Lok Sabha Election 2019: मध्य प्रदेश में वोट को तरसते निर्दलीय उम्मीदवार
मध्य प्रदेश के वोटर्स भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के अलावा किसी अन्य दल के नेताओं को वोट नहीं करते हैं। राज्य की यही दो प्रमुख पार्टियां हैं।
भोपाल, वैभव श्रीधर। मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से दर्जनभर से ज्यादा ऐसी हैं, जहां मतदाताओं को कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर किसी पर भरोसा ही नहीं है। इन दोनों दलों के अलावा जितने भी उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं, उन सबको मिलने वाले वोटों को मिलाकर भी आंकड़ा एक लाख की संख्या को पार नहीं कर पाता है। इसमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, होशंगाबाद से लेकर ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली सीटें शामिल हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो ज्यादातर जगहों पर मुकाबला सीधा ही रहा है।
मध्य प्रदेश में एक लोकसभा सीट में औसत मतदाताओं की संख्या करीब 18 लाख है। 2014 के चुनाव में 61 फीसद मतदाताओं ने मतदान किया। औसत दस लाख वैध वोट प्रत्येक लोकसभा में पड़े, लेकिन कांग्रेस और भाजपा को छोड़ दें तो किसी भी अन्य दल और उम्मीदवार को मिलाकर एक लाख वोट भी नहीं मिला।
शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण सीटों के मतदाता ज्यादा जागरुक रहे। उज्जैन में सिर्फ 31 हजार 549 वोट पड़े। भोपाल में कुल 67 हजार 341 मतदाताओं ने, इंदौर में 67 हजार 830, जबलपुर में 73 हजार 717, देवास में 62 हजार 736 और होशंगाबाद में 64 हजार 138 मतदाताओं ने वोट दिया।