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Lok Sabha Election 2019 : एक दूजे का भेद लेने में जुटे हैं प्रत्याशी

Lok Sabha Election 2019. चुनाव आयोग की कड़ाई के कारण पूरा चुनावी व्याकरण एकदम उलट पलटकर रह गया है। प्रचार के रंगढंग में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 01:48 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 01:48 PM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 :  एक दूजे का भेद लेने में जुटे हैं प्रत्याशी
Lok Sabha Election 2019 : एक दूजे का भेद लेने में जुटे हैं प्रत्याशी

चक्रधरपुर, दिनेश शर्मा। Lok  Sabha Election 2019 चुनाव खर्च सचमुच सिमटा है या इसका स्वरूप बदल गया, यह तो गहन अनुसंधान का विषय हो सकता है, किन्तु चुनाव आयोग की कड़ाई के कारण पूरा चुनावी व्याकरण एकदम उलट पलटकर रह गया है। प्रचार के रंगढंग में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। प्रत्याशी और वोटर के परस्पर व्यवहार बदले हैं। जनसम्पर्क की शैली में तब्दीली आयी है। चुनावी वादे सगुण समझौते की शक्ल ले रहे हैं। वर्कर का इस्तेमाल अब भेदिए के रूप में हो रहा है।

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प्रत्याशी के घर या चुनाव कार्यालय पर चलने वाले‘लंगर’का बहुआयामी प्रयोग हो रहा है। वोटर को अब चालाक मानने के बाद प्रत्याशी जासूसी पर उतर आए हैं। हालांकि महानगरों की तर्ज पर सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में किसी डिटेक्टिव एजेंसी को कोई काम आउटसोर्स तो नहीं किया गया, लेकिन यह भूमिका वर्कर ही बखूबी निभा रहे हैं। सबसे दिलचस्प हो गया है जासूसी का यह जाल, जहां अनेक स्तरों पर यह सुरागकशी जारी है। प्रत्याशी एक दूसरे की और वोटरों की जासूसी करा रहे हैं, तो जासूस भी एक दूसरे के पीछे वेश बदलकर घूम रहे हैं।

दंगल में लंगर और जासूसी का जाल

इस क्रम में प्रमुख प्रत्याशियों के घरों और चुनावी कार्यालयों पर लंगर के नजारे देखे जा रहे हैं। ऐसे लंगरों में वर्करों के लिए नाश्ते-खाने का बढ़िया इंतजाम तो हो रहा है, गाड़ी-पेट्रोल देने का भी पूरा प्रबंध है। ज्यादातर लंगरों में बीच-बीच में उड़ंतुआ-चरंतुआ-तैरंतुआ अर्थात मुर्गा, खस्सी, मछली और रात में शराब के दौर भी चल रहे हंै। इसके विपरीत खासकर निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे प्रत्याशियों के चुनाव कार्यालय ऐसे भी हैं, जहां नींबू पानी के बूते ही काम आगे बढ़ रहा है। यहां जुट रहे कार्यकर्ताओं में वैसे लोगों की पूछ अधिक है, जिनका इस्तेमाल भेदिया तंत्र के रूप में हो रहा है। प्रत्याशी आपस में एक दूसरे के प्रचार समूहों और खास-खास इलाकों की जासूसी करा रहे हैं और छुप-छुपकर रात में जनसम्पर्क का तौर-तरीका भी अपनाने लगे हैं। दूसरी ओर ऐसे भेदियों में एक दो प्रतिद्वंद्वी गुट के बाहरी भेदिये भी घुस जा रहे हैं, जो जासूसों की ही जासूसी करते हुए अपने असली आका प्रत्याशी को इस गुट की तैयार और कार्ययोजना की सूचनाएं देते हैं।


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