्षेत्र अपनी मिठास के लिए जाना जाता है लेकिन मौजूदा लोकसभा चुनाव में यह 'चुनावी कड़वाहट' के कारण चर्चा में रहा। यहां चुनावी लड़ाई चरम पर देखी गई। राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल के सामने कन्नड़ फिल्मों की अभिनेत्री सुमालता के होने के कारण यहां कांटे का मुकाबला रहा। निखिल यहां से जदएस और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी हैं, लेकिन अब 23 मई को मतगणना के बाद ही साफ हो पाएगा कि वह अपनी राजनीतिक विरासत को बचाए रखने में कितने कामयाब हुए।
निर्दलीय सुमालता को समर्थन देकर भाजपा ने लड़ाई को रोचक बनाया
इन सबके बीच, राज्य में गठबंधन सरकार के बीच बढ़ी कटुता का आलम यह है कि कांग्रेस के टिकट पर यहां से सांसद रहे कन्नड़ फिल्मों के सुपर स्टार अंबरीश की विधवा पत्नी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जदएस को चुनौती दी। अंबरीश इस सीट से तीन बार जीत दर्ज की थी। भाजपा ने यहां से अपना प्रत्याशी उतारने की जगह निर्दलीय सुमालता को समर्थन देकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया। ऐसे में मांड्या और हासन संसदीय क्षेत्र में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोतों के लिए अपनी राजनीतिक विरासत को बचा पाना आसान नहीं होगा।
कावेरी जल बंटवारे का मुद्दा रहता है गरम
मांड्या प्रक्षेत्र राज्य का बड़ा गन्ना उत्पादक है। गन्ने की खेती में पानी की कमी को लेकर कावेरी नदी के पानी के बंटवारे का मुद्दा जोरदार तरीके से उभरता है। राजनीतिक तौर पर यह संसदीय क्षेत्र बेहद संवेदनशील भी है। लिंगायत व वोक्कालिया समुदाय के लोगों के बीच जबर्दस्त तनातनी रहती है। यहां होने वाले चुनावों में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला इन्हीं समुदायों की इच्छा पर निर्भर करता है। देवगौड़ा वोक्कालिया समाज से ताल्लुक रखते हैं, जबकि निर्दलीय सुमालता भी इसी समाज से हैं। ऐसे में लड़ाई काफी कड़ी रही।
12 बार कांग्रेस और तीन बार जदएस ने जीता है चुनाव
भाजपा वोक्कालिया समुदाय के धार्मिक मठ चुनचुनगिरी से संपर्क में रही है। मांड्या सीट पर हुए 18 बार के लोकसभा चुनाव में 12 बार कांग्रेस, तीन बार जदएस, दो बार जनता दल और एक बार जनता पार्टी ने चुनाव जीता है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जनता दलएस के प्रत्याशी केसीएस पुत्ताराज को 5.24 लाख वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस की प्रत्याशी राम्या को 5.18 लाख मत प्राप्त हुए थे। हालांकि, 2018 में हुए उपचुनाव में जद एस के एलआर शिवरामगौड़ा ने जीत हासिल की थी।
सातों विधानसभा सीटों पर जदएस का कब्जा
फिलहाल, मांड्या सीट के दायरे में आने वाली सातों विधानसभा सीटो पर जदएस का कब्जा है। बावजूद इसके प्रतिद्वंद्वियों की कड़ी चुनौती के कारण माड्या और हासन जैसी वीआईपी सीटों पर देवगौड़ा परिवार की तीसरी पीढ़ी के दोनों युवा राजनेता निखिल और प्रांजल के लिए सियासी परीक्षा कठिन है। चुनाव कवरेज करने पहुंचे जागरण संवाददाता ओमप्रकाश तिवारी की ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, मुद्रा जैसी योजनाओं ने यहां के तटवर्ती मछुआरों की जिदंगी बदल दी है। इसलिए भी पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के दोनों पोतों के लिए मौजूदा चुनावी सफर आसान नहीं माना जा रहा है।