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Lok Sabha Election 2019 : भाजपा को मोदी से आस, विपक्ष को स्थानीय मुद्दों पर विश्वास; GROUND REPORT

Lok Sabha Election 2019. जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में सीधा मुकाबला भाजपा के विद्युत वरण महतो और महागठबंधन के उम्मीदवार चंपई सोरेन के बीच ही है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 11:32 AM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 11:32 AM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 : भाजपा को मोदी से आस, विपक्ष को स्थानीय मुद्दों पर विश्वास; GROUND REPORT
Lok Sabha Election 2019 : भाजपा को मोदी से आस, विपक्ष को स्थानीय मुद्दों पर विश्वास; GROUND REPORT

जमशेदपुर से आनंद मिश्र। Lok  Sabha Election 2019 लौहनगरी के मौसमी तापमान और सियासी तपिश में किसका पारा ज्यादा चढ़ा हुआ है इसका अनुमान लगाना खासा मुश्किल है। सियासी जंग के मंजे हुए और जमीनी कद्दावर नेताओं में जब सीधी लड़ाई हो तो पारा चढऩा स्वाभाविक भी है। यहां मुकाबले की तस्वीर चुनाव की तारीख करीब आते-आते बिल्कुल साफ हो गई है। सीधा मुकाबला भाजपा के विद्युत वरण महतो और महागठबंधन के उम्मीदवार चंपई सोरेन के बीच ही है।

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कभी दोनों पुराने साथी रहे हैं और एक दूसरे के दांव-पेंच भी खूब समझते हैं। सीधे मुकाबले ने दोनों खेमों को मुश्किल में भी डाल दिया है। चूंकि अब वोटों के बिखराव की यहां बहुत संभावना नहीं दिखाई देती इसलिए मुकाबला आमने-सामने ही तय है। हालांकि, चुनाव में 23 दलीय और निर्दलीय प्रत्याशी अपने-अपने दावों और वादों के साथ मैदान में हैं। जमशेदपुर के शहरी क्षेत्रों में बुधवार सुबह से ही सड़कों पर भाजपा के झंडे लगी गाडिय़ों के छोटे-बड़े काफिले नजर आते रहे। शाम तक इन काफिलों की आवाजाही सड़कों पर दिखी। वजह भी स्पष्ट थी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की एग्रिको मैदान में विजय संकल्प रैली। रैली में शाह ने विपक्ष पर तीखा प्रहार किया, सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और टीम भाजपा को थ्री जी का नया नारा देकर चले गए। शाह के थ्री जी में गांव, गौमाता और गंगा हैं और बकौल उनके विपक्ष के थ्री जी में सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी। 

शाह के दौरे से भाजपा में जोश

शाह के दौरे ने भाजपा में जोश भरा है, लेकिन विपक्ष उनकी काट ढूंढता चल रहा है। झामुमो प्रत्याशी चंपई सोरेन अपने गांव-गांव के दौरों में कहते फिर रहे हैं कि जो शौचालय बने हैं उनमें अमित शाह खुद जाकर दिखाएं। चंपई ने भी आज शहरी क्षेत्र में ही अपने प्रचार का रुख किया। वजह शाह की रैली की काट को ही माना जा रहा है। स्कूलों के मर्जर को भी झामुमो ने मुद्दा बना रखा है। महागठबंधन यहां एकजुट दिखता है। हेमंत सोरेन तो जोर लगा ही रहे हैं। अपना चुनाव निपटाने के बाद सुबोधकांत सहाय भी जमशेदपुर पहुंच गए हैं। विपक्ष राष्ट्रीय की बजाय स्थानीय मुद्दों को तरजीह दे सत्ता पक्ष को घेर रहा है। सत्ता पक्ष की मुश्किल यह भी है कि स्थानीय मुद्दों को लेकर ही शेष 21 दलीय व निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं और वे भी भाजपा को घेर रहे हैं। एहरा नेशनल पार्टी से चुनाव लड़ रहीं सविता केवर्थ से हमारी मुलाकात हेसलबिल गांव में होती है। कहतीं हैं कि सरकार की योजनाएं गांवों तक पहुंची ही नहीं हैं। आयुष्मान भारत का लाभ भी लोगों को नहीं मिल रहा है। हम इन्हीं मुद्दों को उठा रहे हैं। यह पूछने पर कि बड़े दलों के आगे कहां टिकेंगी, कहतीं हैं देखिएगा। यहां बसपा, तृणमूल व अन्य दल भी राष्ट्रीय की जगह स्थानीय मुद्दों को ही उठा रहे हैं। 

रोचक है जातीय गणित :

जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र का जातीय गणित किसी एक पक्ष में जाता नहीं दिखाई देता। यहां करीब 4.5 लाख आदिवासी वोटर हैं, जिन पर भाजपा और झामुमो दोनों की नजर है। करीब 2.5 लाख महतो मतदाताओं पर भाजपा पर पूरा भरोसा है। 2.5 लाख मुस्लिम मतदाताओं को झामुमो साधने में जुटा है लेकिन इसमें थोड़ा बहुत बिखराव होना तय है। करीब इतनी ही आबादी सवर्ण वोटरों की है जिससे भाजपा को कुछ ज्यादा ही आस है, लेकिन बंटेगा यह भी। ओडिया और बांग्ला भाषा-भाषी का भी अपना जनाधार है तो सिख अपने विवेक से निर्णय लेंगे। ईसाई अपेक्षाकृत कुछ कम हैं, इनके झामुमो के साथ जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। 

शहर-गांव व विधानसभावार बन-बिगड़ रहे समीकरण :

जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं। सियासी दलों के समीकरण भी शहर-गांव व विधानसभावार बन-बिगड़ रहे हैं। परसुडीह के समर कुंडू स्पष्ट कहते हैं कि गांव व शहरों के मिजाज में काफी अंतर है। शहर में तो मोदी फैक्टर प्रभावी होगा ही। जाहिर है यहां भी भाजपा को प्रत्याशी नहीं मोदी से ही आस है। जमशेदपुर में शहरी मतदाताओं की संख्या करीब 7.11 लाख बताई जाती है तो ग्रामीण वोटरों की संख्या 8.20 लाख है। विधानसभावार बात करें तो भाजपा की जमीन जमशेदपुर पूर्वी में पुख्ता है। यहां से होने वाली संभावित लीड को भाजपा नेता अपनी जीत का आधार मानकर चल रहे हैं। यह मुख्यमंत्री रघुवर दास का क्षेत्र है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जनसभा भी यहीं हुई है। जमशेदपुर पश्चिम में कुछ मुकाबले के आसार बताए जा रहे हैं लेकिन भाजपा कार्यकर्ता अशोक सिंह कहते हैं कि यहां हमें ऐज मिलेगा। पोटका में आदिवासी फैक्टर काम काम करेगा। यहां भाजपा की विधायक मेनका सरदार के होने के बावजूद इस बार झामुमो की सेंधमारी की बात कही जा रही है। बहरागोड़ा में झामुमो के विधायक कुणाल ने मोर्चा संभाल रखा है। यहां ओडिया मतदाताओं की संख्या भी खासी है। जुगसलाई में एनडीए अपनी ताकत लगा रहा है। घाटशिला के वोटरों का झुकाव किसकी तरफ होगा, इस पर सभी की निगाहें लगी हुईं है। 

चुनाव में मुद्दे हावी नहीं :

जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र में मुद्दे बहुत हैं लेकिन इन मुद्दों का चुनाव से कोई बहुत सरोकार नहीं दिखता। चुनाव में मुद्दे हावी नहीं हैं। पानी, बिजली और सड़क के मोर्चे पर सरकार के पास बताने को बहुत कुछ है, लेकिन विरोध में खड़े प्रत्याशी इन्हीं मुद्दों की काट लेकर भी बैठा है।  

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