Lok Sabha Election 2019 : मैदान में हैं प्रत्याशी लेकिन दांव पर विधायकों की साख
लोस चुनाव के छठें चरण का मतदान कल यानी रविवार को है। चुनाव मैदान में प्रत्याशियों को जिताने की साख राजनीतिक पार्टियों के विधायकों पर है। पार्टियों ने उन्हें जिताने का निर्देश है।
प्रयागराज [अवधेश पांडेय]। करो या मरो के दौर से होकर 17 वीं लोकसभा के लिए छठें चरण का चुनाव प्रचार थम चुका है। इसी चरण में फूलपुर, इलाहाबाद और प्रतापगढ़ संसदीय सीट के लिए भी वोट पड़ेंगे। प्रत्याशी और उनके रणनीतिकर अपनी-अपनी चुनावी चालें चल चुके हैं। अब बारी जनार्दन यानी जनता की है, जो 12 मई को प्रत्याशियों का भाग्य लिखेगी। वैसे तो भाग्य केवल प्रत्याशियों का बंद होगा, लेकिन जब 23 मई को ईवीएम से रिजल्ट बाहर आएगा तो फेल कई और भी होंगे। और वह होंगे क्षेत्रीय विधायक, वह होंगे विधायकी लडऩे का मंसूबा पाले नेता।
...उनके क्षेत्र में उम्मीदवार हारना नहीं चाहिए
चुनावी समर में कूदे प्रत्याशी तो अपनी जीत के लिए सारे जतन कर ही रहे हैं। पार्टी के बड़े नेताओं ने भी उनकी जीत के लिए चुनावी सभाएं और रोड शो किए। इसके अलावा राजनीतिक दलों ने अपने विधायकों को भी बड़ा टास्क दिया है। वह यह कि उनके क्षेत्र में उम्मीदवार हारना नहीं चाहिए। इसके अलावा विभिन्न दलों से विधानसभा चुनाव लडऩे का मंसूबा पाले नेताओं को भी लक्ष्य दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र में उम्मीदवार को जिताएं। इस तरह प्रत्याशी तो दांव पर हैं ही, लेकिन विधायक और विधायकी लडऩे का मंसूबा पाले नेताजी की भी साख दांव पर लगी है। वजह यह कि यह एक तरह से विधानसभा चुनाव के लिए उनका लिटमस टेस्ट भी होगा।
लोकसभा क्षेत्र फूलपुर
बात पहले लोकसभा क्षेत्र फूलपुर की। यहां फाफामऊ विधानसभा सीट से भाजपा के विक्रमाजीत मौर्य, सोरांव से भाजपा समर्थित अपना दल (अनुप्रिया गुट) से जमुना प्रसाद, फूलपुर विधानसभा सीट से भाजपा के प्रवीण पटेल, शहर पश्चिमी से भाजपा के सिद्धार्थ नाथ सिंह और शहर उत्तरी से भाजपा के हर्षवर्धन वाजपेयी विधायक हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में जहां भाजपा के विधायकों पर अपने-अपने क्षेत्र में अपनी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने की जिम्मेदारी है तो वहीं अन्य दलों में उन दिग्गज नेताओं के पास अपने उम्मीदवार को बढ़त दिलाकर विधायकी के टिकट के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने का मौका है। करीब ढाई साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे, इसलिए इस चुनाव परिणाम के आइने में परख विधानसभा चुनाव के टिकट के दावेदारों की भी होगी।
इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र
अब बात इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र की। यहां भाजपा के चार एवं सपा के एक विधायक की साख फंसी है। यहां करछना विधानसभा सीट से सपा के उज्ज्वल रमण सिंह विधायक हैं तो मेजा से नीलम करवरिया, बारा (सुरक्षित) से अजय कुमार, कोरांव (सुरक्षित) से राजमणि कोल और शहर दक्षिणी से नंद गोपाल गुप्ता 'नंदीÓ भाजपा से विधायक हैं।
प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र
इसके अलावा प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर भी भाजपा के समीकरण इलाहाबाद संसदीय सीट के जैसे ही हैं। यहां रामपुर खास विधानसभा सीट से कांग्रेस की आराधना मिश्रा 'मोना' विधायक हैं। बाकी सभी सीटें भाजपा या भाजपा समर्थित के खाते में हैं। प्रतापगढ़ में एक फर्क सिर्फ यह है कि सदर से विधायक संगमलाल गुप्ता संसद जाने के लिए चुनाव मैदान में हैं। अन्य सीटों पर विश्वनाथगंज से डॉ. आरके वर्मा, पट्टी से राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह और रानीगंज से धीरज ओझा विधायक हैं। इस तरह तीनों संसदीय सीटों के राजनीतिक परिदृश्य में सपा-बसपा गठबंधन और कांग्र्रेस पार्टी के नेताओं के पास अपने को साबित करने का अच्छा मौका है। कुल मिलाकर यह लोकसभा चुनाव देश का भविष्य तो तय करने जा ही रहा है, लेकिन अंदरखाने विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि भी यह चुनाव तय करेगा।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप