भाजपा को 300 सीटें मिलने का भरोसा, पार्टी विपक्ष की एकजुटता को नहीं दे रही तवज्जो
विधानसभा और लोकसभा दोनों में बुरी तरह से हार की आशंका को देखते हुए नायडू अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने की कोशिश में जुटे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव परिणाम आने के पहले विपक्षी एकता की कोशिशों को भाजपा तवज्जो नहीं दे रही है। भाजपा नेताओं का मानना है कि वह अकेले दम पर बहुमत का आंकड़ा पार करने जा रहे हैं और इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है। भाजपा चुनाव परिणाम के पहले विपक्षी एकता की कोशिशों को कुछ नेताओं के सामयिक बने रहने की कोशिश के रूप में देख चुका है। ध्यान देने की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दोनों ही अकेले भाजपा को 300 से अधिक सीटें मिलने का दावा पहले ही कर चुके हैं।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी पिछली बार से अधिक सीटें का दावा हवा में नहीं कर रही है, बल्कि इसके पीछे ठोस आधार हैं। उनके अनुसार विपक्ष चाहे जो भी दावा करे, लेकिन जमीनी स्तर पर मोदी के पक्ष में लहर साफ दिखाई दे रही थी। खासकर कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार और उत्तरप्रदेश के कई इलाकों यह लहर ज्यादा मजबूत थी। सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी के पक्ष में मतदाताओं का रूझान हर चरण के बाद बढ़ता हुआ ही दिखा, इसमें कमी आने का कोई संकेत नहीं मिला। हर चरण के मतदान के बाद पार्टी की ओर से लिये गए फीडबैक में भी इसकी पुष्टि हुई है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता के अनुसार जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का फीडबैक और इलेक्ट्रॉनिक डाटा के विश्लेषण के आधार पर ही भाजपा इस बार अकेले दम पर 300 से अधिक सीटें लाने का भरोसा जता रही है। यही कारण है कि छठे चरण का चुनाव खत्म होने के बाद ही अमित शाह ने भाजपा के अकेले बहुमत का आंकड़ा पार करने का दावा कर दिया था।
उनका कहना था कि सातवें चरण की सीटों को जोड़ने के बाद भाजपा की सीटें 300 के आंकड़े को पार कर जाएगी। चुनाव परिणाम के पहले विपक्षी नेताओं की बैठक के बारे में पूछे जाने पर शाह ने तंज कसते हुए कहा कि नेता विपक्ष के पद के लिए शायद विपक्षी दलों को गठबंधन की नौबत आ सकती है।
चुनाव के पहले ही चंद्रबाबू नायडू की विभिन्न विपक्षी नेताओं से मुलाकात के बारे में पूछने पर आंध्रप्रदेश से ही आने वाले भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि विधानसभा और लोकसभा दोनों में बुरी तरह से हार की आशंका को देखते हुए नायडू अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने की कोशिश में जुटे हैं। उनके अनुसार विपक्षी एकता के पीछे की एक सोच यह भी है कि चुनाव में हार के लिए एक स्वर में ईवीएम को जिम्मेदार ठहराया जा सके।
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