रामपुर में एक मंच पर आए आजम विरोधी, बुलंद की आवाज
लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और रालोद ने प्रदेशभर में गठबंधन कर रखा है लेकिन रामपुर में आजम के विरोधी एक अलग मंच पर आ गए हैं।
रामपुर, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और रालोद ने प्रदेशभर में गठबंधन कर रखा है, लेकिन रामपुर में आजम के विरोधी एक अलग मंच पर आ गए हैं। गठबंधन में शामिल बसपा और रालोद के कई नेता उनका साथ छोड़कर कांग्रेस के समर्थन में उतर आए हैं। इनमें तीन नेता तो ऐसे हैं, जो विधानसभा चुनाव में बसपा और रालोद के प्रत्याशी भी रहे हैं, जबकि दो नेता बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। अब ये सभी कांग्रेस के मंच पर नजर आ रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां रामपुर शहर से नौ बार से विधायक चुने जा चुके हैं और इस समय प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं। राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। रामपुर में उनके विरोधी भी कम नहीं हैं। अब सभी विरोधी एकजुट होकर उनकी घेराबंदी करने में लगे हैं। वे आजम को रोकने के लिए अपनी पार्टियां तक छोड़ रहे हैं। पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर आजम के बेटे अब्दुल्ला के मुकाबले लड़े थे, जो अब बसपा छोड़ कांग्रेस के साथ आ गए हैं। उनके बेटे युवा नेता हमजा मियां भी कांग्रेस में आ गए हैं। नवेद मियां लगातार पांच बार विधायक चुने गए हैं।
वैसे नवाब खानदान और आजम में पहले से ही 36 का आंकड़ा है। दोनों एक-दूसरे के सियासी दुश्मन हैं। नवाब खानदान इस चुनाव में आजम से अपनी हार का बदला लेना चाहता है। इसी तरह आजम के मुकाबले बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े डा. तनवीर अहमद भी कांग्रेस में आ गए हैं। वह भी अपनी हार का बदला लेना चाहते हैं। आजम के खिलाफ कई बार चुनाव लड़ चुके पूर्व विधायक अफरोज खां मंगलवार को कांग्रेस में आ गए। उनके साथ उनकी पत्नी पूर्व पालिकाध्यक्ष रेशमा बी भी कांग्रेस में शामिल हो गईं। अफरोज खां बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं।
जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष हाफिज अब्दुल सलाम भी आजम के विरोधी माने जात हैं। आजकल कांग्रेस के मंच पर नजर आ रहे हैं। सलाम और उनकी पत्नी जाहिदा सलाम दस साल चेयरमैन रहे हैं। वह बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। स्वार के पूर्व चेयरमैन शफीक अंसारी, उनकी पत्नी पालिकाध्यक्ष रेशमा परवीन और उनकी मामी ब्लाक प्रमुख कुबरा बेगम भी कांग्रेस के समर्थन में उतर आए हैं। रामपुर शहर के पूर्व चेयरमैन सरदार जावेद खां और शाहबाद के पूर्व चेयरमैन पप्पू खां भी कांग्रेस के मंच पर नजर आ रहे हैं।
पहले बहुत करीबी थे और अब विरोधी
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश महासचिव रहे आसिम खां ने भी रालोद से नाता तोड़ लिया है। उनके साथ ही है रालोद के जिलाध्यक्ष मिर्जा आलम बेग ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। दरअसल आसिम का आजम से 36 का आंकड़ा है। आसिम भी शहर से आजम के मुकाबले विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। किसी जमाने में आसिम भी आजम के बहुत करीबी हुआ करते थे। अब उनकी सियासी अदावत इतनी बढ़ गई है कि वह आजम को चुनाव लड़ाने के लिए तैयार नहीं हैं।
आजम खां के विरोध में निकाला जुलूस
विश्व ङ्क्षहदू महासंघ के कार्यकर्ताओं ने गठबंधन प्रत्याशी सपा नेता आजम खां के भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा पर दिए गए अशोभनीय बयान की ङ्क्षनदा की। आजम को लोकसभा चुनाव से वंचित कराने की मांग को लेकर मंगलवार को कार्यालय से कलेक्ट्रेट तक कार्यकर्ताओं ने महिलाओं के साथ जुलूस निकाला। इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा।
जिलाध्यक्ष वीर ङ्क्षसह राठौर ने कहा कि आजम ने तमाम अनैतिक कार्य किए हैं। यूनिवर्सिटी की आड़ में सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। कई बार ङ्क्षहदू-मुस्लिम एकता को खंडित करने और आपस में लड़ाने का असफल प्रयास किया है। वर्तमान में अपनी घृणित आदत का परिचय देते हुए जनपद का माहौल बिगाडऩे के लिए भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा के प्रति अशोभनीय बयान दे रहे हैं। इनकी हरकतें अब बर्दाश्त से बाहर हो गई हैं। इससे रामपुर की गंगा-जमुनी तहजीब, भाईचारे को खतरा है। कहा जो इंसान इंसानियत से इतना गिर गया हो, नारी का सम्मान न करता हो ऐसे व्यक्ति को सांसद बनाना तो दूर, उसके पास से निकलना भी नहीं चाहिए।
आजम जैसे लोगों का हो सामाजिक बहिष्कार : इंद्रेश
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने कहा कि आजम खां ने भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा के लिए अशोभनीय टिप्पणी करके उनका ही नहीं, बल्कि सभी महिलाओं का अपमान किया है। ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर देना चाहिए।
मंगलवार को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पैगामे अमन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वतन से मुहब्बत करना ईमान का हिस्सा है। देश में रहने वाले हर इंसान को अपने देश से प्यार करना चाहिए। सबसे पहले राष्ट्रहित और उसके बाद राजनीति होनी चाहिए। कहा कि हम महिलाओं का सम्मान करना जानते हैं तथा उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वालों को उनकी भाषा में ही जवाब देना भी जानते हैं, लेकिन हमारे संस्कार हैं, जो हमें ऐसा करने से रोकते हैं। जिन लोगों में संस्कार नाम की चीज नहीं होती, वे ही ऐसी घटिया और ओछी हरकतें करते रहते हैं। जयाप्रदा के प्रति शर्मनाक शब्दों का प्रयोग करके आजम ने अपने संस्कारों का परिचय दिया है। ऐसी सोच रखने वाले व्यक्ति का तो हर हाल में सामाजिक बहिष्कार कर देना चाहिए।