Move to Jagran APP

Lok Sabha Elections 2019 : इस सीट पर कभी नहीं जीती बसपा, इस बार गठबंधन ने बढ़ाया उत्‍साह

बांसगांव लोकसभा चुनाव में पदार्पण के साथ ही पार्टी का प्रत्याशी यहां से मैदान में रहा है। लेकिन जीत का लक्ष्य भेदने में नाकाम रही।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 02:09 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2019 04:12 PM (IST)
Lok Sabha Elections 2019 : इस सीट पर कभी नहीं जीती बसपा, इस बार गठबंधन ने बढ़ाया उत्‍साह
Lok Sabha Elections 2019 : इस सीट पर कभी नहीं जीती बसपा, इस बार गठबंधन ने बढ़ाया उत्‍साह

गोरखपुर, उमेश पाठक। बांसगांव सुरक्षित सीट बसपा के लिए शुरू से महत्वपूर्ण रही है। लोकसभा चुनाव में पदार्पण के साथ ही पार्टी का प्रत्याशी यहां से मैदान में रहा है। लड़ाई भी मजबूती से लड़ी लेकिन जीत का लक्ष्य भेदने में नाकाम रही। पिछले तीन चुनावों में पार्टी दूसरे स्थान पर रही है। इस चुनाव में स्थितियां अलग हैं, सपा व रालोद के साथ गठबंधन के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा हुआ है और इस उत्साह के सहारे 'हाथी' हार का मिथक तोड़कर संसद में पहुंचने का सपना संजोए है।

loksabha election banner

यहां से बसपा के पहले प्रत्याशी मोलई प्रसाद थे। 1989 में उन्होंने तीसरा स्थान प्राप्त किया था। कांग्रेस के महावीर प्रसाद तब यहां से सांसद चुने गए। मोलई को 18.14 फीसद वोट मिले थे। इसके बाद लगभग हर चुनाव में पार्टी के मतों में वृद्धि हुई। 1991 में सीट भाजपा के राजनारायण के खाते में गई, बसपा को चौथा स्थान मिला लेकिन वोट शेयर में .40 फीसद की बढ़ोतरी हुई। 1996 में मोलई प्रसाद ने तीसरा स्थान प्राप्त किया और वोट शेयर भी बढ़ा। इस चुनाव में पार्टी को 19.49 फीसद मत मिले। इस बार की विजेता थीं सपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं सुभावती। 1998 के चुनाव में बसपा ने इस सीट से प्रत्याशी बदल दिया। ई. विक्रम प्रसाद पर विश्वास जताया। पार्टी को मिले मतों में वृद्धि हुई। लेकिन, तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। विक्रम प्रसाद को 25.20 फीसद वोट मिले।

1999 में सदरी पहलवान मैदान में थे और उन्हें तीसरा स्थान मिला। इस बार वोट शेयर खिसककर 22.92 फीसद पहुंच गया। 2004 में हुए चुनाव में इस सीट से पार्टी की कमान सदल प्रसाद के हाथ में थी। सदल दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें 25.94 फीसद वोट मिले। यहां से कांग्र्रेस के महावीर प्रसाद को जीत मिली लेकिन जीत का अंतर बहुत अधिक नहीं रहा। 2009 में श्रीनाथ एडवोकेट प्रत्याशी बने। उन्हें भी दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा और 26.22 फीसद वोट मिले। 2014 के चुनाव में एक बार फिर सदल प्रसाद पर भरोसा जताया गया। सदल 26.02 फीसद मतों के साथ फिर दूसरे स्थान पर रहे और मोदी लहर में यहां भाजपा की जीत का अंतर काफी अधिक रहा। वर्तमान चुनाव में एक बार फिर लोकसभा प्रभारी और संभावित उम्मीदवार के रूप में सदल मैदान में हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.