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Election 2019: मेवाड़ में राजसमंद लोकसभा सीट पर भाजपा तय नहीं कर पा रही प्रत्याशी

मेवाड़ में राजसमंद लोकसभा सीट को लेकर अभी किसी भी दल ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है लेकिन मौजूदा सांसद के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद घमासान शुरू हो गया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 02:19 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 02:19 PM (IST)
Election 2019: मेवाड़ में राजसमंद लोकसभा सीट पर भाजपा तय नहीं कर पा रही प्रत्याशी
Election 2019: मेवाड़ में राजसमंद लोकसभा सीट पर भाजपा तय नहीं कर पा रही प्रत्याशी

उदयपुर, सुभाष शर्मा। मेवाड़ में राजसमंद लोकसभा सीट को लेकर अभी किसी भी दल ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, लेकिन मौजूदा सांसद के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद घमासान शुरू हो गया है। यह घमासान भाजपा के लिए दु:खदायी होता नजर आ रहा है। कारण यह है कि मेवाड़ क्षत्रिय महासभा ने ऐलान कर दिया है कि प्रत्याशी के रूप में मेवाड़ से बाहर का क्षत्रिय स्वीकार नहीं होगा।

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क्षत्रिय महासभा का कहना है कि इस सीट के लिए टिकट देना है तो मेवाड़ के क्षत्रिय को देना होगा। यदि कोई क्षत्रिय योग्यता नहीं रखता, तब भी मेवाड़ की माटी में जन्मे किसी भी कौम के प्रत्याशी के रूप में स्वीकार किया जाएगा।

मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के संरक्षक मनोहर सिंह कृष्णावत का कहना है कि जब हाड़ौती, शेखावाटी और मारवाड़ में क्षत्रिय समाज को पूर्व की तरह एक-एक टिकट मिला है और जब पार्टियां जातिगत समीकरण को ही आधार बनाने लगी हैं, तब मेवाड़ में क्षत्रिय को टिकट देने को लेकर असमंजस क्यों? मेवाड़ में भी योग्य क्षत्रिय उम्मीदवार मिल सकता है तब दीया कुमारी का नाम राजसमंद सीट से चर्चा में ही क्यों लाया जा रहा है।

कृष्णावत ने स्पष्ट भावना व्यक्त की कि इतिहास के पन्नों से लेकर आज तक भी जयपुर के मेवाड़ के साथ किए गए व्यवहार को पीढिय़ां नहीं भूली हैं, ऐसे में मेवाड़ से बाहर का क्षत्रिय सिर्फ राजपूत ही नहीं किसी भी कौम को स्वीकार नहीं होगा। कृष्णावत ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए भी यदि बाहरी को टिकट दिया जाता है तो हल्दीघाटी का जो चेप्टर अधूरा रह गया था, वह पूरा हो जाएगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि देश को नरेन्द्र मोदी जैसा व्यक्तित्व मुश्किल से मिलता है। ऐसा न हो कि क्षत्रिय समाज की नाराजगी कोई नुकसान पहुंचा दे।उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल हो, वर्तमान में योग्य को राजनीति से दूर रखा जाता है, अयोग्य और यसमैन को पसंद किया जाता है।

भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों की अपरिपक्व नीतियों का ही परिणाम है कि मेवाड़-वागड़ में बीटीपी जैसा दल पनपा है जिसने आज उनकी नाक में दम कर रखा है। उन्होंने चिंता जताई कि जातिवाद की राजनीति कल को ऐसे कई दल पैदा न कर दे। हालांकि, उन्होंने कहा कि वे बीटीपी जैसे दलों की विचारधारा से सहमति नहीं रखते। मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष बीएस कानावत ने कहा कि सरकार क्षत्रिय समाज की परीक्षा न ले। विधानसभा चुनावों में सत्ता परिवर्तन का कारण कोई खुलकर नहीं बता पा रहा है, लेकिन क्षत्रिय समाज यह कहता है कि भाजपा पर क्षत्रिय समाज की नाराजगी भारी पड़ी है।

उपाध्यक्ष व अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री शक्ति सिंह कारोही ने भी दोहराया कि मेवाड़ में बाहरी क्षत्रिय को स्वीकार नहीं किया जाएगा। राजनीतिक दल चाहें तो पूरे संसदीय क्षेत्र में से कहीं से भी योग्य उम्मीदवार चुन लें। भले ही वह महिला हो, लेकिन वह मेवाड़ की माटी का होना चाहिए। मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के महामंत्री तनवीर सिंह कृष्णावत ने बताया कि महासभा की केंद्र कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें आगामी लोकसभा चुनाव में मेवाड़ क्षेत्र से राजसमंद लोकसभा क्षेत्र से क्षेत्रीय प्रतिनिधि को लेकर पुरजोर तरीके से मांग की गई। बैठक में कहा गया कि राजसमंद लोकसभा क्षेत्र की एक बड़ा राजपूत बहुल क्षेत्र है जिसमें सर्वाधिक संख्या में राजपूत मतदाता निवासरत हैं। इसी के मद्देनजर सभी राजनीतिक दल मेवाड़ के राजपूत वर्ग का ध्यान रखने की मांग की गई। साथ ही यह भी चेतावनी दी गई कि मेवाड़ क्षत्रिय महासभा ऊपर से थोपे गए प्रत्याशियों का विरोध करेगी। समाज इसे फूट डालकर जातिगत भेदभाव पैदा करने के प्रयास के रूप में लेगा।


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