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Jharkhand Lok Sabha Election 2019: 'अभिमन्‍यु' के ल‍िए आसान नहीं चक्रव्‍यूह का सातवां चरण

Lok Sabha Election 2019. दुमका-राजमहल में झामुमो को घरेने की कोशिश में भाजपा की पूरी टीम लगी हुई है। गोड्डा सीट परमहागठबंधन ने पूरी ताकत झोंक रखी है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 06:36 AM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 08:57 AM (IST)
Jharkhand Lok Sabha Election 2019: 'अभिमन्‍यु' के ल‍िए आसान नहीं चक्रव्‍यूह का सातवां चरण
Jharkhand Lok Sabha Election 2019: 'अभिमन्‍यु' के ल‍िए आसान नहीं चक्रव्‍यूह का सातवां चरण

दुमका, [आशीष झा] । Lok Sabha Election 2019 - लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में झारखंड में तीन सीटों पर चुनाव है और तीनों संताल परगना क्षेत्र में हैं। इस बार संताल में शह मात के खेल में झामुमो के वर्चस्व को खत्म करने के लिए भाजपा जीतोड़ कोशिश कर रही है। वहीं महागठबंधन इस प्रयास में है कि तीनों सीटों पर कब्जा किया जाए। वर्तमान में दो सीटें झामुमो के पास है और एक सीट भाजपा के पास।

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झामुमो ने पिछली बार मोदी लहर के बावजूद अपनी परंपरागत सीटें बचाने में सफलता हासिल की थी। इस बार हालात अलग हैं। दुमका और राजमहल में झामुमो के सांसद को घरेने की कोशिश में भाजपा की पूरी टीम लगी हुई है तो गोड्डा सीट पर भाजपा सांसद के खिलाफ महागठबंधन ने पूरी ताकत झोंक रखी है। तीनों सीट पर सत्ता का संघर्ष अपने चरम पर पहुंच चुका है।  

  • अंतिम चरण की तीनों सीटों दुमका, राजमहल और गोड्डा में पर है सीधा मुकाबला
  • दो सीटों पर काबिज झामुमो अपना किला बचाने को बेचैन, भाजपा का कुनबा बढ़ाने पर जोर
  • अंतिम दिन तक जुटे रहे प्रचार में, अब तक की राजनीति का फैसला अंतिम रणनीति से होगा

इन तीनों सीटों पर स्थानीय मुद्दे भले ही अलग-अलग हों लेकिन कहीं न कहीं मोदी फैक्टर काम करता दिख रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के बाद लोग राष्ट्रवाद जैसे विषयों पर भी चर्चा कर रहे हैं। जाहिर सी बात है राष्ट्रवाद यहां एक मुद्दा होगा और क्षेत्र के पिछड़ेपन से इसे जोड़ कर देखा जाएगा। उप राजधानी होने के बावजूद दुमका का उतना विकास नहीं हो पाया खास करके ग्रामीण इलाकों की स्थिति और भी खराब है।

पूरे संताल परगना प्रमंडल की स्थिति विकास के लिहाज पिछले पायदान पर है और यहां शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछड़ापन आसानी से दिखता है। देवघर एयरपोर्ट का निर्माण और एम्स का खुलना ऐसे मुद्दे हैं जिसे भाजपा के प्रचारक महज गोड्डा से जोड़कर नहीं देख रहे बल्कि पूरे संताल परगना को इससे जोड़ रहे हैं। विपक्ष यहां अडाणी प्लांट को दी गई जमीन को मुद्दा बनाकर भाजपा से मुकाबला कर रहा है। रणनीति यह है कि आदिवासियों को समझा दिया जाए कि अगर भाजपा आई तो जमीन बचाना मुश्किल होगा। स्वयं प्रधानमंत्री इस बात को नकार चुके हैं। 

दुमका में बड़ा सवाल : शिबू अंतिम बार या सुनील पहली बार
दुमका लोकसभा क्षेत्र में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन का मुकाबला भाजपा के सुनील सोरेन से है और इस लड़ाई में दोनों नेताओं की ओर से उनकी पार्टियों ने जान लगा दी है। शिबू सोरेन ने अपनी ओर से कई बार यह कहा है कि वे आगे भी चुनाव लड़ते रहेंगे लेकिन कई इलाकों में यह भ्रम फैला है कि यह उनका अंतिम चुनाव है। अब जीते तो अंतिम बार जीतेंगे।

इसी तरह लगातार दो बार से हार रहे सुनील सोरेन के लिए करो या मरो की बात आ गई है। इस बात की संभावना कम है कि पार्टी उन्हें इस चुनाव के बाद टिकट दे और ऐसे में उन्होंने इस चुनाव में जीत के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया है। मेहनत भी खूब कर रहे हैं। मेहनत झामुमो की ओर से भी कम नहीं हो रही। वर्तमान सांसद शिबू सोरेन के प्रचार में झारखंड विकास मोर्चा, कांग्रेस और राजद के भी नेता लगे हुए हैं वहीं सुनील सोरेन के साथ पूरी भाजपा है। मुख्यमंत्री रघुवर दास इस इलाके में लगातार आना-जाना कर रहे हैं और सुनील सोरेन के प्रचार में जिला, प्रखंड से लेकर गांव तक गए हैं।

चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भी दुमका क्षेत्र में पूरी गहमागहमी रही। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिता के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं। गुरुजी शिबू सोरेन को अपने साथ-साथ अगल-बगल की सीटों पर भी मेहनत करनी पड़ रही है। उनके प्रचार का कमान झामुमो के छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं ने थाम ली है। कहने के लिए यहां से 15 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन अंतिम लड़ाई झामुमो और भाजपा के बीच ही है। रविवार को होने वाले मतदान से उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। 

गोड्डा राजनीति से लेकर कूटनीति तक चरम पर
गोड्डा संसदीय क्षेत्र में सत्ता का संघर्ष महज राजनीति तक नहीं सिमटा है। यहां कूटनीति भी चरम पर है। लड़ाई निजी आरोप-प्रत्यारोप तक पहुंच चुका है। यहां दुष्कर्म के प्रयास का आरोप झेल रहे झारखंड विकास मोर्चा के प्रत्याशी प्रदीप यादव को भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे ने जेल भेजवाने तक की चुनौती दे डाली है और इससे महासमर के इस क्षेत्र में संघर्ष रोचक हो गया है। निशिकांत दुबे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत तमाम स्टार प्रचारक पहुंचे तो झारखंड विकास मोर्चा के प्रत्याशी प्रदीप यादव के साथ महागठबंधन के कार्यकर्ता पूरी तरह से डटे हुए दिख रहे हैं।

हाल तक प्रदीप यादव का विरोध कर रहे कांग्रेस नेता पूर्व सांसद फुरकान अंसारी अब उनका प्रचार कर रहे हैं तो फुरकान के विधायक पुत्र इरफान अंसारी भी पिता के रास्ते पर चल पड़े हैं। तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी प्रदीप यादव के प्रचार में इस इलाके में कई छोटी-बड़ी सभाएं कर चुके हैं और इसका असर भी देखने को मिल रहा है। दो बार से चुनाव जीत रहे निशिकांत दुबे केे साथ एक बड़ा समूह खड़ा है तो प्रदीप यादव जी अपने हिस्से के मतदाताओं की गोलबंदी करने में सफल दिख रहे हैं।

जातिगत समीकरणों को साधने में दोनों प्रत्याशी अब तक सफल दिख रहे हैं और उनके पक्ष में जातिगत मतदाता पूरी तरह से गोलबंद दिखते हैं। इन दो प्रत्याशियों के अलावा कई उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन उन्हें क्षेत्र में एक-दो पॉकेट से आगे पहचान भी नहीं मिल पा रही है। रविवार को चुनाव में फैसला हो जाएगा कि बाबा नगरी बैद्यनाथधाम का प्रतिनिधि कौन बनता है तो किसे निराशा हाथ लगती है। 

राजमहल में जीत की पटकथा लिख रहा भितरघात
राजमहल लोकसभा क्षेत्र में फिलहाल झामुमो के विजय कुमार हांसदा सांसद हैं और इनको चुनौती दे रहे हैं भाजपा के हेमलाल मुर्मू। हेमलाल पूर्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा में रह चुके हैं और इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। दोनों को क्षेत्र के एक-एक कार्यकर्ता के बारे में जानकारी है और एक-दूसरे को परास्त करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे। कैडर वोट के अलावा दोनों नेताओं का निशाना वो मतदाता हैं जो कुछ प्रलोभन अथवा कुछ आश्वासन के आधार पर अपना पक्ष बदल सकते हैं।

सीनियर कार्यकर्ताओं पर भी दोनों पार्टियों के नेताओं की नजर है। पूरे संताल परगना में जहां महागठबंधन और भाजपा अपने-अपने कुनबे के साथ पूरी ताकत से चुनाव में डटे हैं, राजमहल एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां कुनबा में कब कौन भितरघात करे कहा नहीं जा सकता। यहां हार-जीत के बीच भितरघात सबसे बड़ा फैक्टर है। भाजपा प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू को झामुमो के नेताओं से पुराना संपर्क है जिसके बूते वे भितरघात कराने में सक्षम दिख रहे हैं। दूसरी ओर, भाजपा में भितरघात की बात कहीं-कहीं से उभरकर सामने आने लगती है।

ऐसे में मुद्दों से अधिक महत्वपूर्ण अपने कुनबे को समेटकर रखना हो गया है। शहरी क्षेत्रों में निश्चित तौर पर कार्यकर्ता भाजपा के पक्ष में दिखते हैं लेकिन संताल परगना के अन्य लोकसभा क्षेत्रों की तरह राजमहल में भी ग्रामीण इलाके अधिक हैं जहां अभी धीरे-धीरे राष्ट्रवाद की बातें पहुंच रही हैं। पाकिस्तान पर हमले की बात से कोने-कोने तक लोग खुश हैं लेकिन वोट कितना करते हैं, यह देखने की बात होगी। इस इलाके में जमीन बचाने की बात झामुमो तो करता ही है, लगे हाथ योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी को भी मुद्दा बता रहा है।

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