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फ्लैश बैक : अपने पहले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों से भी हार गई थी भाजपा

1984 में बांदा-चित्रकूट सीट पर भाजपा को मिले थे 28797 वोट 1977 में रिकार्ड मत पाने वाले अंबिका प्रसाद पांडेय रहे थे पांचवें स्थान पर।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 03:57 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 04:32 PM (IST)
फ्लैश बैक : अपने पहले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों से भी हार गई थी भाजपा
फ्लैश बैक : अपने पहले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों से भी हार गई थी भाजपा
चित्रकूट, [हेमराज कश्यप]। वर्तमान में भले बांदा-चित्रकूट संसदीय सीट पर भाजपा के सांसद हैं और केंद्र से लेकर प्रदेश तक उनकी सरकार है लेकिन ठीक 35 साल पहले वर्ष 1984 में यहां पार्टी को करारी चुनौती निर्दलीय उम्मीदवारों से मिली थी। दो निर्दलीय भाजपा से वोट पाने में आगे रहे थे। वह दिन हर लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं से लेकर जनप्रतिनिधियों के जेहन में ताजा होने लगते हैं।
श्यामाचरण व देव कुमार रहे थे आगे
1984 में इस संसदीय सीट पर भाजपा समेत 14 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। इसमें जीत का सेहरा कांग्रेस के भीष्मदेव दुबे के सिर पर बंधा था। भाजपा का बेहद लचर प्रदर्शन रहा था। भाजपा उम्मीदवार अंबिका प्रसाद पांडेय को सिर्फ 28,797 मत पाकर संतोष करना पड़ा था। वह पांचवें स्थान पर आए थे जबकि उनसे आगे निकले निर्दलीय उम्मीदवार श्यामा चरण ने 49,249 और देव कुमार ने 42,583 वोट हासिल किए थे।
भाजपा का था पहला चुनाव
वर्ष 1980 में जनता पार्टी से अलग होकर नए दल के रूप में अस्तित्व में आई भाजपा ने पहला चुनाव वर्ष 1984 में लड़ा था। पूरे देश में पार्टी को सिर्फ दो सीट मिल पाई थीं। उसे पहले चुनाव में यहां निर्दलीय प्रत्याशियों से भी मात खानी पड़ी थी। पार्टी ने वर्ष 1977 में रिकार्ड मतों से जीतने वाले अंबिका प्रसाद पांडेय को उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह कुछ खास चमत्कार नहीं कर सके। उनको जनता ने पूरी तरह से नकार दिया था।
व्यक्तित्व पर मिलता था वोट
आजादी के बाद हुए चुनावों पर नजर डालें तो तब मतदाता पार्टी से अधिक प्रत्याशी के व्यक्तित्व पर वोट करते थे। उम्मीदवार की साफ-सुथरी छवि पर पूरा फोकस रहता था। प्रत्याशी भी दल से ज्यादा खुद के काम पर भरोसा करते थे इसीलिए हमेशा छवि वाले उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर होती थी। वर्तमान में सियासी महारथियों के साथ पार्टियां भी जाति पर फोकस करने लगी हैं इसीलिए निर्दलीय हाशिए पर चले गए हैं।
1984 में प्रमुख उम्मीदवार, दल व मिले मत
भीष्मदेव दुबे-कांग्रेस : 1,42,085
रामसजीवन-सीपीआइ : 84,586
श्यामा चरण-निर्दलीय : 49,249
देव कुमार-निर्दलीय : 42,583
अंबिका प्रसाद-भाजपा : 28,797
विनय कुमार-जनता पार्टी : 7,742
नत्थू-निर्दलीय : 5,653
शाहिदा हनफी-निर्दलीय : 4,266 

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